(2) गति का द्वितीय नियम (The Second Law of Motion):
- गति का द्वितीय नियम यह बताता है कि किसी वस्तु में उत्पन्न त्वरण इस पर लगाये गए बल पर निर्भर करता है तथा लगाये गए बल को मापने की विधि को बताता है |
- गति का द्वितीय नियम किसी वस्तु पर लगाये गए बल को ज्ञात करने का सूत्र प्रदान करता है |
- यदि कोई वस्तु त्वरित होती है तो हम जानते है कि अधिक वेग प्राप्त करने के लिए अधिक बल लगाने की आवश्यकता होती है |
- किसी वस्तु द्वारा उत्पन्न प्रभाव उसके द्रव्यमान और वेग पर निर्भर करता है | जैसे- हम हथौड़ी से किसी किल पर चोट मारते है तो चोट का प्रभाव कितना प्रबल होगा यह हथौड़ी के द्रव्यमान और उसके वेग पर ही निर्भर करता है |
संवेग (Momentum): संवेग एक अन्य प्रकार की राशि है जिसे न्यूटन ने प्रस्तुत किया था |
Defintion:
"किसी वस्तु के द्रव्यमान एवं वेग के गुणनफल को संवेग कहते हैं |"
इसे "p" से सूचित करते है | यह एक सदिश राशि है क्योंकि इसके परिमाण और दिशा दोनों होते हैं | इसकी दिशा वाही होती है जो वेग की दिशा होती है |
संवेग का S.I मात्रक किलोग्राम-मीटर/सेकंड (kilogram-meter/second) या (kgms-1) है |
जैसा कि हम जानते है कि वस्तु पर लगाया गया असंतुलित बल वेग में परिवर्तन करता है, अत: बल किसी वस्तु के वेग में परिवर्तन ला सकता है |
दो कारक जो किसी वस्तु के संवेग में परिवर्तन कर सकते है |
(i) किसी वस्तु के द्रव्यमान में परिवर्तन करके,
(ii) किसी वस्तु के वेग में परिवर्तन करके,
- किसी वस्तु के संवेग में परिवर्तन के लिए बल की आवश्यकता होती है जो उस समय दर पर निर्भर करता है जिस पर संवेग में परिवर्तन हुआ है |
गति का द्वितीय नियम यह बताता है कि किसी वस्तु के संवेग में परिवर्तन की दर उस पर लगने वाले असंतुलित बल की दिशा में बल के समानुपातिक होती है |
- गति का द्वितीय नियम किसी वस्तु पर लगने वाले बल को मापने का नियम /विधि देता है |
गणितीय रूप से गति के द्वितीय नियम से बल ज्ञात करना (Mathematically find the force from the second law of motion):
माना कि m द्रव्यमान की कोई वस्तु का प्रारंभिक वेग = u ms-1
और इसका अंतिम वेग = v ms-1
लिया गया समय = t
और द्रव्यमान = m
गति के द्वितीय नियम के अनुसार
प्रारंभिक संवेग p1 = mu kgms-1
अंतिम संवेग p2 = mv kgms-1
ma से बल का सूत्र प्राप्त होता है |
∴ F = kma kgms-2
राशी k अनुपतिकता स्थिरांक है |
- संवेग में परिवर्तन की दर वास्तव में बल होता है |
- बल का मात्रक kgms-2 है |
- संवेग में परिवर्तन की दर में कमी होने से बल की मात्रा में कमी होता है |
हमारे दैनिक जीवन में संवेग में परिवर्तन की दर या बल को कम कैसे करें :
गति के द्वितीय नियम का दैनिक जीवन में प्रयोग (Uses of the second law of motion in daily life) :
(i) एक क्रिकेट खिलाडी बॉल लपकते समय अपना हाथ खिंच लेता है :
क्रिकेट मैच के दौरान मैदान में क्षेत्ररक्षक को तेज गति से आ रही गेंद को लपकते समय हाथ को पीछे की ओर खींच लेता है | तेज घुमती बॉल में उसके वेग के कारण संवेग की मात्रा अधिक होती है | इसलिए, बॉल में काफी बल होता है | समय को बढ़ाने के लिए क्षेत्ररक्षक हाथ पीछे खींचता है, इस प्रकार से क्षेत्ररक्षक गेंद के वेग को शून्य करने में अधिक समय लगाता है और गेंद में संवेग
परिवर्तन की दर कम हो जाती है । इस कारण तेज गति से आ रही गेंद का प्रभाव हाथ पर कम पड़ता है। हाथ चोटिल होने से बच जाता है |
(ii) ऊँची छलांग के लिए कुशन विस्तार अथवा भुरभुरी मिट्टी/बालू का उपयोग किया है :
ऊँची कूद वाले मैदान में, खिलाडि़यों को कुशन या बालू पर कूदना होता है। ऐसा खिलाडि़यों के छलाँग लगाने के बाद गिरने के समय को बढ़ाने के लिए किया जाता है। इस स्थिति में संवेग में परिवर्तन की दर तथा बल कम होती है।