पाठगत प्रश्नोत्तर:-
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1. पर्यावरण-मित्र बनने के लिए आप अपनी आदतों में कौन-से परिवर्तन ला सकते हैं?
उत्तर: हम कई तकनीकों से और अधिक पर्यावरण मित्र बन सकते हैं| जैसे- हम तीन 'R' जैसे कहावतो पर काम क्र सकते हैं, अर्थात उपयोग कम करना पुनः चक्रण तथा पुनः उपयोग| इन कहावतो को अपनी आदतों में शामिल करके हम और अधिक पर्यावरण मित्र बन सकते हैं|
2. संसाधनों के दोहन के लिए कम अवधि के उद्देश्य के परियोजना के क्या लाभ हो सकते हैं?
उत्तर: इससे यह लाभ हो सकता हैं कि बिना किसी उत्तरदायित्व के अधिक से अधिक मुनाफा प्राप्त किया जा सकता हैं|
3. यह लाभ, लंबी अवधि को ध्यान में रखकर बनाई गई परियोजनाओं के लाभ से किस प्रकार भिन्न हैं।
उत्तर: कम उद्देश्य में परियोजनाओ का एक मात्र लाभ हैं कि संसाधनों का अधिक-से-अधिक दोहन द्वारा हम अधिक-से-अधिक लाभ लाभ प्राप्त करते हैं| इन योजनाओ के तहत भावी पीढ़ियों के लिए हमारा कोई उत्तरदायित्व ध्यान में नहीं होता | दूसरी तरफ, लंबी अवधि की योजनाओ का उद्देश्य संसाधनों का संपोषित विकास के लिए उपयोग करते हुए, आने वाली पीढ़ियों के उपयोग के लिए भीं उन्हें सुरक्षित रखना होता हैं|
4. क्या आपके विचार में संसाधनों का समान वितरण होना चाहिए? संसाधनों के समान वितरण के विरुद्ध कौन-कौन सी ताकतें कार्य कर सकती हैं?
उत्तर: हमारी धरती सभी के लिए उपलब्ध हैं| सभी प्राणियों का इसके संसाधनों पर समान अधिकार हैं| यदि कोई व्यक्ति इन संसाधनों का अत्यधिक उपयोग कर रहा हैं तो इसका सीधा मतलब हैं कि किसी को इसकी कमी झेलनी पड़ रही होगी| फलतः एक संघर्ष शुरू होता हैं जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुचता हैं|
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1. हमें वन एवं वन्य जीवन का संरक्षण क्यों करना चाहिए?
उत्तर: हमें जैव-विविधता को संरक्षित करने के लिए वनों और वन्य जीवो का संरक्षण करना चाहिए ताकि पारिस्थितिक स्थिरता के नुकसान से बचा जा सके| जंगलो में और उनके आस-पास बड़ी जनसँख्या में जनजाति निवास करती हैं| जंगल और वन्य जीवन के बिना, मनुष्य के लिए जीवन असंभव हो जाएगा|
2. संरक्षण के लिए कुछ उपाय सुझाइए।
उत्तर: वनों के संरक्षण के लिए निम्नलिखित उपाय हैं:-
(i) लोगो को पेड़ काटने का विरोध करके जंगल को बचने में भागीदारी दिखानी चाहिए|
(ii) पेड़ो का रोपण बढ़ाना चाहिए|
(iii) जंगल के निवासियों को वन अधिकारीयों द्वारा परेशान नहीं किया जाना चाहिए|
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1. अपने निवास क्षेत्र के आस-पास जल संग्रहण की परंपरागत पद्धति का पता लगाइए।
उत्तर: हमारे क्षेत्र के आसपास जल संग्रहण की परंपरागत पद्धतियों में से एक टैंक हैं|
2. इस पद्धति की पेय जल व्यवस्था (पर्वतीय क्षेत्रों में, मैदानी क्षेत्रा अथवा पठार क्षेत्र ) से तुलना कीजिए।
उत्तर: (i) पहाड़ी क्षेत्र में, कूल्ह, तालाब, आदि का उपयोग जल संचयन के लिए किया जाता हैं| इसमें बारिश के पानी का संग्रह भी शामिल हैं|
(ii) मैदानी इलाको में, जल संचयन संरचनाए गोलाकार या अर्धचंद्राकर मिट्टी के गड्ढे अथवा निचले स्थान, वर्षा ऋतू में पूरी तरह भर जाने वाली नालियाँ/ प्राकृतिक जलमार्ग पर बनाए गए "चैक डेम" जो कंक्रीट अथवा छोटे कंकड़ पत्रों द्वारा बनाए जाते हैं|
3. अपने क्षेत्र में जल के स्रोत का पता लगाइए। क्या इस स्रोत से प्राप्त जल उस क्षेत्र के सभी निवासियों को उपलब्ध है।
उत्तर: हमारे क्षेत्र में पानी का स्रोत भूजल हैं| इस स्रोत से पानी उस क्षेत्र में रहने वाली सभी लोगो के लिए उपलब्ध हैं|