वैश्वीकरण का अर्थ : वैश्वीकरण से अभिप्राय है किसी वस्तु, सेवा, पूँजी एवं बौद्धिक संपदा का एक देश से दुसरे देशों के साथ निर्बाध रूप से अदान-प्रदान करना और विश्व के अनेक देशों का राजनितिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक कारणों से एक मंच पर आना |
वैश्वीकरण के कारण :
(i) सेवाओं का आदान-प्रदान
(ii) वस्तुओं का आदान-प्रदान
(iii) रोजगार के अवसरों का उत्पन्न होना
वैश्वीकरण के सकारात्मक एवं नकारात्मक प्रभाव :
वैश्वीकरण के सकारात्मक प्रभाव :
(i) वस्तुओं एवं सेवाओं का प्रवाह
(ii) रोजगार के अवसरों का उत्पन्न होना
(iii) तकनीक एवं शिक्षा का अदान-प्रदान
(iv) जीवन शैली में परिवर्तन
(v) विश्व के लोगो से जुडाव
(vi) आर्थिक मजबूती प्रदान करना एवं आत्मनिर्भर बनाना
वैश्वीकरण के नकारात्मक प्रभाव :
(i) लघु-कुटीर उद्योग का पतन
(ii) आमिर अधिक अमीर और गरीब और गरीब हो जाता है |
(iii) सांस्कृतिक पतन
(iv) आर्थिक गतिविधियों का विदेशी कंपनियों का वर्चश्व
(v) पूंजीपतियों का वर्चश्व
वैश्वीकरण की विशेषताएँ :
(i) पूंजी, श्रम, वस्तु एवं विचारों का गतिशील एवं मुक्त प्रवाह |
(ii) पूंजीवादी व्यवस्था, खुलेपन एवं विश्व व्यापार में वृद्धि |
(iii) देशों की अर्थव्यस्थाओं के बीच आपसी जुडाव एवं आत्म निर्भरता |
(iv) विभिन्न आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनितिक घटनाओं में वैश्विक सहयोग एवं प्रभाव
वैश्वीकरण का राजनितिक प्रभाव :
(i) वैश्वीकरण के कारण अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं एवं बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हस्तक्षेप से राज्य कमजोर हुए है |
(ii) वैश्वीकरण के प्रभाव के बावजूद भी राज्यों की शक्तियाँ कम नहीं हुई है | राज्य अपनी इच्छानुसार कार्य को करने या न करने का निर्णय लेते हैं |
(iii) आधुनिक तकनीक एवं प्रौध्योगिकी की मदद से राज्य अपने नागरिकों को लाभदायक एवं सही सूचनाएँ प्रदान करने में सफल हुए हैं |
वैश्वीकरण का आर्थिक प्रभाव :
(i) वैश्वीकरण का आर्थिक प्रभाव बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि आर्थिक आधार पर ही वैश्वीकरण की धारणा ने अधिक जोर पकड़ा है |
(ii) वैश्वीकरण के कारण विश्व के अधिकांश देशों में आर्थिक प्रवाह बढ़ा है | इसके अंतर्गत वस्तुओं, सेवाओं, पूँजी तथा जनता का एक देश से दुसरे देश में जाना आसान हुआ है |
(iii) वैश्वीकरण के कारण अधिकांश लोगों को लाभ हुआ है और उनका जीवन स्तर में सुधार हुआ है |
वैश्वीकरण का सांस्कृतिक प्रभाव :
(i) वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभाव के विश्व के सभी देशों को प्रभावित किया है | इसमें लोगों का खान-पान, शिक्षा, पहनावा और सोंचने का ढंग शामिल है |
(ii) विकाशील देशों में पश्चिमी विकसित देशों की संस्कृतियों की छाप देखि जा सकती है | ऐसा पश्चिमी संस्कृति के फैलाव का परिणाम है |
(iii) विश्व के विकसित देश अपनी आर्थिक ताकत के बल पर विकाशील एवं पिछड़े देशों पर अपनी संस्कृति लादने का प्रयास कर रहे हैं |
विश्व का मैकडोनाल्डिकरण :
विश्व के मैकडोनाल्डिकरण का अर्थ यह है कि विश्व पर कुछ शक्तिशाली देशों विशेषकर अमेरिका का सांस्कृतिक प्रभाव लगातार बढ़ता ही जा रहा है | विश्व में बर्गर तथा नीली जींस की लोकप्रियता बढती जा रही है | मैकडोनाल्डिकरण के अंतर्गत विश्व वैसा ही बनता जा रहा है जैसा अमेरिकी सांस्कृतिक जीवन शैली बनाना चाहती है |
