सुरक्षा की अपारंपरिक धारणा : सुरक्षा की अपारंपरिक धरणा सिर्फ सैन्य खतरों से संबद्ध नहीं। इसमें मानवीय अस्तित्व पर चोट करने वाले व्यापक खतरों और आशंकाओं को शामिल किया जाता है।
सुरक्षा के तीन तत्व :
(i) किन चीजों की सुरक्षा
(ii) किन खतरों से सुरक्षा
(iii) सुरक्षा के तरीके
मानवता की सुरक्षा’ अथवा ‘विश्व-रक्षा’ : ‘‘सिर्फ राज्य ही नहीं व्यक्तियों और समुदायों या कहें कि समूची मानवता को सुरक्षा की जरूरत है।’’ इसी कारण सुरक्षा की अपारंपरिक धरणा को ‘मानवता की सुरक्षा’ अथवा ‘विश्व-रक्षा’ कहा जाता है।
मानवता की रक्षा का महत्व :
(i) मानवता की रक्षा का विचार जनता- जनार्दन की सुरक्षा को राज्यों की सुरक्षा से बढ़कर मानता है।
(ii) मानवता की सुरक्षा और राज्य की सुरक्षा एक-दूसरे के पूरक होने चाहिए और अक्सर होते भी हैं। लेकिन
सुरक्षित राज्य का मतलब हमेशा सुरक्षित जनता नहीं होता।
(iii) नागरिकों को विदेशी हमले से बचाना भले ही उनकी सुरक्षा की जरूरी शर्त्त हो लेकिन इतने भर को पर्याप्त नहीं माना जा सकता। सच्चाई यह है कि पिछले 100 वर्षों में जितने लोग विदेशी सेना के हाथों मारे गए उससे कहीं ज्यादा लोग खुद अपनी ही सरकारों के हाथों खेत रहे।
(iv) इसका प्राथमिक लक्ष्य व्यक्तियों की रक्षा है |
(v) मानवता की रक्षा के व्यापकतम नजरिए में जोर ‘अभाव से मुक्ति’ और ‘भय से मुक्ति’ पर दिया जाता है।
मानवता की रक्षा के सन्दर्भ में संयुक्त राष्ट्र के भूतपूर्व महासचिव कोफ़ी अन्नान के कथन :
"व्यक्तियों और समुदायों को अंदरूनी खून - खराबा से बचाना।’
मानवता की सुरक्षा का व्यापक अर्थ लेने वाले पैरोकारों का तर्क:
मानवता की सुरक्षा का व्यापक अर्थ लेने वाले पैरोकारों का तर्क है कि खतरों की सूची में अकाल, महामारी और आपदाओं को भी शामिल किया जाना चाहिए क्योंकि युद्ध, जन-संहार और आतंकवाद से मिलकर जितने लोगों को मरते हैं उससे कहीं ज्यादा लोग महामारी और प्राकृतिक आपदा की भेंट चढ़ जाते हैं।"|
मानवता की सुरक्षा के व्यापकतम अर्थ : मानवता की सुरक्षा के व्यापकतम अर्थ में आर्थिक सुरक्षा और मानवीय गरिमा की सुरक्षा को भी शामिल किया जाता है। तनिक अलग अंदाज में कहें तो मानवता की रक्षा के व्यापकतम नजरिए में जोर ‘अभाव से मुक्ति’ और ‘भय से मुक्ति’ पर दिया जाता है।
विश्वव्यापी खतरे :
(i) वैश्विक तापमान में वृद्धि (ग्लोबल वार्मिंग)
(ii) अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद
(iii) एड्स और बर्ड फ्लू जैसी महामारियाँ
सुरक्षा के अपारम्परिक धारणा के दो पक्ष :
(i) मानवता की सुरक्षा
(ii) विश्व सुरक्षा
अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद :
(i) आतंकवाद का आशय राजनीतिक खून-खराबे से है जो जान-बूझकर और बिना किसी मुरौव्वत के नागरिकों को अपना निशाना बनाता है।
(ii) अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद एक से ज्यादा देशों में व्याप्त है और उसके निशाने पर कई देशों के नागरिक हैं।
