अध्याय 3. नात्सीवाद और हिटलर का उदय
प्रश्न: हिटलर के विचार किन दार्शनिकों के विचारों पर आधारित था ?
उत्तर: चार्ल्स डार्विन और हर्बर्ट स्पेंसर |
प्रश्न: 30 जनवरी 1933 को जर्मनी के किस राष्ट्रपति ने हिटलर को चांसलर का पद-भार संभालने का न्योता दिया ?
उत्तर: राष्ट्रपति हिंडनबर्ग ने |
प्रश्न: नात्सी शासन में कुल कितने किस्म के लोगों को अपने दमन का निशाना बनाया ?
उत्तर: 52 किस्म के लोगों को |
प्रश्न : द्वितीय विश्व युद्ध में हिटलर ने सबसे बड़ी भूल क्या की ?
उत्तर: सोवियत संघ पर हमला करना हिटलर की ऐतिहासिक बेवकूफी मानी जाती है |
प्रश्न: द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मनी का साथ किन किन देशों ने दिया ? इन्हें क्या कहा जाता है ?
उत्तर: जर्मनी, इटली और जापान | इन्हें धूरी राष्ट्र कहा जाता है |
प्रश्न: किन देशों को मित्र राष्ट्र कहा जाता है ?
उत्तर: फ्रांस, इंग्लैंड और रूस को मित्र राष्ट्र कहा जाता है |
प्रश्न: हिटलर ने आर्थिक संकट से निकालने के लिए कौन सा विकल्प चूना ?
उत्तर: हिटलर ने आर्थिक संकट से निकालने के लिए युद्ध का विकल्प चूना |
प्रश्न: घेटो या दड़बा किसे कहा जाता था ?
उत्तर: यहूदी बाकि समाज से अलग बस्तियों में रहते थे जिन्हें घेटो या दड़बा कहा जाता था |
प्रश्न: 'नवम्बर का अपराधी' कहकर किसे बुलाया जाता था ?
उत्तर: वाइमर गणराज्य के समर्थकों को 'नवम्बर का अपराधी' कहकर बुलाया जाता था |
प्रश्न: नात्सीवाद क्या है ?
उत्तर: यह एक सम्पूर्ण व्यवस्था और विचारों की पूरी संरचना का नाम है | जिसका जनक हिटलर को माना जाता है | जर्मन साम्राज्य में यह एक विचारधारा की तरह फ़ैल गई थी जो खास तरह की मूल्य-मान्यताओं, एक खास तरह के व्यवहार से सम्बंधित था |
प्रश्न: नात्सियों का विश्व दृष्टिकोण क्या था ?
उत्तर:
(i) सभी समाजों का जर्मन साम्राज्य में बराबरी का हक नहीं था | वे नस्लीय आधार पर या तो बेहतर थे या कमतर थे | उनका मानना था की जर्मन आर्य सबसे उच्च कोटि की नस्ल है और इसे ही जीने का हक है बाकि किसी को भी जीने का हक नहीं है अत: इन्हें मौत के घाट उतार दिया जाये |
(ii) उनकी दूसरी दृष्टिकोण जीवन-परिधि की भू-राजनितिक अवधारणा से संबन्धित था उनका मानना था कि अपने लोगों को बसाने के लिए ज्यादा से ज्यादा इलाकों पर कब्जा करना जरुरी है | उनका मानना था की युद्धों से जर्मन राष्ट्र के लिए संसाधन, धन और बेहिसाब शक्ति इक्कठा किया जा सकता है |
प्रश्न: हिटलर का उदय कब और कैसे हुआ ?