वैश्वीकरण का विरोध :
वैश्वीकरण बहस का एक बहुत बड़ा मुद्दा है और पूरी दुनिया में इसकी आलोचना हो रही है | विरोध के पीछे तर्क :
(i) वामपंथी राजनीतिक रुझान रखने वालों का तर्क है कि मौजूदा वैश्वीकरण विश्वव्यापी पूंजीवाद
की एक ख़ास अवस्था है जो धनिकों को और ज्यादा धनी और गरीब को और ज्यादा गरीब बनाती है।
(ii) राज्य के कमजोर होने से गरीबों के हित की रक्षा करने की उसकी क्षमता में कमी आती है।
(iii) वैश्वीकरण के दक्षिणपंथी आलोचक इसके राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभावों को लेकर चिंतित हैं। राजनीतिक अर्थों में उन्हें राज्य के कमजोर होने की चिंता है। वे चाहते हैं कि कम से कम कुछ क्षेत्रों में आर्थिक आत्मनिर्भरता और ‘संरक्षणवाद’ का दौर फिर कायम हो।
(iv) कुछ लोग इसके सांस्कृतिक प्रभाव को लेकर चिंतित हैं | सांस्कृतिक संदर्भ में इनकी चिंता है कि परंपरागत संस्कृति की हानि होगी और लोग अपने सदियों पुराने जीवन-मूल्य तथा तौर-तरीकों से हाथ धे देंगे।
(v) कुछ लोग इसे साम्राज्यवाद का एक रूप मानते हैं |
आर्थिक वैश्वीकरण के दो दोष :
(i) आर्थिक वैश्वीकरण के कारण विकासशील देशों की आर्थिक व्यवस्था विकसित देशों पर निर्भर हो गई है |
(ii) आर्थिक वैश्वीकरण के कारण विश्व में निर्धनता एवं बेरोजगारी बढ़ी है |
कुछ लोग वैश्वीकरण को पुन: उपनिवेशीकरण मानते है :
वैश्वीकरण के कारण विकाशील और कमजोर राज्यों पर विकसित और धनी देशों का आर्थिक एवं राजनैतिक प्रभाव बढ़ता ही जा रहा है | बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ किसी भी विकाशील देशों में विकसित देशों की नीतियों पर कार्य करती है और उन्ही करे लाभ के लिए कार्य करती है | इससे कई बार विकाशील देशों को मज़बूरी में विकसित देशों की बातों को मानना पड़ता है, इससे वे देश आर्थिक तौर पर उनके आधीन होते जा रहे है | यही कारण है कि वैश्वीकरण को पुन: उपनिवेशीकरण माना जा रहा है |
प्रद्योगिकी में उन्नति का वैश्वीकरण पर प्रभाव :
प्रौद्योगिकी में हुई तरक्की और आपसी जुडाव की मान्यता ने वैश्वीकरण को बहुत अधिक प्रभावित किया है | इससे लोगों के बीच जुडाव काफी तेजी से बढ़ा है, विशेषकर संचार प्रौद्योगिकी ने तो क्रांति ही ला दिया है | इसने इतनी प्रगति की है जैसे विश्व को एक छोटा सा गाँव बना दिया है | चंद मिनटों में विश्व के एक कोने से दुसरे कोने में वस्तुए एवं सेवाएं तुरंत पहुंचाई जा रही है और लोगों का जीवन खुशहाल और समृद्ध हो रहा है |
वैश्वीकरण के कारण राज्यों पर प्रभाव :
वैश्वीकरण के कारण राज्य कमजोर हुए हैं इसका पहला पक्ष है |
(i) वैश्वीकरण के कारण अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं एवं बहुराष्ट्रीय कंपनियों का राज्यों के मामलों में हस्तक्षेप बढ़ा है जिसके कारण राज्य कमजोर हुए हैं |
वैश्वीकरण के कारण राज्य शक्तिशाली हुए हैं इसका दूसरा पक्ष है |
(i) वैश्वीकरण के कारण राज्यों को नई तकनीकें एवं आधुनिक प्रौद्योगिकी प्राप्त हुई है जिससे वे अपने लोगों को अधिक से अधिक सुविधाएँ देकर लाभ कमा रहे है |
WSF का पूरा नाम : विश्व-व्यापी मंच ‘वर्ल्ड सोशल फोरम’
WSF (विश्व-व्यापी मंच) : विश्व व्यापी मंच एक फोरम है जहाँ इस मंच के तहत मानवाधिकार - कार्यकर्त्ता, पर्यावरणवादी, मजदूर, युवा और महिला कार्यकर्त्ता एकजुट होकर नव-उदारवादी वैश्वीकरण का विरोध् करते हैं।
WSF की बैठके : ‘वर्ल्ड सोशल फोरम’ की पहली बैठक 2001 में ब्राजील के पोर्टो अलगेरे में
