अध्याय 16. कचरा-संग्रहण एवं निपटान
- भराव क्षेत्र वह स्थान है, जहाँ शहर अथवा नगर के कचरे को एकत्र करके पाटा जाता है। कालांतर में इस क्षेत्र में पार्क बना देते हैं।
- हमारे दैनिक क्रियाकलापों से कचरा उत्पन्न होता है |
- कचरे में उपयोगी और अनुपयोगी दोनों अवयव होते हैं। अनुपयोगी अवयव को पृथक कर लेते हैैं और फिर इसे भराव क्षेत्र में फैलाकर मिट्टी की परत से ढक देते हैं।
- लगभग अगले 20 वर्षों तक भराव क्षेत्र पर कोई भवन निर्माण नहीं किया जाता।
- कचरे के उपयोगी अवयव के निपटान के लिए भराव क्षेत्रों के पास कम्पोस्ट बनाने वाले क्षेत्र विकसित किए जाते हैं।
- कुछ पदार्थों के विगलित और खाद में परिवर्तित होने की प्रक्रिया को कम्पोस्टिंग कहते हैं।
- कुछ शहरों तथा नगरों में नगरपालिकाएँ दो प्रकार के कचरे को एकत्र करने के लिए दो पृथक कूड़ेदान प्रदान करती हैं।
- प्रायः एक का रंग नीला तथा दूसरे का रंग हरा होता है। नीले कूड़ेदान में पुनः उपयोग किए जा सकने वाले पदार्थ डाले जाते हैं जैसे प्लास्टिक धातुएँ तथा काँच।
- हरे कूड़ेदान रसोई तथा अन्य पादप अथवा जंतु अपशिष्टों को एकत्र करने के लिए होते हैं।
- किसानों द्वारा कटाई के पश्चात् खेतों में सूखी पत्तियाँ फसली पादपों के अपशिष्ट तथा भूसे जैसे अपशिष्टों को जलाया जाता है, इन्हें जलाने से स्वास्थ्य के लिए हानिकारक गैसें तथा धुआँ उत्पन्न होता है।
- लाल केंचुओं की सहायता से कंपोस्ट बनाने की इस विधि को ‘वर्मीकम्पोस्टिंग' अथवा कृमिकम्पोस्टिंग’ कहते हैं।
- लाल केंचुओं में एक विशेष संरचना होती है जिसे गिजर्ड कहते हैं जो भोजन को पिसने में सहायता करता है |
- लाल कृमि एक दिन में अपने शरीर के भार के बराबर आहार खा सकता है |
- लाल केंचुए बहुत गर्म अथवा ठंडे वातावरण में जीवित नहीं रह सकते। उन्हें अपने आस-पास नमी की आवश्यकता होती है।
- वर्मीकम्पोस्ट का उपयोग फसल में खाद के रूप में होते है |
- बाजार से वस्तुओं के संग्रह के लिए प्लास्टिक की थैलियों की जगह कागज की थालियों का प्रयोग करना चाहिए |
- कुछ प्रकार के प्लास्टिकों का पुनःचक्रण किया जा सकता है, परंतु सभी प्रकार के प्लास्टिकों का पुनःचक्रण नहीं किया जा सकता।
- उपयोग हो चुकी वस्तुओं को नई वस्तु बनाकर पुन: उपयोग में लाना पुन: चक्रण कहलाता है |
- कागज का पुनःचक्रण संभव है तथा पुनःचक्रण द्वारा बने कागज से उपयोगी चीजें बनाई जा सकती हैं।