जैवमंडल (Biosphare) :
जीवमंडल (Biosphere): जीवन को आश्रय देने वाला पृथ्वी का घेरा जहाँ वायुमंडल, स्थलमंडल तथा जल मंडल एक दुसरे से मिलकर जीवन को संभव बनाते हैं उसे जीवमंडल कहते है |
जीवमंडल के भाग :
(i) वायुमंडल (Atmosphere)
(ii) स्थलमंडल (Lithosphere)
(iii) जलमंडल (Hydrosphere )
(i) वायुमंडल (Atmosphere): वायु जो पूरी पृथ्वी को कंबल की भांति ढके रहती है वायुमंडल कहलाता है |
(ii) स्थलमंडल (Lithosphere): पृथ्वी के सबसे बाहरी परत को स्थलमंडल कहते हैं |
(iii) जलमंडल (Hydrosphere): पृथ्वी के सतह का लगभग 75% भाग पर पानी है, समुद्र, नदियाँ, झीलों, तालाबों और अन्य जलाशयों को सम्मिलित रूप से जलमंडल कहते हैं |
जैव घटक (Biotic Component): जीवमंडल के सभी सजीवों को जैव घटक कहा जाता हैं | जैसे- पेड़-पौधे, जंतु एवं सूक्ष्मजीव आदि |
अजैव घटक (Abiotic Component): जीवमंडल के वायु, जल, और मृदा आदि निर्जीव घटकों को अजैव घटक कहते हैं |
पृथ्वी पर जीवन के लिए उत्तरदायी कारक :
(i) वायु
(ii) तापमान
(iii) पानी
(iv) भोजन
वायु के घटक (The Components of Air):
वायु कई गैसों जैसे नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड और जलवाष्प का मिश्रण है। वायु में नाइट्रोजन 78 % और ऑक्सीजन 21% होते हैं। कार्बन डाइऑक्साइड बहुत कम मात्रा में वायु में होती है। हीलियम, नियान, ऑर्गन और क्रिप्टान जैसे उत्कृष्ट गैसें अल्प मात्रा में होती हैं।
पृथ्वी के तापमान को नियंत्रित रखने में वायुमंडल की भूमिका :
(i) वायु ऊष्मा का कुचालक है | वायुमंडल पृथ्वी के औसत तापमान को दिन के समय और यहाँ तक कि पूरे वर्षभर लगभग नियत रखता है |
(ii) वायुमंडल दिन में तापमान को अचानक बढ़ने से रोकता है और रात के समय ऊष्मा को बाहरी अंतरिक्ष में जाने की दर को कम करता है |
CO2 को स्थिर करने की विधियाँ :
कार्बन डाइऑक्साइड दो विधियों से स्थिर होती है:
(i) हरे पेड़ पौधे सूर्य की किरणों की उपस्थिति में कार्बन डाइऑक्साइड को ग्लूकोज में बदल देते हैं |
(ii) बहुत-से समुद्री जंतु समुद्री जल में घुले कार्बोनेट से अपने कवच बनाते हैं |
वायु प्रवाह (पवन) के कारण :
स्थल और जलाशयों के ऊपर विषम रूप में वायु के गर्म होने के कारण पवने उत्पन्न होती हैं | स्थल के ऊपर की वायु तेजी से गर्म होकर होकर ऊपर उठना शुरू करती है और ऊपर उठते ही वहाँ कम दाब का क्षेत्र बन जाता है और समुद्र के ऊपर की वायु कम दाब वाले क्षेत्र की ओर प्रवाहित होने लगता है | एक क्षेत्र से दुसरे क्षेत्र में वायु की गति पवनों का निर्माण करती है |पृथ्वी के विभिन्न भागों का तापमान, पृथ्वी की घूर्णन गति एवं पवन के मार्ग में आने वाली पर्वत श्रृंखलाएँ पवन को प्रभावित करने वाली कारकें हैं |
बादलों का निर्माण :
दिन के समय जब जलीय भाग गर्म हो जाते हैं, तब बहुत बड़ी मात्रा में जलवाष्प बन जाती है | जलवाष्प की कुछ मात्रा विभिन्न जैविक क्रियाओं के कारण वायुमंडल में चली जाती हैं | यह गर्म वायु के साथ मिलकर ये ऊपर की ओर उठ जाती हैं | ऊपर जाकर ये फैलती हैं और ठंठी हो जाती हैं |
वायुमंडल कंबल की तरह कार्य करता है :
वायुमंडल पृथ्वी के औसत तापमान को दिन के समय और यहाँ तक कि पूरे वर्षभर लगभग नियत रखता है | वायुमंडल दिन में तापमान को अचानक बढ़ने से रोकता है और रात के समय ऊष्मा को बाहरी अंतरिक्ष में जाने की दर को कम करता है | यही कारण है कि पृथ्वी का वायुमंडल कंबल की तरह कार्य करता है |
संवहन धाराएँ उत्पन्न होने के कारण : स्थलीय भाग या जलीय भाग से होने वाले विकिरण के परावर्तन तथा पुनर्विकिरण के कारण वायुमंडल गर्म होता है | गर्म होने पर वायु में संवहन धाराएँ उत्पन्न होती है |
समुद्री पवनों का बहना : स्थल के ऊपर की वायु तेजी से गर्म होकर होकर ऊपर उठना शुरू करती है और ऊपर उठते ही वहाँ कम दाब का क्षेत्र बन जाता है और समुद्र के ऊपर की वायु कम दाब वाले क्षेत्र की ओर प्रवाहित होने लगता है |