जल प्रदुषण
पृथ्वी पर जल की उपस्थिति :
(i) पृथ्वी की सतह के लगभग 75 % भाग पर पानी विद्यमान है।
(ii) यह भूमि के अन्दर भूमिगत जल के रूप में भी पाया जाता है।
(iii) अधिकांशतः जल के स्रोत हैं सागर, नदियाँ, झरने एवं झील |
(iv) जल की कुछ मात्रा जलवाष्प के रूप में वायुमण्डल में भी पाई जाती है।
जल प्रदुषण का कारण :
(i) जलाशयों में उद्योगों का कचरा डालना।
(ii) जलाशयों के नजदीक कपड़े धोना या माल-मूत्र डालना।
(iii) जलाशयों के अवांछित पदार्थ डालना।
जल प्रदूषण के लिए उत्तरदायी मनुष्यों के क्रियाकलाप :
(i) घर एवं कारखानों (कागज उद्ध्योग ) द्वारा छोड़ा गया विषैला एवं रसायन युक्त पानी |
(ii) कृषि कार्य में उपयोग होने वाले पीड़कनाशी या उर्वरक आदि का जलशयों में मिल जाना |
(iii) नदियों में मरे हुए जीवों को प्रवाहित करना आदि |
सभी जीवों को जल की आवश्यकता होती है क्योंकि :
(i) सभी कोशिकीय प्रक्रियाएँ जलीय माध्यम में होती हैं |
(ii) सभी प्रतिक्रियाएँ जो हमारे शरीर में या कोशिकाओं के अन्दर होती हैं, वह जल में घुले हुए पदार्थों में होती हैं |
(iii) शरीर के एक भाग से दुसरे भाग में पदार्थों का संवहन घुली हुई अवस्था में होता है |
जल का महत्व / आवश्यकता :
(i) यह शरीर का ताप नियन्त्रित करता है।
(ii) जल मानव शरीर की कोशिकाओं, कोशिका-सरंचनाओं तथा ऊतकों में उपस्थित जीव द्रव्य का महत्वपूर्ण संघटक है।
(iii) जल जन्तु/पौधे हेतु आवास (Habitat) का कार्य करता है।
(iv) जीवों में सभी कोशिकीय प्रक्रियाएँ जलीय माध्यम में होती है।