अध्याय 4: परमाणु की संरचना
परमाणु (Atom): पदार्थ के सबसे सूक्ष्मतम एवं अविभाज्य कण को परमाणु कहते हैं |
परमाणु के तीन अवपरमाणुक कण (subatomic particles) होते हैं |
(i) प्रोट्रॉन (Protron)
(ii) न्यूट्रॉन (Neutron)
(iii) इलेक्ट्रान (Electron)
परमाणु के अन्दर उपस्थित ये अवपरमाणुक कणों में से दो कण आवेशित होते हैं :
(i) प्रोट्रान (Protron): यह धन आवेशित (+) कण होता है जो परमाणु के नाभिक (भीतरी भाग ) में रहता है | यह तत्व के सभी रासायनिक गुण धर्म को प्रदर्शित करता है | परमाणु में प्रोट्रान के घटने या बढ़ने से उसके रासायनिक गुणधर्म भी बदल जाते हैं |
- प्रोट्रॉन को p+ से दर्शाया जाता है |
- इनका द्रव्यमान इलेक्ट्रान k अपेक्षा लगभग 2000 गुणा अधिक होता है |
- प्रोट्रॉन का द्रव्यमान 1 इकाई और इसका आवेश +1 लिया जाता है |
- इन्हें असानी से नहीं निकाला जा सकता है क्योंकि ये नाभिक में रहते है यदि इन्हें निकाला गया तो नाभिक टूट जायेगा |
प्रोट्रॉन की खोज ई. गोल्डस्टीन ने किया था |
(ii) इलेक्ट्रान (Electron): परमाणु: यह ऋण आवेशित (-) कण है जो नाभिक के चारों ओर भिन्न-भिन्न और निश्चित कक्षाओं में चक्कर काटते हैं |
- इसे e- द्वारा दर्शाया जाता है |
- इलेक्ट्रान का द्रव्यमान नगण्य और आवेश -1 लिया जाता है |
- इलेक्ट्रॉन्स को आसानी से निकाला जा सकता है |
इलेक्ट्रान की खोज जे. जे. टॉमसन की थी |
(iii) न्यूट्रॉन (Neutron): न्यूट्रॉन परमाणु के नाभिक में उपस्थित बिना आवेश वाला कण है जिस पर कोई आवेश नहीं होता है |
न्यूट्रॉन की खोज:
1932 में जे. चैडविक ने एक और अवपरमाणुक कण को खोज निकाला, जो अनावेशित और द्रव्यमान में प्रोटाॅन के बराबर था। अंततः इसका नाम न्यूट्राॅन पड़ा।
- हाइड्रोजन को छोड़कर ये सभी परमाणुओं के नाभिक में होते हैं।
- समान्यतः, न्यूट्राॅन को 'n' से दर्शाया जाता है।
- परमाणु का द्रव्यमान नाभिक में उपस्थित प्रोटाॅन और न्यूट्रॉन के द्रव्यमान के योग के द्वारा प्रकट किया जाता है।
उदासीन परमाणु: समान्यत: कोई भी परमाणु उदासीन होता है क्योंकि परमाणु में धन प्रोट्रानो की संख्या ऋण इलेक्ट्रानों की संख्या के बराबर होता है यही कारण है कि किसी भी परमाणु पर नेट आवेश शून्य होता है और परमाणु उदासीन होते है |
- जे. जे टॉमसन पहले वैज्ञानिक थे जिन्होंने परमाणु का मॉडल प्रस्तुत किया |
केनाल किरणें : केनाल किरणें विसर्जन नलिका के एनोड से निकलने वाले धन आवेशीत कणों की धारा है, जब बहुत ही कम दाब पर गैस में से विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है।
उदासीन परमाणु: समान्यत: कोई भी परमाणु उदासीन होता है क्योंकि परमाणु में धन प्रोट्रानो की संख्या ऋण इलेक्ट्रानों की संख्या के बराबर होता है यही कारण है कि किसी भी परमाणु पर नेट आवेश शून्य होता है और परमाणु उदासीन होता है |
जैसे ऑक्सीजन (O) के परमाणु में 8 धन प्रोट्रान होते है उतनी ही ऋण इलेक्ट्रान होते है |