दक्षिण एशिया : बंगलादेश, भूटान, भारत, माल दीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्री लंका आदि देशों को इंगित करने के लिए 'दक्षिण एशिया' पद का उपयोग किया जाता है |
दक्षिण एशिया की भौगोलिक स्थिति :
उत्तर की विशाल हिमालय पर्वत-श्रृंखला, दक्षिण का हिन्द महासागर, पश्चिम का अरब सागर और पूरब में मौजूद बंगाल की खाड़ी से यह इलाका एक विशिष्ट प्राकृतिक क्षेत्र के रूप में नजर आता है। यह भौगोलिक विशिष्टता ही
इस उप-महाद्वीपीय क्षेत्र के भाषाई, सामाजिक तथा सांस्कृतिक अनूठेपन के लिए जिम्मेदार है | इस क्षेत्र की चर्चा में जब-तब अफगानिस्तान और म्यांमार को भी शामिल किया जाता है।
दक्षिण एशिया की राजनीति एवं शासन व्यवस्था:
(i) दक्षिण एशिया के विभिन्न देशों में एक-सी राजनितिक प्रणाली नहीं है |
(ii) अनेक समस्याओं और सीमाओं के बावजूद भारत और श्रीलंका में ब्रिटेन से आज़ाद होने के बाद, लोकतान्त्रिक व्यवस्था सफलतापूर्वक कायम है |
(iii) भारत और श्रीलंका एक राष्ट्र के रूप में हमेशा लोकतान्त्रिक रहे है |
(iv) पाकिस्तान और बंगलादेश में लोकतांत्रिक और सैनिक दोनों तरह के नेताओं का शासन रहा है |
(v) भूटान में राजतन्त्र है |
(vi) नेपाल में 2006 तक संवैधानिक राजतन्त्र था और बाद में लोकतंत्र की बहाली हुई थी |
(vii) मालद्विप सन 1968 तक सल्तनत हुआ करता था | अब यहाँ लोकतंत्र है |
दक्षिण एशिया में लोकतंत्र का अनुभव : दक्षिण एशिया के पाँच देशों में लोकतंत्र को व्यापक जन-समर्थन हासिल है | इन देशों में हर वर्ग और धर्म के आम नागरिक लोकतंत्र को अच्छा मानते है और प्रतिनिधिमूलक लोकतंत्र की संस्थाओं का समर्थन करते हैं | इन देशों ने इन मिथक को तोड़ दिया है कि लोकतंत्र केवल धनी देशों में ही फल-फुल सकता है | अत: दक्षिण एशिया के लोकतंत्र के अनुभवों से लोकतंत्र से लोकतंत्र की वैश्विक कल्पना का दायरा बढ़ा है |
पाकिस्तान में लोकतंत्रीकरण में कठिनाइयाँ : पाकिस्तान में बार-बार सैनिक शासकों द्वारा तख्ता पलट हुआ है, जिसके कारण पाकिस्तान में कभी भी लोकतंत्र स्थायी रूप के कार्य नहीं कर पाया है | पाकिस्तान में लोकतंत्रीकरण के निम्नलिखित कठिनाइयाँ हैं :
(i) यहाँ सेना, धर्मगुरु और भू-स्वामी अभिजनों का सामाजिक दबदबा है | इसके कारण कई बार निर्वाचित सरकारों को गिराकर सैनिक शासन कायम हुआ है |
(ii) पाकिस्तान की भारत के साथ हमेशा से तनातनी रही है, जिसकों भुना कर (फायदा उठाकर) यहाँ के सैनिक शासक या धर्मगुरु लोकतान्त्रिक सरकार में खोट दिखाकर यहाँ की जनता को बताते है की पाकिस्तान की सुरक्षा ख़तरे में है | और सता पर काबिज हो जाते है |
(iii) पाकिस्तान में अधिकांश संगठनों द्वारा सैनिक शासन को जायज ठहराया जाता है |
