अंतर्राष्ट्रीय संगठन : वे संगठन जिसका गठन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई देश मिलकर करते हैं, अन्तर्रष्ट्रीय संगठन कहलाते हैं |
जैसे - UN (संयुक्त राष्ट्र संघ), अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, UNESCO इत्यादि |
अंतर्राष्ट्रीय संगठन की आवश्यकता : अंतर्राष्ट्रीय संगठन विश्व के हर मर्ज की दवा नहीं है लेकिन ये निम्न कारणों से महत्वपूर्ण है |
(i) अंतर्राष्ट्रीय संगठन युद्ध और शांति के मामलों में मदद करते हैं।
(ii) वे देशों की सहायता करते हैं ताकि हम सब की बेहतर जीवन-स्थितियाँ कायम हों।
(iii) देशों के बीच मनमुटाव और झगड़े होते रहते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि अपने वैर-विरोध् के कारण वे एक-दूसरे से युद्ध ठान लें। इसकी जगह वे विभेद के मसलों पर बातचीत करते हैं और उसका एक शांतिपूर्ण समाधन ढूँढ़ते हैं।
(iv) वस्तुतः अधिकांश झगड़ों और विभेदों का समाधन बिना युद्ध के ही किया जाता है, लेकिन यह एक ऐसा तथ्य है जिस पर कम ध्यान जाता है। इस संदर्भ में अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की भूमिका महत्त्वपूर्ण हो जाती है।
(v) अंतर्राष्ट्रीय संगठन कोई शक्तिशाली राज्य नहीं होता जिसकी अपने सदस्यों पर धौंस चलती हो। अंतर्राष्ट्रीय संगठन का निर्माण विभिन्न राज्य ही करते हैं और यह उनके मामलों के लिए जवाबदेह होता है।
(vi) अंतर्राष्ट्रीय संगठन साझी चुनौतियों का सामना करते है और इनका समाधान भी निकालते हैं | जैसे- विश्वव्यापी बीमारियाँ, ग्लोबल वार्मिंग इत्यादि |
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (इंटरनेशनल मोनेटरी फण्ड IMF) : अंतर्राष्ट्रीय मुदा कोष वैश्विक स्तर का संगठन है जो वित्त-व्यवस्था की देखरेख करता है और माँगे जाने पर वित्तीय तथा तकनिकी सहायता मुहैया कराता है | 184 देश अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के सदस्य हैं |
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में मताधिकार का अधिकार : इसके सदस्य देशों में सभी देशों का वजन या मत बराबर नहीं है | अग्रणी दस सदस्यों के पास 55 प्रतिशत मत हैं। ये देश हैं - समूह-8 के सदस्य ;अमरीका, जापान, जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन, इटली, कनाडा और रूस तथा सऊदी अरब और चीन। अकेले अमरीका के पास 17.4 प्रतिशत मताधिकार हैं।
लीग ऑव नेशंस : द्वितीय विश्वयुद्ध से पहले अंतर्राष्ट्रीय झगड़ों के निपटारे के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन बनाया गया | जिसे लीग ऑव नेशंस नाम दिया गया | द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद लीग ऑव नेशंस के उतराधिकारी के रूप में संयुक्त राष्ट्संघ स्थापना की गयी |
लीग ऑव नेशंस की असफलता : यह संगठन द्वितीय विश्वयुद्ध रोकने में असफल रहा |
संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना : द्वितीय विश्वयुद्ध के तुरंत बाद 1945 में की गई |
संयुक्त राष्ट्रसंघ का उदेश्य :
