Chapter-6. उत्तक
एक ही प्रकार की संरचना और कार्य करने वाले कोशिकाओं के समूह को उत्तक कहते हैं |
मुख्य बिंदु:
- एक कोशिकीय जीवों में, सभी मौलिक कार्य एक ही कोशिका द्वारा किये जाते हैं | उदाहरण के लिए अमीबा में एक ही कोशिका द्वारा गति, भोजन लेने की क्रिया, श्वसन क्रिया और उत्सर्जन क्रिया संपन्न की जाती है |
- बहुकोशिकीय जीवों में लाखों कोशिकाएँ होती हैं | इनमें से अधिकतर कोशिकाएँ कुछ ही कार्यों को संपन्न करने में सक्षम होती हैं | इन जीवों में भिन्न-भिन्न कार्यों को करने के लिए भिन्न-भिन्न कोशिकाओं का समूह होता हैं |
- बहुकोशिकीय जीवों में श्रम विभाजन होता हैं |
- शरीर के अन्दर ऐसी कोशिकाएँ जो एक तरह के कार्यों को करने में दक्ष होती है, सदैव एक समूह में होती हैं |
- एक ही संरचना वाले कोशिकाओं का वह समूह जो शरीर के किसी निश्चित स्थान विशिष्ट कार्य करते है उत्तक कहलाते हैं |
मनुष्य में:
मांसपेशिय कोशिकाएँ: इसके संकुचन एवं प्रसार से शरीर में गति होती है |
तंत्रिका कोशिकाएँ : यह संवेदनाओं को मस्तिष्क तक पहुँचाता है और मस्तिष्क से संदेशों को शरीर के एनी भागों तक लाता हैं |
रक्त कोशिकाएँ : यह ऑक्सीजन, भोजन, हारमोंस तथा अपशिष्ट पदार्थों का वहन करता हैं |
पौधों में :
संवहन उतक भोजन एवं जल का चालन पौधे के एक भाग से दुसरे भाग तक करते हैं |
उत्तक (Tissue): एक ही प्रकार की संरचना और कार्य करने वाले कोशिकाओं के समूह को उत्तक कहते हैं |
पादप उतक (Plant Tissues):
(i) पौधे स्थिर होते हैं - वे गति नहीं करते हैं | क्योंकि ये अपना भोजन एक स्थान पर स्थिर रह के ही प्रकाशसंश्लेषण की क्रिया द्वारा प्राप्त कर लेते हैं |
(ii) उनके अधिकांश उतक सहारा देने वाले होते है तथा पौधों को संरचनात्मक शक्ति प्रदान करते हैं |
(iii) अधिकांश पादप ऊतक मृत होते हैं | ये मृत ऊतक जीवित उतकों के समान ही यांत्रिक शक्ति प्रदान करते हैं तथा उन्हें कम अनुरक्षण की आवश्यकता होती है |
(iv) पौधों में वृद्धि कुछ क्षेत्रों में ही सिमित रहती है |
(v) पौधों में कुछ ऊतक जीवन भर विभाजित होते रहते हैं | ये ऊतक पौधों के कुछ निश्चित भाग में ही होते है | जो ऊतक के विभाजित होने के क्षमता पर आधारित होता है | विभिन्न प्रकार के पादप उतकों को वृद्धि या विभोज्योतक ऊतक और स्थायी ऊतक के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है |
जंतु ऊतक (Animal Tissues):
(i) दूसरी ओर जंतु भोजन, जोड़ी, और आवास की तलाश में चारों ओर धूमते हैं |
(ii) पौधों के तुलना में जंतु अधिक ऊर्जा खर्च करते है |
(iii) उतकों का अधिकांश भाग जीवित होता है |
(iv) जंतुओं में कोशिकाओं की वृद्धि एकसमान होती है | इसलिए इनमें विभाज्य और अविभाज्य क्षेत्रों की कोई निश्चित सीमा नहीं होती है |
पादपों में उतकों के प्रकार (Type of Plant Tissue):
(1) विभज्योतक ऊतक (MERISTEMATIC TISSUE) :
पौधों की वृद्धि केवल उनके कुछ निश्चित एवं विशेष भागों में ही होता है | ऐसा विभाजित होने वाले उतकों के कारण ही होता है ऐसे विभाजित होने वाले ऊतक पौधों के वृद्धि वाले भागों में ही स्थित होते है | इस प्रकार के ऊतक को विभज्योतक ऊतक कहते है |
विभज्योतक ऊतक का वर्गीकरण (Classification of Meristematic Tissue):
(A) शीर्षस्थ विभज्योतक (Apical Meristem): शीर्षस्थ विभज्योतक पौधों के जड़ एवं तनों के वृद्धि वाले भाग में विद्यमान रहता है तथा यह उनकी लंबाई में वृद्धि करता है |
(B) पार्श्व विभज्योतक (Lateral Meristem): तने की परिधि या मूल में वृद्धि पार्श्व विभज्योतक के कारण होती है |
(C) अंतर्विष्ट विभज्योतक (Intercalary meristem): यह पत्तियों के आधार में या टहनी के पर्व (internode) के दोनों ओर उपस्थित होते हैं |
विभज्योतक ऊतक के गुण (Properties Of Meristematic Tissue):
(i) इस ऊतक की कोशिकाएँ अत्यधिक क्रियाशील होती हैं |
(ii) उनके पास बहुत अधिक कोशिका द्रव्य, पतली कोशिका भित्ति और स्पष्ट केन्द्रक होते हैं |