(iv) पाकिस्तान में लोकतांत्रिक शासन चले- इसके लिए कोई खास अंतर्राष्ट्रीय समर्थन नहीं मिलता। इस वजह से भी सेना को अपना प्रभुत्व कायम करने के लिए बढ़ावा मिला है।
(v) अमरीका तथा अन्य पश्चिमी देशों ने अपने-अपने स्वार्थों से गुजरे वक्त में पाकिस्तान में सैनिक शासन को बढ़ावा दिया है।
पाकिस्तान पश्चिमी हितों का रखवाला देश : अमरीका तथा पश्चिमी देशों को 'विश्वव्यापी इस्लामी आतंकवाद' से डर लगता है | इन देशों को यह भी डर सताता है कि पाकिस्तान के परमाण्विक हथियार कहीं इन आतंकवादी समूहों के हाथ न लग जाएँ। इन बातों के मद्देनजर पाकिस्तान को ये देश ‘पश्चिम’ तथा दक्षिण एशिया में पश्चिमी हितों का रखवाला मानते हैं।
भारत एवं पाकिस्तान युद्ध : बंगलादेश संकट : - याहिया खान के सैनिक शासन के दौरान पाकिस्तान को बंगला-देश संकट का सामना करना पड़ा | वर्तंमान का बंगला-देश पूर्व का पूर्वी-पाकिस्तान था जो पाकिस्तान एक हिस्सा था | 1971 में भारत के साथ पाकिस्तान का युद्ध हुआ और इस युद्ध के परिणामस्वरुप पूर्वी पाकिस्तान टूटकर स्वतंत्र देश बंगला-देश बना |
बांग्लादेश में लोकतंत्र और बांग्लादेश की समस्या : 1947 से 1971 तक बांग्लादेश पाकिस्तान का अंग था। इस क्षेत्र के लोग पश्चिमी पाकिस्तान के दबदबे और अपने ऊपर उर्दू भाषा को लादने के खि़लाफ थे। पाकिस्तान के निर्माण के तुरंत बाद ही यहाँ के लोगों ने बंगाली संस्कृति और भाषा के साथ किए जा रहे दुर्व्यवहार के खिलाफ विरोध् जताना शुरू कर दिया। इस क्षेत्र की जनता ने प्रशासन में अपने न्यायोचित प्रतिनिधित्व था राजनीतिक सत्ता में समुचित हिस्सेदारी की माँग भी उठायी। पश्चिमी पाकिस्तान के प्रभुत्व के खिलाफ जन-संघर्ष का नेतृत्व शेख मुजीबुर्रहमान ने किया। उन्होंने पूर्वी क्षेत्र के लिए स्वायत्तता की माँग की।
शेख मुजिर्बुहमान की नेतृत्व वाली आवामी लीग को 1970 के चुनावों में पूर्वी पाकिस्तान की सारी सीटों पर विजय मिली | अवामी लीग को सम्पूर्ण पाकिस्तान के लिए प्रस्तावित संविधान सभा में बहुमत मिल गया | लेकिन सरकार पर पश्चिमी पाकिस्तान का दबदबा होने के कारण इस सभा को आहूत करने से मना कर दिया और शेख मुजीब को गिरफ्तार कर लिया गया | जनरल याहिया खान के सैनिक शासन में पाकिस्तानी सेना ने बंगाली जनता के आन्दोलन को कुचलने की कोशिश की जिसमें हजारों लोग मारे गए | पूर्वी-पाकिस्तान से भारत में लोगों का पलायन शुरू हो गया और भारत सरकार ने वहां के लोगों के आज़ादी की माँग का समर्थन किया और उन्हें वितीय एवं सैन्य सहायता प्रदान की | इसी के परिणाम स्वरुप पाकिस्तान और भारत के बीच 1971 में युद्ध छिड़ गया | जिसमें पाकिस्तानी सेना को आत्मसमर्पण करना पड़ा |