अध्याय 6. जैव प्रक्रम (Life Process)
जैव प्रक्रम :
शरीर की वे सभी क्रियाएँ जो शरीर को टूट-फुट से बचाती हैं और सम्मिलित रूप से अनुरक्षण का कार्य करती हैं जैव प्रक्रम कहलाती हैं |
जैव प्रक्रम में सम्मिलित प्रक्रियाएँ निम्नलिखित हैं :
1. पोषण (Nutrition)
2. श्वसन (Respiration)
3. वहन (Transportation)
4. उत्सर्जन (Excretion)
सभी जीवों को जीवित रहने के लिए और विभिन्न कार्य करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है | ये ऊर्जा जीवों को पोषण के प्रक्रम से प्राप्त होता है | इस प्रक्रम में चयापचय नाम की एक जैव रासायनिक क्रिया होती है जो कोशिकाओं में संपन्न होती है और इसकों संपन्न होने के लिए ऑक्सीजन (oxygen) की आवश्यकता होती है जिसे जीव अपने बाहरी पर्यावरण से प्राप्त करता है | इस प्रक्रम में ऑक्सीजन का उपयोग एवं इससे उत्पन्न कार्बन-डाइऑक्साइड (CO2) का निष्कासित होना श्वसन (Respiration) कहलाता है | कुछ एक कोशिकीय जीवों में ऑक्सीजन और कार्बन-डाइऑक्साइड के वहन के लिए विशेष अंगों की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि इनकी कोशिकाएँ सीधे-तौर पर पर्यावरण के संपर्क में रहते है | परन्तु बहुकोशिकीय जीवों में गैसों के आदान-प्रदान के लिए श्वसन तंत्र होता है और इनके कोशिकाओं तक पहुँचाने के लिए एक वहन तंत्र (transportation system) होता है जिसे परिसंचरण तंत्र (Circulatory System) कहते है | जब रासायनिक अभिक्रियाओं में कार्बन स्रोत तथा ऑक्सीजन का उपयोग ऊर्जा प्राप्ति केलिए होता है, तब ऐसे उत्पाद (porducts) भी बनते हैं जो शरीर की कोशिकाओं के लिए न केवल अनुपयोगी होते हैं बल्कि वे हानिकारक भी हो सकते हैं। इन अपशिष्ट उत्पादों को शरीर से बाहर निकालना अति आवश्यक होता है। इस प्रक्रम को हम
उत्सर्जन (excretion) कहते हैं। चूँकि ये सभी प्रक्रम सम्मिलित रूप से शरीर के अनुरक्षण का कार्य करती है इसलिए इन्हें जैव प्रक्रम कहते है |
जैव रासायनिक प्रक्रम (Bio-chemical process) :
इन सभी प्रक्रियाओं में जीव बाहर से अर्थात बाह्य ऊर्जा स्रोत से उर्जा प्राप्त करता है और शरीर के अंदर ऊर्जा स्रोत से प्राप्त जटिल पदार्थों का विघटन या निर्माण होता है | जिससे शरीर के अनुरक्षण तथा वृद्धि के लिए आवश्यक अणुओं का निर्माण होता है | इसके लिए शरीर में रासायनिक क्रियाओं की एक श्रृंखला संपन्न होती है जिसे जैव रासायनिक प्रक्रम कहते हैं |
पोषण की प्रक्रिया (The process of Nutrition)
बाह्य ऊर्जा स्रोत से ऊर्जा ग्रहण करना (जटिल पदार्थ)
ऊर्जा स्रोत से प्राप्त जटिल पदार्थों का विघटन
जैव रासायनिक प्रक्रम से सरल उपयोगी अणुओं में परिवर्तन
ऊर्जा के रूप में उपभोग
पुन: विभिन्न जैव रासायनिक प्रक्रम का होना
नए जटिल अणुओं का निर्माण (प्रोटीन संश्लेषण की क्रिया)
शरीर की वृद्धि एवं अनुरक्षण
अणुओं के विघटन की समान्य रासायनिक युक्तियाँ :
शरीर में अणुओं के विघटन की क्रिया एक रासायनिक युक्ति के द्वारा होती है जिसे चयापचय (Metabilism) कहते हैं |
उपापचयी क्रियाएँ जैवरासायनिक क्रियाएँ हैं जो सभी सजीवों में जीवन को बनाये रखने के लिए होती है |
उपापचयी क्रियाएँ दो प्रकार की होती हैं |
(i) उपचयन (Anabolism) : यह रचनात्मक रासायनिक प्रतिक्रियाओं का समूह होता है जिसमें अपचय की क्रिया द्वारा उत्पन्न ऊर्जा का उपयोग सरल अणुओं से जटिल अणुओं के निर्माण में होता है | इस क्रिया द्वारा सभी आवश्यक पोषक तत्व शरीर के अन्य भागों तक आवश्यकतानुसार पहुँचाएँ जाते है जिससें नए कोशिकाओं या उत्तकों का निर्माण होता है |
(ii) अपचयन (Catabolism) : इस प्रक्रिया में जटिल कार्बनिक पदार्थों का विघटन होकर सरल अणुओं का निर्माण होता है तथा कोशिकीय श्वसन के दौरान उर्जा का निर्माण होता है |
जैव प्रक्रम के अंतर्गत निम्नलिखित प्रक्रम है जो सम्मिलित रूप से अनुरक्षण का कार्य करते हैं :
(1) पोषण (Nutrition)
(2) श्वसन (Respiration)
(3) वहन (Transportation)
(4) उत्सर्जन (Excretion)