अंतर्राष्ट्रीय आण्विक ऊर्जा एजेंसी (इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी - IAEA) - इस संगठन की स्थापना 1957 में हुई। यह संगठन परमाण्विक ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देने और सैन्य उद्देश्यों में इसके इस्तेमाल को रोकने की कोशिश करता है। इस संगठन के अधिकारी नियमित रूप से विश्व की परमाण्विक सुविधाओं की जाँच करते हैं ताकि नागरिक परमाणु-संयंत्रों का इस्तेमाल सैन्य उद्देश्यों के लिए न हो।
अंतर्राष्ट्रीय आण्विक ऊर्जा एजेंसी का उदेश्य :
(i) परमाण्विक ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देना |
(ii) सैन्य उद्देश्यों में परमाणु ऊर्जा के इस्तेमाल को रोकने की कोशिश करना |
(iii) नियमित रूप से विश्व की परमाण्विक सुविधाओं की जाँच करना |
अमरीकी वर्चश्व रोकने में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका : एक-ध्रुवीय विश्व में जहाँ अमरीका सबसे ताकतवर देश है और उसका कोई गंभीर प्रतिद्वन्द्वी भी नहीं है | जबकि संयुक्त राष्ट्रसंघ के भीतर अमरीका का खास प्रभाव है। वह संयुक्त राष्ट्रसंघ के बजट में सबसे ज्यादा योगदान करने वाला देश है। अमरीका की वित्तीय ताकत बेजोड़ है। यह भी एक तथ्य है कि संयुक्त राष्ट्रसंघ अमरीकी भू-क्षेत्र में स्थित है और इस कारण भी अमरीका का प्रभाव इसमें बढ़ जाता है। इस तरह हम देखते हैं कि संयुक्त राष्ट्र अमरीकी ताकत पर अंकुश लगाने में सक्षम नहीं है | परन्तु वह चाहे तो अमरीका और शेष विश्व के बीच विभिन्न मसलों पर बातचीत कायम कर सकता है और इस संगठन ने ऐसा किया भी है। संयुक्त राष्ट्रसंघ ऐसा मंच है जहाँ अमरीकी रवैये और नीतियों पर कुछ अंकुश लगाया जा सकता है।