हुई। 2004 में इसकी चौथी बैठक मुंबई में हुई थी। इसकी सातवीं बैठक नैरोबी (कीनिया) में जनवरी, 2007 में हुई है।
बहुराष्ट्रीय कंपनियों का राज्यों पर प्रभाव :
(i) बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने राज्यों में अधिक से अधिक निवेश करके राज्यों की आर्थिक शक्ति को कम किया है | जिससे उनकी एटीएमनिर्भरता कम हुई है |
(ii) बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने अपनी आर्थिक शक्तियों के कारण राज्यों के राजनितिक निर्णयों को प्रभावित किया है |
भारत में संरक्षणवाद के नकारात्मक परिणाम :
(i) भारत में संरक्षणवाद की निति के कारण आर्थिक विकास की दर बहुत कम है |
(ii) संरक्षणवादी निति के कारण भारत में सामाजिक एवं आर्थिक बुनियादी विकास नहीं हो पाया |
संचार क्रांति का वैश्वीकरण पर प्रभाव :
(i) संचार क्रांति से वैश्वीकरण को काफी बल मिला है, संचार साधनों के विकास और इसके नई तकनीक ने वैश्वीकरण के प्रवाह सम्पूर्ण विश्व में तीव्र गति दी है |
(ii) टेलीग्राफ, टेलीफोन, इन्टरनेट और माइक्रोचिप के नवीनतम अविष्कारों ने विश्व के सभी भागों में संचार क्रांति पैदा कर दी है |
(iii) आधुनिक प्रौद्योगिकी और सूचनाओं के अदान-प्रदान से हमारे सोंचने के तरीके को भी प्रभावित किया है | इससे हम कह सकते हैं कि संचार ने वैश्वीकरण को एक नया आयाम दिया है |
वैश्वीकरण के विकास अथवा वैश्वीकरण के लिए उतरदायी तत्व :
(i) नए परिवेश में सभी राष्ट्रों के बीच परस्पर बढती आत्मनिर्भरता |
(ii) विकासशील देशों के लिए विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष पर निर्भरता, इन संस्थाओं ने वैश्वीकरण को बढ़ावा दिया है |
(iii) विश्व का निरंतर विकास और साधनों की आवश्यकता भी वैश्वीकरण का एक प्रमुख कारण है |
बहुराष्ट्रीय कंपनिया : देश के बाहर एक से अधिक देशों में संसाधनों एवं उत्पादनों को नियंत्रण करने वाली कंपनियों को बहुराष्ट्रीय कंपनियां कहते हैं |
कल्याणकारी राज्य की विफलता : वर्त्तमान परिस्थियों में लगभग सभी देशों में जहाँ कल्याणकारी राज्य कार्यरत है, विफल हुआ है | इसका प्रमुख कारण उत्पादन और इसके गुणवता में कमी है | दूसरा कारण पूँजी का आभाव है | तीसरा लाभ के बजाय घाटे की निति भी है |
बाजार व्यवस्था ने वैश्वीकरण को बढ़ावा दिया है :
(i) कल्याणकारी राज्य के विफलता के कारण बाजार व्यवस्था काफी उन्नत हुई है, निजीकरण ने इसकों और बल दिया है |
(ii) खुली बाजार व्यवस्था ने बहुराष्ट्रीय कंपनियों को नए नए क्षेत्र दिए है जिससे राज्य के कल्याणकारी कार्यों को सिमित किया है |
भारत में वैश्वीकरण के प्रभाव : सदियों से भारत पूँजी, विचार, वस्तु और लोगों की आवाजाही के कारण विश्व से जुड़ा हुआ है लेकिन वर्त्तमान परिस्थियों में भारत में वैश्वीकरण के प्रभाव निम्नलिखित है |
(i) नई आर्थिक निति विदेशी निवेश को बढ़ावा |
(ii) रोजगार के नए अवसरों का सृजन
(iii) लोगों की आवाजाही और तकनिकी और प्रौद्योगिकी का विकास
(iv) विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि
(v) लोगों के जीवन स्तर में सुधार और जीवनशैली में बदलाव
भारत में वैश्वीकरण का विरोध का कारण :
(i) वैश्वीकरण का लाभ कुछ लोगों तक ही सिमित है |
(ii) गरीबों और किसानों को इसका कोई लाभ नहीं हुआ है |
(iii) विरोध करने वालों में वामपंथी दल, कुछ स्वयंसेवी संगठन और पर्यावरणविद शामिल है, वे वैश्वीकरण की धारणा का विरोध करते हैं |