लगभग 600 ई.पू. से 600 ईसवीं आर्थिक और राजनितिक जीवन में परिवर्तन :
(i) वन क्षेत्रों में कृषि का विस्तार हुआ |
(ii) शिल्प विशेषज्ञों के एक विशिष्ट सामाजिक समूह का उदय हुआ |
(iii) संपत्ति के असमान वितरण ने सामाजिक विषमताओं को अधिक प्रखर बनाया।
इतिहासकारों द्वारा साहित्य, ग्रन्थ और अभिलेखों का उपयोग :
(i) समकालीन समाज को समझने के लिए |
(ii) समाज में प्रचलित आचार-व्यवहार और रिवाजों को समझने के लिए |
(iii) कुछ ग्रंथ सामाजिक व्यवहार के मानदंड तय करते थे तथा अन्य ग्रंथ समाज का चित्रण करते
थे |
(iv) इतिहासकार इनकी सहायता से समकालीन इतिहास भी लिख सकते थे |
(v) अभिलेखों से हमें समाज के कुछ ऐतिहासिक अभिनायकों की झलक मिलती है।
ग्रंथों के अध्ययन स्रोत को इतिहास में लेने में सावधानियाँ :
प्रत्येक ग्रंथ और अभिलेख किसी समुदाय विशेष के दृष्टिकोण से लिखा जाता था। अतः इन स्रोतों को लेने से पहले कुछ सावधानियाँ भी रखना जरूरी है ये सावधानियाँ निम्नलिखित है :
(i) ये ग्रंथ किसने लिखे,
(ii) क्या लिखा गया और
(iii) किनके लिए इनकी रचना हुई।
(iv) इस बात पर भी ध्यान देना जरूरी है कि इन ग्रंथों की रचना में किस भाषा का प्रयोग हुआ तथा (v) इनका प्रचार-प्रसार किस तरह हुआ।
महाभारत ग्रन्थ का विश्लेषण :
- उपमहाद्वीप के सबसे प्रसिद्द ग्रन्थ महाभारत है |
- इसके वर्त्तमान स्वरुप में 1 लाख से अधिक श्लोक हैं |
- इसमें विभिन्न सामाजिक श्रेणियों व परिस्थितियों का लेखा-जोखा है |
- महाभारत की मुख्य कथा दो परिवारों के बीच हुए युद्ध का चित्राण है।
महाभारत का समालोचनात्मक संस्करण् :
(i) 1919 में प्रसिद्ध संस्कृत विद्वान वी.एस. सुकथांकर के नेतृत्व में एक अत्यंत महत्त्वाकांक्षी परियोजना की शुरुआत हुई जिसमें अनेक विद्वानों ने मिलकर महाभारत का समालोचनात्मक संस्करण तैयार करने का जिम्मा उठाया। आरंभ में देश के विभिन्न भागों से विभिन्न लिपियों में लिखी गई महाभारत की संस्कृत पांडुलिपियों को एकत्रित किया गया। उन्होंने उन श्लोकों का चयन किया जो लगभग सभी पांडुलिपियों में पाए गए थे और उनका प्रकाशन 13,000 पृष्ठों में फैले अनेक ग्रंथ खंडों में किया। इस परियोजना को पूरा करने में सैंतालीस वर्ष लगे।
महाभारत ग्रन्थ के समालोचनात्मक संस्करण के दौरान उभरकर आई बातें :
(i) संस्कृत के कई पाठों के अनेक अंशों में समानता थी |
(ii) कुछ शताब्दियों के दौरान हुए महाभारत के प्रेषण में अनेक क्षेत्रीय प्रभेद भी उभर कर सामने आए।