दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्रों का संगठन (आसियान) :
1967 में इस क्षेत्र के पाँच देशों ने बैंकॉक घोषणा पर हस्ताक्षर करके ‘आसियान’ की स्थापना की।
इसमें शामिल ये देश प्रमुख थे -
(i) इंडोनेशिया,
(ii) मलेशिया,
(iii) फिलिपींस,
(iv) सिंगापुर और
(v) थाईलैंड।
आसियान देशों का प्रमुख उदेश्य :
(i) आर्थिक विकास को तेज करना
(ii) आर्थिक विकास के माध्यम से सामाजिक और सांस्कृतिक विकास हासिल करना था।
आसियान की उपलब्धि :
(i) अनौपचारिक, टकरावरहित और सहयोगात्मक मेल-मिलाप का नया उदाहरण पेश क्या है और और विश्व बिरादरी में काफी यश कमाया है | यह शैली इतना प्रसिद्द हुआ है कि इसे आसियान शैली (ASEAN way) भी कहा जाने लगा है |
(ii) आसियान के कामकाज में राष्ट्रीय सार्वभौमिकता का सम्मान करना बहुत ही महत्त्वपूर्ण रहा है।
(iii) दुनिया में सबसे तेज रफ्रतार से आर्थिक तरक्की करने वाले सदस्य देशों के समूह आसियान ने अब अपने उद्देश्यों को आर्थिक और सामाजिक दायरे से ज्यादा व्यापक बनाया है।
(iv) 2003 में आसियान ने आसियान सुरक्षा समुदाय, आसियान आर्थिक समुदाय और आसियान
सामाजिक-सांस्कृतिक समुदाय नामक तीन स्तम्भों के आधार पर आसियान समुदाय बनाया गया जो यूरोपीय संघ के तर्ज पर कार्य कर रहा है |
आसियान क्षेत्रीय मंच की स्थापना और उसका उदेश्य :
इसकी स्थापना 1994 में आसियान देशों के द्वारा की गई | इसका उदेश्य आसियान के देशों की सुरक्षा और विदेश नीतियों में तालमेल बनाने के लिए किया गया |
आसियान क्षेत्र की अर्थव्यवस्था :
बुनियादी रूप से आसियान एक आर्थिक संगठन था और वह ऐसा ही बना रहा। आसियान क्षेत्र की कुल अर्थव्यवस्था अमरीका, यूरोपीय संघ और जापान की तुलना में काफी छोटी है पर इसका विकास इन सबसे अधिक तेजी से हो रहा है। इसके चलते इस क्षेत्र में और इससे बाहर इसके प्रभाव में तेजी से वृद्धि हो रही है।
आसियान आर्थिक समुदाय का उद्देश्य :
आसियान आर्थिक समुदाय का उद्देश्य आसियान देशों का साझा बाजार और उत्पादन आधार तैयार करना तथा इस इलाके के सामाजिक और आर्थिक विकास में मदद करना है।
(ii) निवेश, श्रम और सेवाओं के मामले में मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाने पर जोर देना |
(iii) इस क्षेत्र के देशों के आर्थिक विवादों को निपटाने के लिए बनी मौजूदा व्यवस्था को भी सुधरना है |
आसियान का विजन दस्तावेज 2020 की प्रमुख बातें :
आसियान तेजी से बढ़ता हुआ एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय संगठन है। इसके विजन दस्तावेश 2020 में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में आसियान की एक बहिर्मुखी भूमिका को प्रमुखता दी गई है। आसियान द्वारा अभी टकराव की जगह बातचीत को बढ़ावा देने की नीति से ही यह बात निकली है।
बातचीत की निति द्वारा आसियान द्वारा सुलझाएँ गए मुद्दे :
(i) आसियान ने कम्बोडिया के टकराव को समाप्त किया,
(ii) पूर्वी तिमोर के संकट को सम्भाला है और
(iii) पूर्व-एशियाई सहयोग पर बातचीत के लिए 1999 से नियमित रूप से वार्षिक बैठक आयोजित की है।
आसियान देशों के साथ भारत के संबंध : आसियान देशों ने काफी तेजी से आर्थिक प्रगति की है जिससे भारत और चीन जैसे तेजी से विकसित होने वाले एशियाई देश के लिए आकर्षक बना रहा है | शुरुआती वर्षों में भारतीय विदेश नीति ने आसियान पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। लेकिन हाल के वर्षों में भारत ने अपनी नीति सुधारने की कोशिश की है। भारत ने दो आसियान सदस्यों, सिंगापुर और थाईलैंड के साथ मुक्त व्यापार का समझौता किया है। भारत आसियान के साथ ही मुक्त व्यापार संधि करने का प्रयास कर रहा है।
आसियान के सफल होने के कारण :
(i) आसियान की असली ताकत अपने सदस्य देशों, सहभागी सदस्यों और बाकी गैर-क्षेत्रीय संगठनों के बीच निरंतर संवाद और परामर्श करने की नीति में है।
(ii) यह एशिया का एकमात्र ऐसा क्षेत्रीय संगठन है जो एशियाई देशों और विश्व शक्तियों को राजनैतिक और सुरक्षा मामलों पर चर्चा के लिए राजनैतिक मंच उपलब्ध् कराता है।
पूरब की ओर चलो निति : भारत ने 1991 से पूरब की ओर चलों निति अपनायी | इससे पूर्वी एशिया के देशों जैसे आसियान, चीन जापान और दक्षिण कोरिया से उसके आर्थिक संबंधों में बढ़ोतरी हुई |