3. नात्सीवाद और हिटलर का उदय
Q1. वाइमर गणराज्य के सामने क्या समस्याएँ थीं?
उत्तर: वाइमर गणराज्य के सामने निम्नलिखित समस्याएँ थी |
(i) युद्ध में पराजय और राष्ट्रिय अपमान और हर्जाने के लिए इसी को दोषी ठहराया गया | गणराज्य के समर्थकों को नवम्बर का अपराधी कहकर उनका मजाक उडाया जाता था |
(ii) रूस की बोल्वेशिक क्रांति की तरह ही जर्मनी में स्पार्टकिस्ट लीग द्वारा विद्रोह की योजना बनाई गई | इसे वाइमर गणराज्य ने विफल तो कर दिया परन्तु जर्मनी के साम्यवादी और समाजवादी एक दुसरे के कट्टर दुश्मन बन गए |
(iii) प्रथम विश्व युद्ध के बाद जब कर्ज और हर्जाना चुकाने से मना कर दिया तो फ्रांस ने उसके बहुत से आर्थिक क्षेत्रों पर कब्ज़ा कर लिया |
(iv) 1923 में इस गणराज्य को आर्थिक संकट इस कदर झेलने पड़े कि उसके मुद्रा की कीमत अंतर्राष्ट्रीय बाजार में काफी कम हो गयी और कर्ज और महगाई मुद्रास्फीति काफी बढ़ गई | जिसे निपटने के लिए उसे अमेरिका से आर्थिक मदद कर्ज के रूप में लेनी पड़ी |
Q2. इस बारे में चर्चा कीजिए कि 1930 तक आते-आते जर्मनी में नात्सीवाद को लोकप्रियता क्यों मिलने लगी?
उत्तर: 1929 के बाद बैंक दिवालिया हो चुके, काम-धंधे बंद होते जा रहे थे, मजदुर बेरोजगार हो रहे थे और मध्यवर्ग को लाचारी और भुखमरी का डर सता रहा था। नात्सी प्रोपेगैंडा में लोगों को एक बेहतर भविष्य की उम्मीद दिखाई देती थी। धीरे-धीरे नात्सीवाद एक जन आन्दोलन का रूप लेता गया और जर्मनी में नात्सीवाद को लोकप्रियता मिलने लगी |
हिटलर एक जबरदस्त वक्ता था। उसका जोश और उसके शब्द लोगों को हिलाकर रख देते थे। वह अपने भाषणों में एक शक्तिशाली राष्ट्र की स्थापना, वर्साय संधि में हुई नाइंसाफी जर्मन समाज को खोई हुई प्रतिष्ठा वापस दिलाने का आश्वासन देता था। उसका वादा था कि वह बेरोजगारों को रोजगार और नौजवानों को एक सुरक्षित भविष्य देगा। उसने आश्वासन दिया कि वह देश को विदेशी प्रभाव से मुक्त कराएगा और तमाम विदेशी ‘साशिशों’ का मुँहतोड़ जवाब देगा।
Q3. नात्सी सोच के ख़ास पहलू कौन-से थे?
उत्तर: नात्सी सोच के ख़ास पहलू निम्नलिखित थे :-
(i) सभी समाज बराबर नहीं हैं|वे नस्ली आधार पर बेहतर या कमतर हैं| इसके अंतर्गत ब्लॉन्ड, नीली आँखों वाले नार्डिक जर्मन आर्य सबसे ऊपरी और यहूदी सबसे निचलि पायदान पर आते हैं| यहूदियों को नस्लविरोधी अर्थात आर्यों का कट्टर शत्रु माना जाता था|
(ii) हिटलर की नस्ली सोच चार्ल्स डार्विन और हर्बर्ट स्पेंसर के सिद्धांतों की मनमानी व्याख्या पर आधारित थी|
(iii) नात्सियों का विचार था कि जो नस्ल सबसे ताकतवर हैं वह जिन्दा रहेंगी, कमजोर नसले खत्म हो जाएगी|
(iv) आर्य नस्ल सर्वश्रेष्ठ हैं| उसे अपनी शुद्धता बनाए रखनी हैं, ताकत हासिल करनी हैं और दुनिया पर वर्चस्व कायम करना हैं|
(v) नात्सी शुद्ध और स्वस्थ नार्डिक आर्यों का समाज बनाना चाहते थे| वे नस्ली कल्पनालोक की स्थापना करना चाहते थे|
Q4. नात्सियों का प्रोपेगैंडा यहूदियों के खिलाफ नफरत पैदा करने में इतना असरदार कैसे रहा?