(iii) उनके पास रस्धानियाँ नहीं होती है |
(2) स्थायी ऊतक (PERMANENT TISSUE):
विभज्योतक ऊतक वृद्धि कर आगे एक विशिष्ट कार्य करती हैं और विभाजित होने की शक्ति खो देती है जिसके फलस्वरूप वे स्थायी ऊतक का निर्माण करती हैं |
विभज्योतक की कोशिकाएँ विभाजित होकर विभिन्न प्रकार के स्थायी उतकों का निर्माण करती हैं |
परिभाषा: कोशिकाएँ जो विभेदित होकर विशिष्ट कार्य करती है और आगे विभाजित होने की शक्ति खो देती हैं इस प्रकार की ऊतक को स्थायी ऊतक कहते हैं |
विभेदीकरण (Differentiation): उतकों द्वारा विशिष्ट कार्य करने के लिए स्थायी रूप और आकार लेने की क्रिया को विभेदीकरण कहते हैं |
स्थायी ऊतक के प्रकार (Type of permanent tissue):
(A) सरल स्थायी ऊतक (Simple permanent tissue):
ये एक ही प्रकार के कोशिकाओं से बने होते हैं जो एक जैसे दिखाई देते हैं इस प्रकार के ऊतक को सरल स्थायी ऊतक कहते हैं |
उदाहरण: पैरेंकाइमा, कोलेन्काईमा और स्केरेन्काइमा आदि |
सरल स्थायी ऊतक के प्रकार (Type of simple permanent tissues):
(1) पैरेंकाइमा (Parenchyma): वे सरल स्थायी ऊतक जिसके कोशिकाओं की कुछ परतें आधारीय पैकिंग का निर्माण करती हैं | इन्हें पैरेंकाइमा ऊतक कहते हैं |
गुण (Features):
(i) यह पतली कोशिका भित्ति वाली सरल कोशिकाओं का बना होता है |
(ii) ये जीवित कोशिकाएँ होती है |
(iii) ये प्राय: बंधन मुक्त होती हैं |
(iv) इस प्रकार के ऊतक की कोशिकाओं के माध्य काफी रिक्त स्थान पाया जाता है |
(v) यह ऊतक भोजन का भण्डारण करता है और पौधों को सहायता प्रदान करता है |
(vi) जड़ एवं तनों की पैरेंकाइमा पोषक तत्व और जल का भी भण्डारण करती हैं |
पैरेंकाइमा ऊतक के प्रकार :
(i) क्लोरेन्काइमा (Chlorenchyma): कुछ अन्य पैरेंकाइमा जिनमें क्लोरोफिल पाया जाता है और ये प्रकाशसंश्लेषण की क्रिया करती हैं ऐसे पैरेंकाइमा को क्लोरेन्काइमा कहते हैं |
(ii) एरेनकाईमा (Aerenchyma): जलीय पौधों में पैरेंकाइमा की कोशिकाओं के मध्य हवा की बड़ी गुहिकाएँ (cavities) होती हैं, जो पौधों को तैरने के लिए उत्प्लावन बल (Buoyancy) प्रदान करती हैं | इस प्रकार के पैरेंकाइमा को एरेनकाईमा कहते हैं |
(2) कोलेन्काईमा (Collenchyma): This यह एक अन्य प्रकार की सरल स्थायी ऊतक जिसके कारण पौधों में लचीलापन होता है | यह पौधों के विभिन्न भागों जैसे- पत्ती एवं तना में बिना टूटे हुए लचीलापन लाता है | ऐसे ऊतक को कोलेन्काइमा कहते है |
गुण (Features):
(i) यह पौधों के पत्तीयों एवं तनों में लचीलापन लाता है |
(ii) यह पौधों को यांत्रिक सहायता भी प्रदान करता है |
(iii) इस ऊतक की कोशिकाएँ जीवित, लंबी, और अनियमित ढंग से कोनों पर मोटी होती हैं |
(iv) कोशिकाओं के बीच कम स्थान होता है |
हम इस ऊतक को एपिडर्मिस के नीचे पर्णवृत में पा सकते हैं |
(3) स्केरेनकाईमा (sclerenchyma): यह एक अन्य प्रकार का सरल स्थाई ऊतक है जो पौधों को कठोर एवं मजबूत बनाता है | इस प्रकार के सरल स्थायी ऊतक को स्केरेन्काइमा कहते है | उदाहरण: नारियल के छिलके |
ये ऊतक तने में, संवहन बण्डल के समीप, पत्तों की शिराओं में तथा बीजों और फलों के कठोर छिलके में उपस्थित होता है |
गुण (Features):
(i) इस ऊतक की कोशिकाएँ मृत होती हैं |
(ii) ये लंबी एवं पतली होती है क्योंकि इस ऊतक की भीति लिग्निन के कारण मोटी होती है |
(iii) ये भित्तियाँ प्राय: इतनी मोटी होती हैं कि कोशिका के भीतर कोई आंतरिक स्थान नहीं होता है |
(iv) यह पौधों के भागों को मजबूती प्रदान करता है |
लिग्निन (Lignin): लिग्निन कोशिकाओं को दृढ बनाने के लिए सीमेंट का कार्य करने वाला एक रासायनिक पदार्थ है |
पैरेंकाइमा, कोलेन्काईमा और स्क्लेरेन्काइमा के बीच अंतर:
Differentiation among Parenchyma, collenchymas and Sclerenchyma:
पैरेंकाइमा |
कोलेन्काईमा |
स्क्लेरेन्काइमा |
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