आनुवंशिकता एवं जैव विकास
- जनन प्रक्रमों द्वारा नए जीव (individual) उत्पन्न होते हैं जो जनक के समान होते हुए भी कुछ भिन्न होते हैं |
- सबसे अधिक विभिन्नताएँ लैंगिक प्रजनन द्वारा ही प्राप्त होती हैं |
- पर्यावरण कारकों द्वारा उत्तम परिवर्त का चयन जैव विकास प्रक्रम का आधार बनाता है |
स्पीशीज के अस्तित्व के लिए विभिन्नताओं का महत्त्व: किसी भी स्पीशीज में कुछ विभिन्नताएँ उन्हें अपने जनक से मिली होती है, जबकि कुछ विभिन्नताएँ उनमें विशिष्ट होती है | जो कई बार विशेष परिस्थितियों में उन्हें विशिष्ट बनाता है | प्रकृति की विविधता के आधार पर इन विभिन्नताओं से जीव की स्पीशीज को विभिन्न प्रकार का लाभ हो सकते हैं | जैसे - किसी जीवाणु की कुछ स्पीशीज में उष्णता को सहने की क्षमता है | यदि किसी कारण उसके पर्यावरण में अचानक उष्णता बढ़ जाती है तो इसकी सबसे अधिक संभावना है कि वह स्पीशीज अपने अस्तित्व को अधिक गर्मी से बचा लेगा |
आनुवंशिकी (Genetics): लक्षणों के वंशीगत होने एवं विभिन्नताओं का अध्ययन ही आनुवंशिकी कहलाता है |
आनुवंशिकता (Heredity): विभिन्न लक्षणों का पूर्ण विश्वसनीयता के साथ एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में वंशागत होना आनुवंशिकता कहलाता है |
विभिन्नता (Variation): एक स्पीशीज के विभिन्न जीवों के शारीरिक अभिकल्प (Design) और डी.एन.ए. में अंतर विभिन्नता कहलाता है |
वंशागत लक्षण (Inherited Traits): वे लक्षण जो किसी स्पीशीज के अपने आधारभूत लक्षणों के साथ-साथ कुछ विशेष लक्षण जो उसके जनक से उसमें वंशानुक्रम हुए है | जैसे - कुछ मनुष्यों में कर्णपालि का जुड़ा हुआ होना या किसी में स्वतंत्र होना आदि |
मेंडल का प्रयोग एवं वंशागत नियमों के प्रतिपादन में योगदान :
मेंडल ने वंशागति के कुछ मुख्य नियमों को प्रस्तुत किए | उन्हें आनुवंशिकी विज्ञान का जनक कहा जाता है | उन्होंने अपने प्रयोग के लिए मटर के पौधों को चुना | मटर एक वर्षीय पौधा है जो बहुत ही कम समय में इसका जीवन काल समाप्त हो जाता है एवं फल एवं फुल दे देता है | मटर की विभिन्न प्रजातियाँ होती है जिनके लक्षण स्थूल रूप से दिखाई देते है | जैसे- गोल या झुर्रीदार बीज वाला, लम्बे या बौने पौधे वाला, सफ़ेद या बैगनी फुल वाला पीले या हरे बीज वाला आदि |
लक्षणों के वंशागति के नियम :
(i) मानव में लक्षणों की वंशागति के नियम इस बात पर आधारित हैं कि माता-पिता दोनों ही समान मात्रा में आनुवंशिक पदार्थ को संतति (शिशु) में स्थानांतरित करते है |
(ii) प्रत्येक लक्षण के लिए प्रत्येक संतति में दो विकल्प होते हैं |
(iii) प्रत्येक लक्षण माता-पिता के DNA से प्रभावित होते हैं |