अतिरिक्त - प्रश्न:
प्रश्न: क्या आपके विचार से उस दौर में एक शासक बनने के लिए क्षत्रिय के रूप में पैदा होना महत्त्वपूर्ण था?
उत्तर: हमारे विचार से उस दौर में एक शासक बनने के लिए क्षत्रिय में रूप में पैदा होना महत्त्वपूर्ण नहीं था| भारत के कई गैर क्षत्रिय शासक हुए जिनमें मयूर्शर्मं और गुर्जर, प्रतिहार हरिचंद्र ब्राहमण थे, जिन्होंने अपने परंपरागत पेशे को छोड़कर शास्त्र को अपना लिया| इसके अतिरिक्त कई और भी शासक हुए जो क्षत्रिय नहीं थे, लेकिन उस दौर में भारत के अधिकाँश शासक क्षत्रिय थे|
प्रश्न: प्रशासन का यह रूप आज की व्यवस्था से किन मायनों में भिन्न था?
उत्तर: मध्यकाल में भारत में राजतंत्र कायम था| राजतंत्र में शासक वंशानुगत हुआ करते थे, अर्थात् राजा का पुत्र ही राजा होता था, लेकिन आज की प्रशासनिक लोकतांत्रिक हैं, जिसमें जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि ही शासन करते हैं| जनता के चुने हुए प्रतिनिधि ही सरकार का गठन करते हैं| मध्यकाल में जनता किसी भी रजा का न तो चुनाव कर सकती थी ण ही उसे हटा सकती थी|
प्रश्न: कारण बताइए, जिनके चलते थे शासक कन्नौज और गंगा घाटी के ऊपर नियंत्रण चाहते थे|
उत्तर: आठवीं सदी से लेकर बारहवीं सदी के पूर्वार्द्ध भारत का राजनितिक शक्ति का केंद्र था| कन्नौज उत्तर भारत के माध्यम में स्थित था| इसलिए गुर्जर पर्तिहार, पाल वंश और राष्ट्रकूट वंश के राजाओं ने लंबे समय तक कन्नौज के लिए संघर्ष किया, जिससे इन शासकों का कन्नौज पर नियंत्रण कायम हो सके| चूंकि इस लंबी चली लड़ाई में तीन पक्ष थे, इसलिए इतिहासकारों ने प्राय: इसकी चर्चा त्रिपक्षीय संघर्ष के रूप में की हैं|
प्रश्न: प्राचीन व मध्यकाल के राजाओं द्वारा कई तरह के दावे किए जाते थे, आपके विचार से ऐसे दावे उन्होंने क्यों किए होगे?
उत्तर: कई प्रशास्तियों में शासक कई तरह के दावे करते थे, मिसाल के लिए शूरवीर, विजयी योद्धा के रूप में| समुद्रगुप्त ने अपने प्रशास्ति में वर्णन किया कि आंध्र, सैंधव, विदर्भ और कलिंग के राजा उनके आगे तभी धराशायी हो गए जब वे राजकुमार थे| इस तरह के दावे शासक अपने आपको सम्मानित और गौरवान्वित करने के लिए करते थे|
प्रश्न: विचार - विमार्श कीजिए कि चाह्मानों ने अपने इलाके का विस्तार क्यों करना चाहा होगा?
उत्तर: चाहमान दिल्ली और अजेमर के आस - पास के क्षेत्र पर शासन करते थे| उन्होंने पश्चिम और पूर्व की ओर अपने नियंत्रण क्षेत्र का विस्तार करना चाहा, जहाँ उन्हें गुजरात के चालुक्यों और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गहडवालों से टक्कर लेनी पड़ी| चौहानों ने अपनी शक्ति को मजबूत करने के लिए और अपनी प्रतिष्ठा बढाने के लिए अपने साम्राज्य में विस्तार करना चाहा होगा|
प्रश्न: क्या आपकों लगता हैं कि महिलाएँ इन सभाओं में हिस्सेदारों कराती थी? क्या आप समझाते हैं कि समितियों के सदस्यों के चुनाव के लिए लॉटरी का तरीका उपयोगी होता हैं|
उत्तर: महिलाओं का सभाओं में भाग लेने का प्रमाण इतिहास के किसी साक्ष्य में नहीं मिला हैं| चोल प्रशासन के कुछ समितियों में ही सदस्यों का चुनाव लॉटरी से किया जाता था, बाकी सदस्यों का चुनाव प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा किया जाता था| कुछ समितियों के सदस्यों के चुनाव के लिए लॉटरी तरीका सही हैं|