अध्याय 3. नात्सीवाद और हिटलर का उदय
प्रश्न: लोकतंत्र को ध्वंस करने के लिए हिटलर तथा नात्सियों ने क्या कदम उठाए ?
उत्तर:
(i) 28 फ़रवरी, 1933 को अग्नि अध्यादेश (फायर डिक्री) के जरिए अभिव्यक्ति, प्रेस एवं सभा करने की आजादी जैसे अधिकारों को निलंबित कर दिया गया |
(ii) कम्युनिस्टों का बर्बरता पूर्वक दमन किया गया उनकी हत्याएँ करवाई गयी |
(iii) सभी राजनैतिक विरोधियों और गैर-नात्सियों की हत्याएँ की गयी या उन्हें यातना गृह भेज दिया जाता था |
(iv) नात्सी पार्टी तथा उसके संगठनों के अतिरिक्त सभी पार्टियों पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया |
(v) समाज पर निगरानी और नियंत्रण के लिए विशेष निगरानी और सुरक्षा दस्ते गठित किये गए |
प्रश्न: जर्मनी में आए 1923 के आर्थिक संकट पर टिप्पणी लिखिए |
उत्तर:
(i) प्रथम विश्व युद्ध कर्ज लेकर लड़ा गया |
(ii) जर्मनी को हर्जाना भी स्वर्ण मुद्रा में देना पड़ा |
(iii) बड़ी मात्रा में कागजी मुद्रा छापने से जर्मनी में अति मुद्रास्फीति आ गई | वहाँ की मुद्रा मार्क की कीमत गिर गई |
(iv) महंगाई बहुत बढ़ गई | इस आर्थिक संकट से उबरने के लिए उसे अमेरिका से शर्तों पर आर्थिक सहायता लेनी पड़ी |
(v) जर्मनी का कर्ज और हर्जाना न चुकाए जाने पर फ्रांसिसियों ने जर्मनी के प्रमुख औद्योगिक इलाके पर कब्जा कर लिया और उसके कोयले के भंडार क्षेत्र पर भी कब्जा कर लिया |
प्रश्न: जर्मनी में वाईमर गणराज्य की स्थापना के क्या कारण थे ? वाईमर गणराज्य की विशेषताओं का वर्णन कीजिए |
उत्तर: प्रथम विश्व युद्ध में जर्मनी की पराजय और सम्राट के त्यागपत्र के पश्चात् वहाँ की संसदीय पार्टियों ने एक नई राजनितिक व्यवस्था की स्थापना की यही वाईमर गणराज्य था |
(i) यह एक संघीय और लोकतांत्रिक गणराज्य था जिसका एक लोकतान्त्रिक संविधान भी था |
(ii) इसमें प्रतिनिधियों के चुनाव के लिए औरत सहित सभी व्यस्क नागरिकों को समान और सार्वभौमिक मताधिकार प्राप्त था |
(iii) इसमें अनुपातिक चुनाव प्रणाली की व्यवस्था थी |
(iv) धारा 48 के अंतर्गत राष्ट्रपति को आपातकाल लागु करने, नागरिक अधिकार रद्द करने और अध्यादेश जारी करने का अधिकार था |
प्रश्न: नात्सी जर्मनी में बच्चों और युवाओं के प्रति अपनाई गई निति का वर्णन कीजिए |
उत्तर:
(i) बच्चों के लिए नात्सी विचारधारा की जानकारी आवश्यक थी | उन्हें कठोर अनुशासन में रख कर इसकी शिक्षा दी जाती थी |
(ii) अवांछित बच्चों को स्कुल से निकाल दिया गया |
(iii) जो बच्चे नात्सी टेस्ट में पास हो जाते थे उन्हें पाला जाता था और जो अवांछित थे उन्हें अनाथालय में डाल दिया जाता था |
(iv) नात्सी शिक्षा के लिए पाठ्यक्रम तैयार किया गया और उन्हें उसी पाठ्यक्रम के अनुसार शिक्षा दी जाती थी | उन्हें यहूदियों से नफ़रत और हिटलर की पूजा करने को कहा जाता था |
(iv) खेलकूद के जरिए भी युवाओं में हिंसा और आक्रामकता की भावना पैदा की जाति थी |
(v) जर्मन बच्चों और युवाओं को राष्ट्रिय समाजवाद की भावना से लैस करने की जिम्मेदारी युवा संगठनों को सौपी गई थी | इसके बाद उन्हें सेना में काम करना पड़ता था और किसी नात्सी संगठन की सदस्यता लेनी पड़ती थी |
प्रश्न: नात्सियों द्वारा यहूदियों के साथ कैसा बर्ताव किया गया ?
उत्तर: नात्सियों द्वारा यहूदियों के साथ किया गया बर्ताव इंसानियत की हद से भी कही बुरा और बर्बरता पूर्ण था | यहूदियों पर जुल्म की दास्तान कई चरणों में था जो निम्न है |
(i) पहले तो यहूदियों को जर्मनी की नागरिकता से बेदखल किया गया | फिर उनसे कहा गया की उन्हें जर्मनों की बीच रहने का कोई अधिकार नहीं है | कई क़ानूनी उपाय कर उन्हें सरकारी सेवाओं से निकाला गया | उनके व्यवसाय का बहिष्कार हुआ और उनकी सम्पति जब्त कर बिक्री कर दी गई | उनके सम्पतियों को लुटा गया और उनके घर जला दिए गए |
(ii) सितम्बर 1941 यहूदियों को हुक्म दिया गया कि वह डेविड का पीला सितारा अपने छाती पर लगा कर रखेंगे | उनके पासपोर्ट, तमाम क़ानूनी दस्तावेजों और घरों के बाहर भी यह पहचान चिन्ह छुपा दिया गया | उन्हें घेटो बस्तियों में कष्टपूर्ण और दरिद्रता की स्थिति में रखा जाता था |
(iii) समूचे यूरोप के यहूदी मकानों, यातना गृहों और घेटों बस्तियों में रहने वाले यहूदियों को मालगाड़ियों में भार-भार कर मौत के कारखानों में लाया जाने लगा | उनगे गैस चैम्बरों में झोंक दिया जाता था |