चीनी अर्थव्यस्था का उत्थान : 1978 के बाद चीनी अर्थव्यस्था का उत्थान बड़े तेजी से हुआ और विश्व पटल पर यह देश एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभर कर सामने आया |
अर्थव्यस्था के उत्थान के कारण :
(i) आर्थिक सुधार : चीन ने आर्थिक सुधारों के साथ-साथ मुक्त-व्यापार जोर दिया जिससे यह तेजी से आर्थिक वृद्धि कर रहा है |
(ii) विशाल आबादी और बड़ा-भूभाग : चीन के पास खुद की एक बहुत बड़ा बाजार और बड़ा भूभाग होने के कारण आर्थिक क्षेत्र में इसकी शक्ति कई गुणा बढ़ जाती है |
(iii) संसाधन, क्षेत्रीय अवस्थिति और राजनितिक प्रभाव : चीन की आर्थिक वृद्धि में ये कारक भी उसकी शक्ति कई गुणा बढ़ा देते हैं |
(iv) विकास मॉडल : आर्थिक रूप से पिछड़े साम्यवादी चीन ने पूँजीवादी दुनियां से अपने रिश्ते तोड़ लिए थे | चीन के पास विदेशी पूँजी का आभाव था | इसने विकास का जो मॅाडल अपनाया उसमें खेती से पूँजी निकाल कर सरकारी नियंत्रण में बड़े उद्योग खड़े करने पर जोर था। चूंकि इसके पास विदेशी बाजारों से तकनीक और सामानों की खरीद के लिए विदेशी मुद्रा की कमी थी इसलिए चीन ने आयातित सामानों को धीरे-धीरे घरेलू स्तर पर ही तैयार करवाना शुरू किया।
(v) नीतिगत निर्णय : चीन ने 1972 में अमरीका से संबंध बनाकर अपने राजनैतिक और आर्थिक एकांतवास को ख़त्म किया | 1973 में प्रधानमंत्री चाऊ एनलाई ने कृषि, उद्योग, सेना और विज्ञान-प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आधुनिकरण के चार प्रस्ताव रखे | 1978 में चीन ने खुले द्वार की निति की घोषणा की |
चीनी अर्थव्यवस्था के खोलने के चरण :
उच्चतर उत्पादकता को प्राप्त करने के लिए और बाज़ारमूलक अर्थव्यवस्था को अपनाने के लिए चीन ने अपना तरीका अपनाया | चीन ने 'शॉक थेरेप' पर अमल करने के बजाय अपनी अर्थव्यवस्था को चरणबद्ध तरीके से खोला :
(i) 1982 में खेती का निजीकरण किया गया |
(ii) 1998 में उद्योगों का निजीकरण किया गया |
(iii) व्यापार संबंधी अवरोधों को सिर्फ 'विशेष आर्थिक क्षेत्रों' के लिए ही हटाया गया जहाँ विदेशी निवेशक अपने उद्यम लगा सकते थे |
(iv) चीन 2001 में विश्व व्यापार संगठन में सामिल हो गया |
चीन की नयी आर्थिक नीतियों का परिणाम :
(i) चीन की अर्थव्यवस्था को अपनी जड़ता से उबरने में मदद मिली |
(ii) कृषि के निजीकरण के कारण कृषि-उत्पादों तथा ग्रामीण आय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई |
(iii) ग्रामीण अर्थव्यवस्था में निजी बचत का परिणाम बढ़ा और इससे ग्रामीण उद्योगों की तादात तेजी से बढ़ा |
(iv) चीन पुरे विश्व में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए सबसे आकर्षक देश बनकर उभरा |
(v) चीन के पास विदेशी मुद्रा का अब विशाल भंडार है और इसके दम पर चीन दूसरे देशों में निवेश कर रहा है।
चीन के साथ भारत के संबंध :
(i) पश्चिमी साम्राज्यवाद के उदय से पहले भारत और चीन मध्य एशिया के महाशक्ति थे |
(ii) भारत के भी अनेक राजवंशों और साम्राज्यों का प्रभाव उनके अपने राज्य से बाहर भी रहा था |
(iii) भारत हो या चीन इनका प्रभाव सिर्फ राजनैतिक नहीं था - यह आर्थिक धार्मिक और सांस्कृतिक भी था |
(iv) चीन और भारत अपने प्रभाव क्षेत्रों के मामले में कभी नहीं टकराएँ थे |
(v) कुछ समय के लिए हिंदी चीनी भाई-भाई का नारा लोकप्रिय हुआ था सीमा विवाद पर चले सैन्य संघर्ष ने इस उम्मीद को समाप्त कर दिया और 1962 में भारत और चीन आपस में लड़ पड़े |
(vi) 1962 के सैनिक पराजय के बाद 1976 तक दोनों देशों के बीच कुत्नैतिक संबंध समाप्त रहे | 1981 में सीमा विवाद दूर करने के लिए भारत और चीन के बीच वार्ताओं का दौर शुरू हुआ | शीतयुद्ध के बाद इनके संबंधों में सुधार आया |
(vii) 1988 में राजीव गाँधी के प्रयासों के द्वारा संबंध काफी सुधरे और दोनों देशों ने सांस्कृतिक आदान-प्रदान, विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में परस्पर सहयोग और व्यापार के लिए सीमा खोलने पर राजी हुए और चार पोस्ट खोलने के लिए समझौते किये |
(viii) 1999 से भारत और चीन के बीच 30 फीसदी सलाना की दर से बढ़ रहा है और 2006 में यह व्यापार बढकर 18 अरब डॉलर का हो चूका है |
ब्रिक्स (BRICS):
ब्रिक्स 5 देशों का समूह है जो विश्व की अग्रणी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए प्रयोग किया जाता है | ब्रिक्स की स्थापना 2006 में रूस में की गई थी | 2009 में ब्रिक्स की पहली बैठक हुई | आरम्भ में सिर्फ चार देश ब्राज़ील, रूस, भारत और चीन (BRIC) शामिल थे | 2010 में दक्षिण अफ्रीका ब्रिक्स में शामिल हुआ और यह BRICS बन गया |
ब्रिक्स शब्द क्रमश: ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका को संदर्भित करता है |
B - Brazil
R - Russia
I - India
C - China
S - South Africa
ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका (ब्रिक्स) क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उभरती अर्थव्यवस्थाओं और राजनीतिक शक्तियों में अग्रणी हैं।
ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका विश्व अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण और तेजी से 'नायक' के रूप में उभरे हैं।
ब्रिक्स की स्थापना का मुख्य उदेश्य :
(i) प्रत्येक राष्ट्र की आंतरिक नीतियों तथा परस्पर समानता में अहस्तक्षेप
(ii) इसके सदस्य देशों के मध्य सहयोग
(iii) पारस्परिक आर्थिक लाभ का वितरण करना है |
ब्रिक्स का 11 वां सम्मलेन 2019 में ब्राज़ील में सपन्न हुआ, जिसकी अध्यक्षता ब्राज़ील के राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो ने की |
ब्रिक्स का 12 वां सम्मलेन 2020 में रूस में ऑनलाइन आयोजित हुआ | रूस ने इसकी मेजबानी की थी और और इसकी अध्यक्षता भी रूस ने ही की थी | वैसे इसका नियम यह है कि जो देश ब्रिक्स की अध्यक्षता करता है उसके राष्ट्राध्यक्ष ही अध्यक्षता करता है |