वीटो पॉवर (निषेधाधिकार) : वीटो संयुक्त राष्ट्र संघ के सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्य देशों को प्राप्त वह अधिकार है जिसके आधार पर कोई भी देश इसके फैसले के खिलाफ जाकर फैसले को रोक सकता है |
सुरक्षा परिषद् में पांच स्थायी सदस्य और 10 अस्थायी सदस्य है | कुल 15 सदस्य है जिनमें प्रत्येक की वोट की मूल्य 1 है |
सुरक्षा परिषद् के स्थायी तथा अस्थायी सदस्यों में अंतर :
स्थायी सदस्य :
(i) स्थायी सदस्य सुरक्षा परिषद् में हमेशा के लिए चुने गए है |
(ii) इनके पास वीटो शक्ति प्राप्त है |
(iii) इनकी संख्या पांच हैं |
(iv) ये सुरक्षा परिषद् के सभी फैसलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं |
(v) सुरक्षा परिषद के किसी भी फैसले को रोक सकते हैं |
अस्थायी सदस्य :
(i) ये सुरक्षा परिषद् में केवल दो साल के लिए चुने जाते हैं |
(ii) इनके पास वीटो शक्ति प्राप्त नहीं है |
(iii) इनकी संख्या 10 है |
(iv) इनकी भूमिका स्थायी सदस्यों की तुलना में उतनी महत्वपूर्ण नहीं है |
(v) ये सुरक्षा परिषद के किसी भी फैसले को नहीं रोक सकते हैं |
किसी देश को सुरक्षा परिषद् के सदस्य होने के लिए निर्धारित मानदण्ड :
(1) जिन देशों का मानवाधिकारों से संबंधित रिकॉर्ड अच्छा है |
(2) नए सदस्यों को शामिल करने का एक अन्य मानदण्ड भौगोलिक आधार है |
(3) आर्थिक आधार पर भी सुरक्षा परिषद् के सदस्य बढाए जा सकते है |
सुरक्षा परिषद् को लेकर शिकायतें :
(i) सुरक्षा परिषद् अब राजनीतिक वास्तविकताओं की नुमाइंदगी नहीं करती।
(ii) इसके फैसलों पर पश्चिमी मूल्यों और हितों की छाप होती है और इन फैसलों पर चंद देशों का दबदबा होता है।
(iii) सुरक्षा परिषद् में बराबर का प्रतिनिधित्व नहीं है।
सुरक्षा परिषद् के लिए अस्थायी सदस्यों का चुनाव :
अस्थायी सदस्य सिर्फ दो वर्षों के लिए ही चुने जाते हैं और इस अवधि के बाद उनकी जगह नए सदस्यों का चयन होता है। दो साल की अवधि तक अस्थायी सदस्य रहने के तत्काल बाद किसी देश को फिर से इस पद के लिए नहीं चुना जा सकता। अस्थायी सदस्यों का निर्वाचन इस तरह से होता है कि विश्व के सभी महादेशों का प्रतिनिधित्व हो सके |
सितम्बर 2005 में संयुक्त राष्ट्रसंघ को ज्यादा प्रासंगिक बनाने के लिए -लिए गए फैसले :
(i) शांति संस्थापक आयोग का गठन
(ii) यदि कोई राष्ट्र अपने नागरिकों को अत्याचारों से बचाने में असफल हो जाए तो विश्व-बिरादरी इसका उत्तरदायित्व ले - इस बात की स्वीकृति।
(iii) मानवाधिकार परिषद् की स्थापना (2006 ले 19 जून से सक्रिय)।
(iv) सहस्राब्दि विकास लक्ष्य (मिलेनियम डेवेलपमेंट गोल्स) को प्राप्त करने पर सहमति।
(v) हर रूप-रीति के आतंकवाद की निंदा
(vi) एक लोकतंत्र-कोष का गठन
(vii) ट्रस्टीशिप काउंसिल (न्यासिता परिषद) को समाप्त करने पर सहमति।
संयुक्त राष्ट्र में सुधार के प्रति भारत का दृष्टिकोण/मत :
(i) भारत का मानना है कि बदले हुए विश्व में संयुक्त राष्ट्रसंघ की मजबूती और दृढ़ता जरुरी है।
(ii) भारत इस बात का भी समर्थन करता है कि संयुक्त राष्ट्रसंघ विभिन्न देशों के बीच सहयोग बढ़ाने और विकास को बढ़ावा देने में ज्यादा बड़ी भूमिका निभाए।
(iii) भारत का विश्वास है कि संयुक्त राष्ट्रसंघ के अजेंडे में विकास का मामला प्रमुख होना चाहिए क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बनाए रखने के लिए यह जरुरी पूर्व शर्त है।
(iv) भारत की एक बड़ी चिंता सुरक्षा परिषद् की संरचना को लेकर है। सुरक्षा-परिषद् की सदस्य संख्या स्थिर रही है जबकि संयुक्त राष्ट्रसंघ की आम सभा में सदस्यों की संख्या खूब बढ़ी है। भारत का मानना है कि इससे
सुरक्षा परिषद् के प्रतिनिधीत्वमूलक चरित्र की हानि हुई है।
(v) भारत का तर्क है कि परिषद् का विस्तार करने पर वह ज्यादा प्रतिनिधित्वमूलक होगी और उसे विश्व-बिरादरी का ज्यदा समर्थन मिलेगा।
(vi) भारत सुरक्षा परिषद् के अस्थायी और स्थायी, दोनों ही तरह के सदस्यों की संख्या में बढ़ोत्तरी का समर्थक है। भारत के प्रतिनिधियों का तर्क है कि पिछले कुछ वर्षों में सुरक्षा-परिषद् की गतिविधियों का दायरा बढ़ा है।
सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्य के रूप में भारत की स्थिति :
सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्य के रूप में भारत की दावेदारी काफी मजबूत है | भारत कई वर्षों से सुरक्षा परिषद् में स्थायी सदस्य बनाना चाहता है | भारत विश्व में सबसे बड़ी आबादी वाला दूसरा देश है। भारत में विश्व की कुल-जनसंख्या का 1/5वाँ हिस्सा निवास करता है।
परिस्थितियाँ जो भारत की सुरक्षा परिषद् में दावेदारी को मजबूती प्रदान करता है -
(i) भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र हैऔर भारत ने संयुक्त राष्ट्रसंघ की लगभग सभी पहलकदमियों में भाग लिया है।
(ii) संयुक्त राष्ट्रसंघ के शांति बहाल करने के प्रयासों में भारत लंबे समय से ठोस भूमिका निभाता आ रहा है।
(iii) सुरक्षा परिषद् में भारत की स्थायी सदस्यता की दावेदारी इसलिए भी उचित है क्योंकि वह तेजी से अंतर्राष्ट्रीय फलक पर आर्थिक-शक्ति बनकर उभर रहा है।
(iv) भारत ने संयुक्त राष्ट्रसंघ के बजट में नियमित रूप से अपना योगदान दिया है और यह कभी भी अपने भुगतान से चुका नहीं है।
(v) भारत विश्व में सबसे बड़ी आबादी वाला दूसरा देश है। भारत में विश्व की कुल-जनसंख्या का 1/5वाँ हिस्सा निवास करता है।