प्रश्न: फसल की किस्मों में ऐच्छिक गुणों को किस विधि के द्वारा डाला जाता है ?
उत्तर: संकरण विधि |
फसल के किस्मों में सुधार की विभिन्न विधियाँ :
(i) अच्छे किस्मों का चयन
(ii) संकरण विधि से प्राप्त बीज
अनुवंशकीय रूपांतरित फसल : जब फसल के किस्मों में अनुवंशकीय परिवर्तन करने के लिए संकरण विधि द्वारा ऐच्छिक गुणों वाले जीन डाला जाता है तो इस प्रकार प्राप्त फसल को अनुवंशकीय रूपांतरित फसल कहते हैं |
कृषि प्रणालियाँ तथा फसल उत्पादन जिन कारकों पर निर्भर करता है :
(i) मौसम (ii) मिट्टी की गुणवता (iii) पानी की उपलब्धता
किस्मों में सुधार के लिए कौन-कौन से कारक है ;
(i) उच्च उत्पादन
(ii) जैविक तथा अजैविक प्रतिरोधकता
(iii) परिपक्वन काल में परिवर्तन
(iv) व्यापक अनुकूलता
(v) ऐच्छिक सस्य विज्ञान गुण
ऐच्छिक सस्य विज्ञान गुण : चारे वाली फसलों के लिए लंबी तथा सघन शाखाएँ ऐच्छिक गुण है |जबकि अनाज के लिए बौने पौधे उपयुक्त हैं ताकि इन फसलों को उगाने के लिए कम पोषकों की आवश्यकता हो | इसी प्रणाली को सस्य विज्ञान कहते है | इस प्रकार सस्य विज्ञान वाली किस्में अधिक उत्पादन प्राप्त करने में सहायक होती है |
आर्थिक परिस्थितियाँ किस प्रकार किसानों को विभिन्न कृषि प्रणालियों तथा कृषि तकनीकों को अपनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है |
उच्च निवेश तथा फसल उत्पादन में सह-संबंध है | हमारी आर्थिक स्थित जीतनी ही सुदृढ़ होगी हम उतनी ही कुशलता से विभिन्न फसल प्रणालियों तथा वैज्ञानिक कृषि तकनीकों को अपना सकते हैं | किसान की लागत क्षमता फसल तंत्र तथा उत्पादन प्रणालियों का निर्धारण करती हैं |
वृहत-पोषक : पौधों को पोषक पदार्थ हवा, पानी तथा मिट्टी से प्राप्त होते है, इन पोषक तत्वों में से कुछ जैसे हवा से कार्बन तथा ऑक्सीजन पानी से हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन प्राप्त होते हैं एवं शेष 13 पोषक तत्व मिट्टी से प्राप्त होते हैं | इन 13 पोषक पदार्थों में से 6 की अधिक मात्रा चाहिए होती है | इसलिए इन्हें वृहत पोषक कहते हैं |