गति का तृतीय नियम :
गति के तीसरे नियम के अनुसार, जब एक वस्तु दूसरी वस्तु पर बल लगाती है तब दूसरी वस्तु द्वारा भी पहली वस्तु पर तात्क्षणिक बल लगाया जाता है। ये दोनों बल परिमाण में सदैव समान लेकिन दिशा में विपरीत होते हैं। इसका तात्पर्य यह है कि बल सदैव युगल रूप में होते हैं। ये बल कभी एक वस्तु पर कार्य नहीं करते बल्कि दो अलग-अलग वस्तुओं पर कार्य करते हैं।
उदाहरण : फूटबॉल के खेल में प्रायः हम गेंद को तेज गति से किक मारने के क्रम में विपक्षी टीम के खिलाड़ी से टकरा जाते हैं। इस क्रम में दोनों खिलाड़ी एक-दूसरे पर बल लगाते हैं, अतएव दोनों ही खिलाड़ी चोटिल होते हैं।
क्रिया बल : जब किसी वस्तु पर कोई वस्तु बल लगाती है तो इस प्रकार लगने वाले बल को क्रिया बल कहते हैं |
प्रतिक्रिया बल : जब कोई वस्तु किसी वस्तु पर बल लगाती है तो वह वस्तु भी विपरीत दिशा में बल लगाती है इस प्रकार विपरीत दिशा में लगने वाले बल को प्रतिक्रिया बल कहते है |
- क्रिया तथा प्रतिक्रिया बल दो अलग-अलग वस्तुओं पर कार्य करता है |
क्रिया तथा प्रतिक्रिया बल मान में समान होते हैं परन्तु ये एकसामान परिमाण में त्वरण उत्पन्न नहीं करते हैं :
क्रिया और प्रतिक्रिया बल मान में हमेशा समान होते हैं फिर भी ये बल एकसमान परिमाण के त्वरण उत्पन्न नहीं कर सकते। ऐसा इसलिए है क्योंकि प्रत्येक बल अलग-
अलग द्रव्यमान की वस्तुओं पर कार्य करते हैं।
गति के तृतीय नियम : प्रत्येक क्रिया के समान एवं विपरीत प्रतिक्रिया होती है | ये दो विभिन्न वस्तुओं पर कार्य करती है |