अध्याय - 4
नियोजन
नियोजन - नियोजन से अभिप्राय उस प्रक्रिया से है जिसके अंतर्गत लक्ष्यों को निर्धारित किया जाता है तथा निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए योजना बनाई जाती है |
नियोजन की विशेषताए -
1. नियोजन का मुख्य केंद्र बिंदु लक्ष्य प्राप्ति है - किसी कार्य की शुरुआत नियोजन से होती हैं और नियोजन की शुरुआत उद्येश्य से | इस प्रकार नियोजन लक्ष्य प्राप्ति की ओर ध्यान केन्द्रित करता हैं |
2. नियोजन सर्वव्यापी है - नियोजन एक ऐसी प्रक्रिया हैं जो सभी प्रकार के प्रबंधक और व्यवसाय के लिए आवश्यक हैं चाहे वह प्रबंध का निम्न स्तर हो या उच्च स्तर | क्योंकि कोई भी कार्य बिना पूर्व नियोजन के संभव नहीं हैं |
3. नियोजन प्रबंध का प्रथम कार्य है - नियोजन प्रबंध का सबसे प्रथम कार्य हैं क्योंकि यह प्रबंध के सभी कार्यों में से सर्वप्रथम किए जाने वाला कार्य हैं जो अन्य सभी कार्यों को आधार उपलब्ध करता हैं |
4. नियोजन एक निरंतर प्रक्रिया - नियोजन एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया हैं क्योंकि निरंतर प्रवर्तनशील वातावरण में कार्य करने वाले व्यवसाय को वातावरण के अनुसार अपनी क्रियाओं में भी बदलाव करना पड़ता हैं और इसके लिए नियोजन का कार्य भी दोहरान पड़ता हैं |
5. नियोजन भविष्यवादी है - नियोजन के अंतर्गत भविष्य से संबंधित निर्णय लिए जाते हैं जैसे - क्या करना है, कब करना है, किसके द्वारा किया जाना हैं यह सभी भविष्य से संबंधित हैं |
6. नियोजन में निर्णय शामिल है - नियोजन में विभिन्न विकल्पों में से बेहतरीन विकल्प का चयन किया जाता हैं इस प्रकार इसमें निर्णयन भी शामिल हैं |
7. नियोजन एक मानसिक अभ्यास है - क्योंकि नियोजन में विभिन्न कार्यों को करने के लिए बेहतर विधिओं का चयन किया जाता हैं और इन विकल्पों को सोच-विचार कर ही विकसित किया जाता हैं इस प्रकार यह एक मानसिक क्रिया हैं |