(iii) कोई राजनीतिक संदर्भ या स्थिति नापसंद हो तो आतंकवादी समूह उसे बल-प्रयोग अथवा बल-प्रयोग की धमकी देकर बदलना चाहते हैं।
(iv) जनमानस को आतंकित करने के लिए नागरिकों को निशाना बनाया जाता है और आतंकवाद नागरिकों के असंतोष का इस्तेमाल राष्ट्रीय सरकारों अथवा संघर्षों में शामिल अन्य पक्ष के खि़लाफ करता है।
अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के उदाहरण :
(i) आतंकवाद के चिर-परिचित उदाहरण हैं विमान-अपहरण अथवा भीड़ भरी जगहों जैसे रेलगाड़ी, होटल, बाजार या ऐसी ही अन्य जगहों पर बम लगाना।
(ii) सन् 2001 के 11 सितंबर को आतंकवादियों ने अमरीका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला बोला। इस घटना
के बाद से दूसरे मुल्क और वहाँ की सरकारें आतंकवाद पर ज्यादा ध्यान देने लगी हैं। बहरहाल, आतंकवाद कोई नयी परिघटना नहीं है। गुजरे वक्त में आतंकवाद की अधिकांश घटनाएँ मध्यपूर्व, यूरोप, लातिनी अमरीका और दक्षिण एशिया में हुईं।
मानवाधिकार की कोटियाँ :
(i) राजनीतिक अधिकारों की है जैसे अभिव्यक्ति और सभा करने की आज़ादी ।
(ii) आर्थिक और सामाजिक अधिकारों की
(iii) उपनिवेशिकृत जनता अथवा जातीय और मूलवासी अल्पसंख्यकों के अधिकार
मानवाधिकारों पर सहमती न होने के कारण :
(i) इनमें से किस कोटि के अधिकारों को सार्वभौम मानवाधिकारों की संज्ञा दी जाए
(ii) इन अधिकारों के उल्लंघन की स्थिति में अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी को क्या करना चाहिए?
आतंरिक रूप से विस्थापित जन :
जो लोग अपना घर-बार छोड़ चुके हैं परंतु राष्ट्रीय सीमा के भीतर ही हैं उन्हें 'आतंरिक रूप से विस्थापित
जन' कहा जाता है।
उदाहरण : 1990 के दशक के शुरुआती सालों में हिंसा से बचने के लिए कश्मीर घाटी छोड़ने वाले कश्मीरी पंडित आतंरिक रूप से विस्थापित जन उदाहरण हैं |
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फ़ैलने वाली बीमारियाँ :
(i) एचआईवी-एड्स, बर्ड फ्लू और सार्स (सिवियर एक्यूट रेसपिरेटॅरी सिंड्रोम-SARS) जैसी महामारियाँ आप्रवास, व्यवसाय, पर्यटन और सैन्य-अभियानों के जरिए बड़ी तेजी से विभिन्न देशों में फैली हैं। इन बीमारियों के फैलाव को रोकने में किसी एक देश की सफलता अथवा असफलता का प्रभाव दूसरे देशों में होने वाले संक्रमण पर पड़ता है।
(ii) एबोला वायरस, हैन्टावायरस और हेपेटाइटिस-सी जैसी कुछ नयी महामारियाँ उभरी हैं जिनके बारे में जानकारी भी कुछ खास नहीं है। टीबी, मलेरिया, डेंगी बुखार और हैजा जैसी पुरानी महामारियों ने औषधि-प्रतिरोधक रूप धारण कर लिया है और इससे इनका उपचार कठिन हो गया है। जानवरों में महामारी फैलने के भारी आर्थिक दुष्प्रभाव होते हैं।
(iii) 1990 के दशक के उत्तरार्द्ध के सैलून से ब्रिटेन ने "मैड-काऊ" महामारी के भड़क उठने के कारण अरबों डॉलर का नुकसान उठाया है और बर्ड फ्लू के कारण कई दक्षिण एशियाई देशों को मुर्ग निर्यात बंद करना पड़ा |