अध्याय-समीक्षा
- कांच कि छड को जब रेशम के धागे से रगडा जाता है तो इससे प्राप्त आवेश को धन आवेश कहते हैं|
- एबोनाईट कि छड को ऊन के धागे से रगडा जाता है तो इस प्रकार प्राप्त आवेश को ऋण आवेश कहा जाता है |
- इलेक्ट्रानों कि कमी के कारण धन आवेश उत्पन्न होता है |
- इलेक्ट्रानों कि अधिकता से ऋण आवेश उत्पन्न होता है |
- समान आवेश एक दुसरे को प्रतिकर्षित करती हैं |
- असमान आवेश एकदूसरे को आकर्षित करती हैं |
- जब विद्युत आवेश विराम कि स्थिति में रहती हैं तो इसे स्थैतिक विद्युत कहते हैं |
- जब विद्युत आवेश गति में होता है तो इसे धारा विद्युत कहते हैं |
- विद्युत आवेश के बहाव को विद्युत धारा कहते है |
- विद्युत धारा किसी चालक/तार से होकर बहता है |
- विद्युत धारा एक सदिश राशि है |
- इलेक्ट्रोंस बैटरी के ऋणात्मक टर्मिनल पर ऋण आवेश के द्वारा प्रतिकर्षित होते हैं तथा धन टर्मिनल पर धन आवेश पर आकर्षित होते हैं | इसलिए इलेक्ट्रोंस ऋण टर्मिनल से धन टर्मिनल की ओर प्रवाहित होते हैं |
- वे पदार्थ जो अपने से होकर विद्युत आवेश को आसानी से प्रवाहित होने देते हैं चालक कहलाते हैं | उदाहरण : तांबा, सिल्वर, एल्युमीनियम इत्यादि |
- अच्छे चालक धारा के प्रवाह का कम प्रतिरोध करते हैं |
- कुचालकों का धारा के प्रवाह की प्रतिरोधकता बहुत अधिक होती है |
- वे पदार्थ जो अपने से होकर विद्युत धारा को प्रवाहित नहीं होने देते हैं वे पदार्थ विद्युत के कुचालक कहलाते हैं | उदाहरण : रबड़, प्लास्टिक, एबोनाईट और काँच इत्यादि |
- चालकता किसी चालक का वह गुण है जिससे यह अपने अंदर विद्युत आवेश को प्रवाहित होने देते हैं |
- अतिचालकता किसी चालक में होने वाली वह परिघटना है जिसमें वह बहुत कम ताप पर बिल्कुल शून्य विद्युत प्रतिरोध करता है |
- कूलाम्ब का नियम : किसी चालक के दो बिन्दुओं के बीच आवेशों पर लगने वाले आकर्षण या प्रतिकर्षण बल, आवेशों के गुणनफल (q1q2) के अनुक्रमानुपाती होते हैं और उनके बीच की दुरी (r) के वर्ग का व्युत्क्रमानुपाती होते हैं |