1990 के दशक में यूरोप में यूरोपीय संघ और एशिया में दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्रों का संगठन (आसियान) का उदय हुआ |
यूरोपीय संघ और आसियान का प्रभाव :
(i) अपने-अपने इलाकों में चलने वाली ऐतिहासिक दुश्मनियों और कमजोरियों का क्षेत्रीय स्तर पर समाधान निकला |
(ii) इन्होने अपने-अपने इलाकों में अधिक शांतिपूर्ण और सहकारी क्षेत्रीय व्यवस्था विकसित की और इन क्षेत्रो के देशों के अर्थव्यवस्थाओं का समूह बनाने के दिशा में काम किया |
1945 के बाद यूरोप के देशों में मेल-मिलाप :
(i) यूरोपीय देशों के आपसी संबंधों पर आधारित मान्यताओं और व्यवस्थाओं को द्वितीय विश्व युद्ध ने ध्वस्त कर दिया था |
(ii) यूरोपीय देशों की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो चुकी थी |
(iii) अमेरिका ने यूरोप की अर्थव्यवस्था को पुनर्गठन के लिए जबरदस्त मदद की |
(iv) अमेरिका ने 'नाटों' के तहत एक सामूहिक सुरक्षा व्यवस्था को जन्म दिया |
(v) मार्शल योजना के तहत 1948 में यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन की स्थापना की गई जिसके माध्यम से पश्चिमी यूरोप के देशों को आर्थिक मदद दी गई |
यूरोप के पूँजीवादी देशों की अर्थव्यवस्था का एकीकरण :
(i) पश्चिमी यूरोप के देशों ने व्यापार और आर्थिक मामलों में एक दुसरे की मदद की |
(ii) 1949 में गठित यूरोपीय परिषद् राजनैतिक सहयोग के मामले में एक अगला कदम साबित हुआ |
(iii) 1957 में यूरोपीयन इकनोमिक कम्युनिटी का गठन हुआ |
(iv) यूरोपीयन पार्लियामेंट के गठन के बाद इस प्रक्रिया ने राजनीतिक स्वरूप प्राप्त कर लिया।
यूरोपीय संघ की स्थापना :
सोवियत गुट के पतन के बाद यूरोपी अर्थव्यवस्था के एकीकरण की प्रक्रिया में तेजी आयी और 1992 में इस प्रक्रिया के परिणामस्वरुप यूरोपीय संघ की स्थापना के रूप में हुई।
यूरोपीय संघ के बाद की निति :
(i) विदेश और सुरक्षा निति
(ii) आंतरिक मामलों तथा न्याय से जुड़ें मुद्दे
(iii) एक सामान मुद्रा का चलन
यूरोपीय संघ का राजनैतिक स्वरुप : यूरोपीय संघ की स्थापना एक आर्थिक सहयोग वाली व्यवस्था के रूप में हुई थी परन्तु बाद में यह बदलकर एक राजनैतिक रूप लेता चला गया | यूरोपीय संघ स्वयं काफी हद तक एक विशाल राष्ट्र-राज्य की तरह कार्य करने लगा है | यूरोपीय संघ का एक संविधान बनाने की कोशिश असफल हो गई, परन्तु इसका अपना झंडा, गान. स्थापना दिवस और अपनी मुद्रा है |
यूरोपीय संघ का विस्तार : यूरोपीय संघ में शामिल नए सदस्य देश मुख्यत: भूतपूर्व सोवियत खेमे के थे | ऐसा यूरोपीय संघ के विस्तार के लिए किया गया |
संयुक्त राष्ट्र संघ में यूरोपीय संघ का देश : संयुक्त राष्ट्र संघ में स्थायी सदस्यता वाले यूरोपीय संघ देश हैं : (i) फ्रांस और (ii) ब्रिटेन
यूरोपीय संघ का आर्थिक प्रभाव :
(i) 2005 में यह दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी और इसका सकल घरेलू उत्पादन 12000 अरब डालर से ज्यादा था जो अमरीका से भी थोड़ा ज्यादा ही था।
(ii) इसकी मुद्रा यूरो अमरीकी डालर के प्रभुत्व के लिए खतरा बन सकती है।
(iii) विश्व व्यापार में इसकी हिस्सेदारी अमरीका से तीन गुनी ज्यादा है और इसी के चलते यह अमरीका और चीन से व्यापारिक विवादों में पूरी धौंस के साथ बात करता है।
(iv) इसकी आर्थिक शक्ति का प्रभाव इसके नजदीकी देशों पर ही नहीं, बल्कि एशिया और अफ्रीका के दूर-दराज के मुल्कों पर भी है।
