अध्याय 7. जीवों में विविधता
प्रश्न : उन जीवों के नाम बताइए जो वर्गीकरण से बाहर रखा गया है |
उत्तर : वायरस और प्रीओन (Prion) |
प्रश्न: आदिम जीव किन्हें कहते हैं ?
उत्तर: कुछ जीव समूहों की शारीरिक संरचना में प्राचीन काल से लेकर आज तक कोई
खास परिवर्तन नहीं हुआ है | ऐसे जीवों को आदिम जीव कहते हैं |
प्रश्न: उन्नत जीव किन्हें कहते हैं ?
उत्तर: कुछ जीव समूहों की शारीरिक संरचना में पर्याप्त परिवर्तन दिखाई पड़ते हैं |
ऐसे जीवों को उन्नत जीव कहते हैं |
प्रश्न: पौधें किसे कहते हैं ?
उत्तर: जो प्रकाश संश्लेषण की क्रिया संपन्न करते हैं, वे पौधें कहलाते हैं |
प्रश्न: उस जीव जगत का नाम लिखिए जिनमें गमन के लिए सिलिया, फ्लैंजेला नामक
संरचना पाई जाती है |
उत्तर: प्रॉटिस्टा जगत |
प्रश्न: व्हिटेकर के द्वरा प्रस्तुत जीवों के पांच जगत कौन से हैं ?
उत्तर: जीवों के पांच जगत निम्नलिखित हैं -
(1) मोनेरा
(2) प्रॉटिस्टा
(3) फंजाई
(4) प्लान्टी
(5) एनिमेलिया
प्रश्न: उस जीव को क्या कहते हैं जो अपने भोजन के लिए सड़े गले कार्बोनिक पदार्थों
पर निर्भर रहते हैं ?
उत्तर: मृतजीवी |
प्रश्न: सहजीविता किसे कहते है ?
उत्तर: कवकों की कुछ प्रजातियाँ नील हरित शैवाल (साइनों बैक्टीरिया) के साथ स्थायी
अंतर सम्बन्ध बनाते है जिसे सहजीविता या सहजीवी सम्बन्ध कहते हैं |
प्रश्न: एक सहजीवी सम्बन्ध बनाने वाले जीव का नाम लिखिए |
उत्तर: लाईकेन |
प्रश्न: फंजाई वर्ग के दो जीवों के नाम लिखों |
उत्तर: (1) यीस्ट (2) मशरूम
प्रश्न: प्रॉटिस्टा वर्ग में किस प्रकार के जीव आते है | दो जीवों का उदाहरण दीजिए |
उत्तर: प्रॉटिस्टा वर्ग में एक कोशिकीय युकैरिओटिक जीव आते हैं | उदाहरण: अमीबा
और पैरामिशियम |
प्रश्न: प्लान्टी वर्ग को कितने भागों में बाँटा गया है ?
उत्तर: प्लान्टी वर्ग को पांच भागों में बाँटा गया है -
(1) थैलोंफाइटा
(2) टेरिड़ोफाइटा
(3) ब्रायोंफाइटा
(4) जिम्नोस्पर्म
(5) एन्जियोस्पर्म
प्रश्न: थैलोफाईटा के जीव मुख्य रूप से कहाँ पाए जाते हैं ?
उत्तर: जल में |
प्रश्न - थैलोपफाइटा समुह के जीवों का गुण लिखों ।
उत्तर -
(i) इन पौधों की शारीरिक संरचना में विभेदीकरण नहीं पाया जाता है।
(ii) इस वर्ग के पौधें को समान्यतया शैवाल कहा जाता है।
(iii)यह जलीय पौधे होते है।
(iv)उदाहरणार्थ, यूलोथ्रिक्स, स्पाइरोगाइरा, कारा इत्यादि |
प्रश्न - ब्रायोपफाइटा समुह के जीवों का गुण लिखों ।
उत्तर -
(i) इस प्रकार के पौधे जलीय तथा स्थलीय दोनों होते हैं, इसलिए इन्हें पादप वर्ग का उभयचर कहा जाता है।
(ii) यह पादप, तना और पत्तों जैसी संरचना में विभाजित होता है।
(iii) इसमें पादप शरीर के एक भाग से दूसरे भाग तक जल तथा दूसरी चीजों के संवहन वेफ लिए विशिष्ट उतक नहीं पाए जाते हैं।
(iv) उदाहरणार्थ, मॉस ;फ्रयूनेरियाद्ध, मार्वेंफशिया आदि ।
प्रश्न - टेरिड़ोंपफाइटा समुह के जीवों का गुण लिखों ।
उत्तर -
(i) इस वर्ग के पौधें का शरीर जड़, तना तथा पत्ती में विभाजित होता है।
(ii) जल तथा अन्य पदार्थों के संवहन के लिए संवहन ऊतक भी पाए जाते हैं।
(iii) उदाहरणार्थ- मार्सीलिया, फर्न, हॉर्स-टेल इत्यादि।
(iv) नग्न भ्रूण पाए जाते हैं, जिन्हें बीजाणु ;ेचवतमद्ध कहते हैं।
(v) इसमें में जननांग अप्रत्यक्ष होते हैं।
(vi) इनमें बीज उत्पन्न करने की क्षमता नहीं होती है।
प्रश्न - जिम्नोंस्पर्म के गुण लिखों ।
उत्तर -
(i) इनमें नग्न बीज पाया जाता हैं।
(ii) ये बहुवर्षिय तथा काष्ठिय पौधे होते है।
(iii) उदाहरणार्थ- पाइनस तथा साइकस।
प्रश्न - जिम्नोंस्पर्म के गुण लिखों ।
उत्तर -
(i) इन पौधें के बीज फलों के अंदर ढके होते हैं।
(ii) इन्हें पुष्पी पादप भी कहा जाता है।
(iii) इनमें भोजन का संचय या तो बीजपत्रों में होता है या फिर भ्रूणपोष में।