उत्तर: नात्सियों का प्रोपेगैंडा यहूदियों के खिलाफ नफरत पैदा करने में निम्नलिखित कारणों से असरदार रहा:-
उत्तर: (i) नात्सी समाज में औरतों को मर्दों से भिन्न मन जाता था| लड़कियों का कर्तव्य एक अच्छी मां बनना और शुद्ध आर्य रक्त वाले बच्चों को जन्म देना तथा उनका पालन-पोषण करना होता था| अवांछित बच्चों को जन्म देने वाली माताओं को दण्ड तथा वांछित बच्चों को जन्म देने वाली माताओं को इनाम में तमगे दिए जाते थे| उनके लिए आचार संहिता का निर्माण किया गया| निर्धारित आचार संहिता का उल्लंघन करने पर दण्ड दिया जाता था|
(ii) फ्रांसीसी क्रांति और नात्सी शासन में औरतों की भूमिका में बड़ा अंतर था क्योंकि फ्रांसीसी क्रांति में औरतों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया| अपने हितो की रक्षा के लिए उन्होंने राजनीतिक क्लब शुरू किए | उनमें ' सोसाइटी ऑफ़ रेवलूशनरी एंड रिपब्लिकन विमेन ' सबसे प्रसिद्ध क्लब था| उनकी मांग थी कि उनको पुरूषों के सामान राजनीतिक अधिकार प्राप्त होने चाहिए| उन्होंने मताधिकार, असंबेली के लिए चुने जाने तथा राजनीतिक पदों की मांगे रखी| फ्रांस में उनकी दशा को सुधारने के लिए कई कानून बनाए गये| शिक्षा अनिवार्य की गई| शादी को स्वैच्छिक अनुबंध माना गया|जबकि जर्मनी में उनकी भूमिका को सीमित कार दिया गया|
Q6. नात्सियों ने जनता पर पूरा नियंत्रण हासिल करने के लिए कौन-कौन से तरीके अपनाए?
उत्तर: नात्सियों ने जनता पर पूरा नियंत्रण हासिल करने के लिए निम्नलिखित तरीके अपनाए :-
(i) हिटलर ने राजनीति की एक नई शैली रची थी। वह लोगों को गोलबंद करने के लिए आडंबर और प्रदर्शन की अहमियत समझता था।
(ii) हिटलर के प्रति भारी समर्थन दर्शाने और लोगों में परस्पर एकता का भाव पैदा करने के लिए नात्सियों ने बड़ी-बड़ी रैलियाँ और जनसभाएँ आयोजित कीं।
(iii) स्वस्तिक छपे लाल झंडे, नात्सी सैल्यूट और भाषणों के बाद खास अंदाज में तालियों की गड़गड़ाहटμये सारी चीजे शक्ति प्रदर्शन का हिस्सा थीं।
(iv) नात्सियों ने अपने धूआँधार प्रचार के जरिये हिटलर को एक मसीहा, एक रक्षक, एक ऐसे व्यक्ति के रूप में पेश किया, जिसने मानो जनता को तबाही से उबारने के लिए ही अवतार लिया था।
(v) एक ऐसे समाज को यह छवि बेहद आकर्षक दिखाई देती थी जिसकी प्रतिष्ठा और गर्व का अहसास चकनाचूर हो चुका था और जो एक भीषण आर्थिक एवं राजनीतिक संकट से गुजर रहा था।