(v) यह विश्व व्यापार संगठन जैसे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संगठनों के अंदर एक महत्त्वपूर्ण समूह के रूप में काम करता है।
यूरोपीय संघ का राजनैतिक प्रभाव : यूरोपीय संघ निम्न कारणों से अमेरिकी व विश्व राजनीति को प्रभावित करता है :
(i) यूरोपीय संघ के दो सदस्य देश ब्रिटेन और फ्रांस सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्य हैं। यूरोपीय संघ के कई और देश सुरक्षा परिषद् के अस्थायी सदस्यों में शामिल हैं। इसके चलते यूरोपीय संघ अमरीका समेत सभी मुल्कों की नीतियों को प्रभावित करता है।
(ii) ईरान के परमाणु कार्यक्रम से संबंधित अमरीकी नीतियों को हाल के दिनों में प्रभावित करना इसका एक ताजा उदाहरण है |
यूरोपीय संघ का कुटनीतिक तथा सैनिक प्रभाव :
(i) चीन के साथ मानवाधिकारों के उल्लंघन और पर्यावरण विनाश के मामलों पर धमकी या सैनिक शक्ति का उपयोग करने की जगह कूटनीति, आर्थिक निवेश और बातचीत की इसकी नीति ज्यादा प्रभावी साबित हुई है।
(ii) सैनिक ताकत के हिसाब से यूरोपीय संघ के पास दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सेना है। इसका कुल रक्षा बजट अमरीका के बाद सबसे अधिक है।
(iii) यूरोपीय संघ के दो देशों - ब्रिटेन और फ्रांस के पास परमाणु हथियार हैं और अनुमान है कि
इनके जखीरे में करीब 550 परमाणु हथियार हैं।
(iv) अंतरिक्ष विज्ञान और संचार प्रौद्योगिकी के मामले में भी यूरोपीय संघ का दुनिया में दूसरा
स्थान है।
यूरोपीय संघ के देशों का अपनी-अपनी विदेश और रक्षा निति :
अधिराष्ट्रीय संगठन के तौर पर यूरोपीय संघ आर्थिक, राजनैतिक और सामाजिक मामलों में दखल देने में सक्षम है। लेकिन अनेक मामलों में इसके सदस्य देशों की अपनी विदेश और रक्षा नीति है जो कई बार एक-दूसरे के खिलाफ भी होती है। यही कारण है कि इराक पर अमरीकी हमले में ब्रिटेन के प्रधानमंत्राी टोनी ब्लेयर तो उसके साथ थे लेकिन जर्मनी और फ्रांस इस हमले के खिलाफ थे।
यूरोपीय संघ के देशों में आपसी में मतभेद :
(i) यूरोपीय संघ के देशों की अपनी-अपनी विदेश और रक्षा निति है जो समय-समय पर एक दुसरे के खिलाफ भी होती है |
(ii) यूरोप के कुछ हिस्सों में यूरो को लागू करने के कार्यक्रम को लेकर काफी नाराजगी है।
(iii) डेनमार्क और स्वीडन ने मास्ट्रिस्ट संधि और साझी यूरोपीय मुद्रा यूरो को मानने का प्रतिरोध् किया।
शांगेन वीजा : जिस समझौते पर शांगेन में दस्तख़त हुए उसके अनुसार आपको सिर्फ एक देश का वीजा लेना होगा और इस वीजा के बूते आप यूरोपीय संघ में शामिल अधिकांश देशों में जा सकेंगे । इस संधि (शांगेन संधि) ने यूरोपीय समुदाय के देशों के बीच सीमा नियंत्रण समाप्त कर दिया |
यूरोपीय कोयला और इस्पात समुदाय का गठन : अप्रैल 1951 को पश्चिमी यूरोप के छह देशों - फ्रांस, पश्चिम जर्मनी, इटली, बेल्जियम, नीदरलैंड और लक्जमबर्ग ने पेरिस संधि पर दस्तखत करके यूरोपीय कोयला और इस्पात समुदाय का गठन किया।
यूरोपीय समुदाय में बाद में शामिल होने वाले देश :
(i) जनवरी 1973 डेनमार्क, आयरलैंड और ब्रिटेन ने यूरोपीय समुदाय की सदस्यता ली |
(ii) जून 1979 ने यूरोपीय संसद के लिए पहला प्रत्यक्ष चुनाव हुआ |
(iii) जनवरी 1981 ने यूनान (ग्रीस) ने भी यूरोपीय समुदाय की सदस्यता ले ली |
(iv) इसके बाद जनवरी 1986 में स्पेन और पुर्तगाल ने भी सदस्यता ली |
मास्ट्रिस्ट संधि : फरवरी 1992 में यूरोपीय संघ के गठन के लिए मास्ट्रिस्ट संधि पर दस्तखत हुए |
नई मुद्रा यूरो का प्रचलन : जनवरी 2002 यूरोपीय संघ के 12 सदस्य देशों ने नई मुद्रा यूरो को अपनाया |