पाठ-2. नये राजा और उनके राज्य
प्रश्न: जोड़े बनाओ-
गुर्जर-प्रतिहार | पश्चिमी दक्कन |
राष्ट्रकूट | बंगाल |
पाल | गुजरात और राजस्थान |
चोल | तमिलनाडु |
उत्तर:
गुर्जर-प्रतिहार | गुजरात और राजस्थान |
राष्ट्रकूट | पश्चिमी दक्कन |
पाल | बंगाल |
चोल | तमिलनाडु |
प्रश्न: ‘त्रिपक्षीय संघर्ष’ में लगे तीनो पक्ष कौन-कौन से हैं?
उत्तर: गुर्जर-प्रतिहार, राष्ट्रकूट और पाल ‘त्रिपक्षीय संघर्ष’, में लगे तीन पक्ष थे जो गंगा नदी घाटी में कन्नौज के नियंत्रण को लेकर संघर्षत थे|
प्रश्न: चोल साम्राज्य में सभा की किसी समिति का सदस्य बनने के लिए आवश्यक शर्ते क्या थी?
उत्तर: उत्तरमेरूरअभिलेख के अनुसार, चोल साम्राज्य में सभा की किसी समिति का सदस्य बनने के लिए निम्नलिखित योग्यताएँ आवश्यक थी:
(i) सभा की सदस्यता के लिए इच्छुक लोगो को ऐसी भूमी का स्वामी होना चाहिए जहाँ से भू-राजस्व वसूला जाता है|
(ii) उनके पास अपना घर होना चाहिए|
(iii) उनकी उम्र 35 से 70 के बिच होनी चाहिए|
(iv) उन्हें वेदों का ज्ञान होना चाहिए|
(v) उन्हें प्रशासनिक मामलो की अच्छी जानकारी होनी चाहिए और ईमानदार होना चाहिए|
(vi) यदि कोई पिछले तीन सालो में किसी समिति का सदस्य रहा है तो वह किसी और समिति का सदस्य नहीं बन सकता|
(vii) जिसने अपने या अपने संबंधियों के खाते जमा नहीं कराए है, वह चुनाव नहीं लड़ सकता|
प्रश्न: चाहमानो के नियंत्रण में आने वाले दो प्रमुख नगर कौन - से थे?
उत्तर: चाहमनो के नियंत्रण में थे – इंद्रप्रस्थ और कन्नौज|
प्रश्न: राष्ट्रकूट कैसे शक्तिशाली बने?
उत्तर: (i) मध्य 8वीं सदी एक राष्ट्रकूट प्रमुख दंतीदुर्ग ने अपने चालुक्य राजा की हत्या कर दी|
(ii) उसने ‘हिरण्य गर्भ’ अनुष्ठान भी करवाया,उसके बाद वह स्वयं को क्षत्रिय के रूप में ‘पुनर्जन्म’ वाला समझने लगा|
(iii) इस प्रकार उसने दक्कन में राष्ट्रकूट वंश की आधारशिला राखी|
प्रश्न: नये राजवंशो ने स्वीकृत हासिल करने के लिए क्या किया?
उत्तर: स्वीकृति हासिल करने के लिए नये राजवंशो ने ब्राह्मणों की सहायता से पवित्र अनुष्ठान किये, जैसे – राष्ट्रकूट प्रमुख, नीची जाती के दंतीदुर्ग ने हिरण्य गर्भ अनुष्ठान करवाया|
प्रश्न: तमिल क्षेत्र में किस तरह की सिंचाई व्यवस्था का विकास हुआ?
उत्तर: तमिल क्षेत्र में निम्न प्रकार की सिंचाई व्यस्था का विकास हुआ:
(i) डेल्टा क्षेत्रों में खेतो तक पानी पहुचने के लिए नहरों का निर्माण किया|
(ii) कुछ क्षेत्रों में कुएँ खोदे गये|
(iii) अन्य स्थानों पर, वर्षा जल के संग्रहण हेतु बड़े-बड़े जलाशय बनवाये गये|
प्रश्न: चोल मंदिरों के साथ कौन-कौन सी गतिविधियाँ जुडी हुई थी?
उत्तर: चोल मंदिरों के साथ निम्नलिखित गतिविधियाँ जुडी हुई थी:
(i) चोल मंदिर अक्सर अपने आस-पास विकसित होने वाली बस्तियों के केंद्र बन गये
थे|
(ii) ये शिल्प-उत्पादन के केंद्र थे|
(iii) मंदिर सामाजि, आर्थिक, सांस्कृतिक, और धार्मिक गतिविधियों के केंद्र थे|
(v) चोल मंदिरों में कांस्य प्रतिमाएँ भी लगे जाती थी|
प्रश्न: जिस तरह के पंचायती चुनाव हम आज देखते है, उनसे उत्तरमेरू के ‘चुनाव’ किस तरह से अलग थे?
उत्तर: वर्तमान पंचायत चुनाव में लॉटरी से पंचायत सदस्यों को चुनाव नहीं होता जैसा की चोल साम्राज्य में होता था|
प्रश्न: जिस तरह के पंचायती चुनाव हम आज देखते हैं, उनसे उत्तरमेरूर के चुनाव किस तरह से अलग थे?
उत्तर: वर्तमान समय के पान्चायात चुनाव उत्तरमेरूर के चुनाव में अंतर:
वर्तमान समय के पंचायत चुनाव:
(i) सार्वभौमिक व्यस्क मताधिकार के द्वारा चुनाव
(ii) मतदाता अपने पंसद के उम्मीदवारों को मत देता हैं|
उत्तरमेरूर के चुनाव:
(i) लॉटरी पद्धति द्वारा विभिन्न समितियों के सदस्य चुने जाते थे|
(ii) चुनाव पूएँ रूप से प्रत्याशियों के भाग्य पर निर्भर था|