(i) अंतर्राष्ट्रीय झगड़ों को रोकना और राष्ट्रों के बीच सहयोग की राह दिखाना |
(ii) ऐसे झगड़ों को रोकना जो आगे चलकर युद्ध का रूप ले लेगी |
(iii) यदि युद्ध छिड़ जाये तो युद्ध के दायरे को कम करना |
(iv) पुरे विश्व में सामाजिक-आर्थिक विकास की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए विभिन्न देशों को एक साथ लाना |
सुरक्षा परिषद् के कार्य :
(i) सुरक्षा परिषद् किसी ऐसे मामले पर तुरंत कार्य कर सकती है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के भंग होने का खतरा हो |
(ii) सुरक्षा परिषद् विश्व-शांति के लिए खतरा उत्पन्न करने वाले देश के विरुद्ध दंडात्मक कार्यवाही कर सकता है |
(iii) सुरक्षा परिषद् को विशिष्ट प्रदेशों की निगरानी का अधिकार प्राप्त है |
(iv) सुरक्षा परिषद् प्रादेशिक समस्याएँ सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है |
(v)
संयुक्त राष्ट्र संघ में सुधार की माँग : संयुक्त राष्ट्रसंघ के सामने दो तरह के बुनियादी सुधारों का मसला है। लगभग सभी देश सहमत हैं कि दोनों ही तरह के ये सुधर जरुरी हैं जो निम्नलिखित है |
(i) इस संगठन की बनावट और इसकी प्रक्रियाओं में सुधार किया जाए।
(ii) इस संगठन के न्यायाधिकार में आने वाले मुद्दों की समीक्षा की जाए।
शीतयुद्ध के बाद आये बदलाव :
(i) सोवियत संघ बिखर गया।
(ii) अमरीका सबसे ज्यादा ताकतवर है।
(iii) सोवियत संघ के उत्तराधिकारी राज्य रूस और अमरीका के बीच अब संबंध् कहीं ज्यादा सहयोगात्मक हैं।
(iv) चीन बड़ी तेजी से एक महाशक्ति के रूप में उभर रहा है भारत भी तेजी से इस दिशा में अग्रसर है।
(v) एशिया की अर्थव्यवस्था अप्रत्याशित दर से तरक्की कर रही है।
(v) अनेक नए देश संयुक्त राष्ट्रसंघ में शामिल हुए हैं
विश्व के सामने चुनौतियाँ :
विश्व के सामने चुनौतियों की एक पूरी नयी कड़ी जिसमें शामिल हैं :
(i) जनसंहार, (ii) गृहयुद्ध, (iii) जातीय संघर्ष, (iv) आतंकवाद, (v) परमाण्विक प्रसार, (vi) जलवायु में बदलाव, (vii) पर्यावरण की हानि और (viii) महामारी इत्यादि है।
1992 में संयुक्त राष्ट्रसंघ की आम सभा में एक प्रस्ताव में स्वीकृत तीन मुख्य शिकायत :
(i) सुरक्षा परिषद् अब राजनीतिक वास्तविकताओं की नुमाइंदगी नहीं करती।
(ii) इसके फैसलों पर पश्चिमी मूल्यों और हितों की छाप होती है और इन फैसलों पर चंद देशों का दबदबा होता है।
(iii) सुरक्षा परिषद् में बराबर का प्रतिनिधित्व नहीं है।
विश्व बैंक और उसका कार्य/योगदान :
दूसरे विश्वयुद्ध के तुरंत बाद सन् 1945 में विश्व बैंक की औपचारिक स्थापना हुई। इस बैंक की गतिविधियाँ प्रमुख रूप से विकासशील देशों से संबंधित हैं।
(i) यह बैंक मानवीय विकास (शिक्षा, स्वास्थ्य),
(ii) कृषि और ग्रामीण विकास ;सिंचाई, ग्रामीण सेवाएँ,
(iii) पर्यावरण सुरक्षा और प्रदूषण में कमी
(vi) यह अपने सदस्य-देशों को आसान ऋण और अनुदान देता है।
(v) नियमों का निर्माण और उन्हें लागू करना,
(vi) आधरभूत ढाँचा जैसे सड़क, शहरी विकास, बिजली)
(vii) सुशासन ;कदाचार का विरोध्,
(viii) वित्तीय संस्थाओं का विकास के लिए काम करता है।