उत्तर: हिटलर ने 1919 में वर्कर्स पार्टी की सदस्यता ली और धीरे-धीरे उसने इस संगठन पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया | फिर उसे सोशलिस्ट पार्टी का न्य नाम दे दिया | यही पार्टी बाद में नात्सी पार्टी के नाम से जाना गया | महामंदी के दौरान जब जर्मन अर्थव्यवस्था जर्जर हो चुकी थी काम धंधे बंद हो रहे थे | मजदुर बेरोजगार हो रहे थे | जनता लाचारी और भुखमरी में जी रही थी तो नात्सियों ने प्रोपेगैंडा के द्वारा एक बेहतर भविष्य की उम्मीद दिखाकर अपना नात्सी आन्दोलन चमका लिया | और इसी के बाद चुनावों में 32 फीसदी वोट से हिटलर जर्मन का चांसलर बना |
प्रश्न : हिटलर की राजनैतिक शैली कैसी थी ?
अथवा
प्रश्न: हिटलर की राजनैतिक शैली का वर्णन कीजिए |
उत्तर: हिटलर की राजनैतिक शैली में निम्नलिखित बातें शामिल थी |
(i) वह लोगों को गोल बंद करने के लिए आडंबर और प्रदर्शन करने में विश्वास रखता था |
(ii) वह लोगों का भारी समर्थन दर्शाने और लोगों में परस्पर एकता की भावना पैदा करने के लिए बड़े-बड़े रैलियाँ और सभाएँ करता था |
(iii) स्वस्तिक छपे लाल झंडे, नात्सी सैल्यूट का प्रयोग किया करता था और भाषण खास अंदाज में दिया करता था | भाषणों के बाद तालियाँ भी खास अंदाज ने नात्सी लोग बजाया करते थे |
(iv) चूँकि उस समय जर्मनी भीषण आर्थिक और राजनीतिक संकट से गुजर रहा था इसलिए वह खुद को मसीहा और रक्षक के रूप में पेश कर रहा था जैसे जनता को इस तबाही उबारने के लिए ही अवतार लिया हो |
प्रश्न: द्वितीय विश्व युद्ध का अंत कैसे हुआ ?
उत्तर: जब द्वितीय विश्व युद्ध में अमेरिका कूद पड़ा | तो धूरी राष्ट्रों को घुटने टेकने पड़े, इसके साथ ही हिटलर की पराजय हुआ और जापान के हिरोशिमा और नागासाकी शहर पर अमेरिका के बम गिराने के साथ द्वितीय विश्व युद्ध का अंत हो गया |
प्रश्न: महत्मा गाँधी ने एल्डोफ़ हिटलर को क्या नसीहत दी ?
उत्तर: महात्मा गाँधी ने पत्र के माध्यम से एल्डोफ़ हिटलर को नसीहत दी कि "हमें अहिंसा के रूप में एक ऐसी शक्ति प्राप्त हो गई है जिसे यदि संगठित कर लिया जाय तो वह संसार भर की प्रबलतम हिंसात्मक शक्तियों के गठजोड़ का मुकाबला कर सकतीं हैं |
प्रश्न: कार्ल मार्क्स कौन था ? उसके विचारों का 1917 ई0 की रुसी क्रांति पर क्या असर पड़ा ?
उत्तर: कार्ल मार्क्स एक जर्मन यहूदी था जो इंग्लैंड में रहता था | वह एक विचारक था तथा उसके विचारों का प्रभाव रूस ही नहीं अपितु पुरे विश्व की जनता पर पड़ी | उसने अपने विचारों को अपनी पुस्तक 'दास कैपिटल' में लिखा | उसके विचारों का सीधा असर रूस के समाजवादियों पर पड़ा | उन्होंने उसके विचारों को अपनी आंदोलनों में शामिल कर लिया |
उसके विचार इस प्रकार थे |
(i) किसी के पास निजी सम्पति नहीं होनी चाहिए क्योंकि निजी संपति पूंजीवाद की जननी है |
(ii) पूंजीपति लोग अपने लाभ को प्राप्त करने के लिए मजदूरों का शोषण करते हैं |
(iii) संसार भर में उत्पादन के साधनों पर किसानों और मजदूरों का हक होना चाहिए तथा उन्हें शोषण से मुक्ति मिल सकती है |
(iv) शांतिपूर्ण ढंग से पूँजीवाद नहीं मिट सकता इसके लिए हड़ताल और क्रांतियाँ आवश्यक है |