पाठ - 8
नियंत्रण
नियंत्रण - नियंत्रण से निष्पादन एवं मानको के विचलन का ज्ञान होता है, यह विचलनो का विश्लेषण करता है तथा उन्हीं के आधार पर उसके सुधर के लिए का करता है|
नियंत्रण की प्रकृति :-
1. नियंत्रण एक उद्देश्यपूर्ण कार्य है
2. नियंत्रण एक सर्वव्यापक क्रिया है
3. नियंत्रण सतत् कार्य है
4.नियंत्रण एक पीछे की ओर देखने की प्रक्रिया है
5.नियंत्रण एक गतिशील प्रक्रिया है
6.नियंत्रण एक सकारात्मक प्रक्रिया है
नियंत्रण का महत्व :-
1. नियंत्रण संगठनात्मक लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता करता है : नियंत्रण नियोजन की निगरानी करता हैं | नियंत्रण वांछित व वास्तविक कार्यों के बीच विचलन का पता लगा कर ,उनकों शीघ्र दूर करता हैं और संगठनात्मक लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता हैं |
2. मानकों की यथार्थता को आँकना : नियंत्रण मानकों की यथार्थता को भी आंकनें का कार्य करता हैं | जब वास्तविक कार्य प्रगति व मानकों की तुलना की जाती हैं तो यह भी जाँच की जाती हैं कि प्रमाप सामान्य से अधिक है या कम ,तथा आवश्यकता पड़ने पर उनका पुनर्निर्माण भी किया जाता हैं |
3. संसाधन का कुशलतम प्रयोग करने में सहायता : नियंत्रण के अंतर्गत यह भी देखा जाता है कि सभी कार्य निर्धारित प्रमापों के अनुसार किए जाए | इसप्रकार व्यवसाय के कर्मचारी अनावश्यक साधनों व समय का अधिक उपयोग नहीं करते है और सभी कार्य कुशलता पूर्वक पुरे किए जाते हैं |
4. कर्मचारियों की अभिप्रेरणा में सुधार : नियंत्रण व्यवस्था लागू होने से व्यवसाय के सभी कर्मचारी अपना कार्य पूरी लगन से करते हैं क्योंकि वह जानते है कि उनके कार्यों की समीक्षा की जाएगी |