अभ्यास:
प्रश्न1. अठारहवीं शताब्दी में इंग्लैंड की ग्रामीण जनता खुले खेत की व्यवस्था को किस दृष्टि से देखती थी। संक्षेप में व्याख्या करें। इस व्यवस्था को
एक संपन्न किसान
एक मशदूर
एक खेतिहर स्त्राी
की दृष्टि से देखने का प्रयास करें।
उत्तर:
(i) एक संपन्न किसान की दृष्टि से :- 16वीं शताब्दी में जब उन की कीमतें बढ़ी तों संपन्न किसानो ने साझा भूमि की सबसे अच्छी चरागाहों की निजी पशुओं के बाडबंदी शुरू कर दी| ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया था कि भेड़ो को को अच्छा चारा ,मिल सके| उन्होंने गरीब लोगों को भी बाहर खदेड़ना शुरू कर दिया और उन्हें साँझा भूमि पर पशु चराने से भी मना कर दिया| बाद में 18वीं सदी के मध्य में इस बाडबंदी को कानूनी मान्यता देने के लिए ब्रिटिश संसद ने 4000 से अधिक अधिनियम पारित किये|
(ii) एक मशदूर की दृष्टि से :- गरीब मजदूरों के जीवित बने रहने के लिए साझा भूमि बहुत आवश्यक थी| यहाँ वह अपनी गायें, भेड़े आदि चराते थे और अलग जलाने के लिए जलावन तथा खाने के लिए कंद-मूल एवं फल इकट्ठा करते थे| वे नदियाँ तथा तालाबों में मच्छलियाँ पकड़ते थे,और साझा वनों में खरगोश का शिकार करते थे|
(iii) एक खेतिहर स्त्राी की दृष्टि से:- खेतिहर महिला प्राय: खुले खेतों पर अपने परिवार के सदस्यों के साथ कार्य करती थी| साझी भूमि से वह घरेलू कार्यों के लिए ईंधन एकत्रित करती थी तथा चरागाहों में पशुओं को चराने में सहयोग करती थी | इस प्रकार खुले केतों के अतिरिक्त साझी भूमि ही उसके आर्थिक विकास का एक मात्र साधन थी| वे अपने पशुओं को चराने, फल और जलावन एकत्र करने के लिए साझा भूमि का प्रयोग करते थे| यद्यपि खुले खेतों के गायब हो जाने से in सभी क्रियाओ पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा| जब खुली खेत प्रणाली समाप्त होना आरम्भ हुई, वनों से जलाने के लिए जलावन एकत्र करना व साझा भूमि पर पशु चराना अब संभव नहीं था|
प्रश्न2. इंग्लैंड में हुए बाड़बंदी आंदोलन के कारणों की संक्षेप में व्याख्या करें।
उत्तर: इंग्लैण्ड में बाडबंदी आन्दोलन को प्रोत्साहित करने वाली सभी कारण अंततः लाभ कमाने के उद्देश्य से प्रेरित थे|
इनमें से कुछ प्रमुख कारक इस प्रकार थे:-
1. पौष्टिक चारा फसलों की कृषि के लिए - ऊन के उत्पादन में वृद्धि के लिए पौष्टिक चारा फसलो की तथा पशुओं के नस्ल को सुधारने कीआवश्यकता थी| इसलिए अपने पशुओं को गाँव के अन्य पशुओं से अलग रखने तथा पौष्टिक चारा फसलों के उत्पादन के लिए भी संपन्न किसानों ने अपने खेतों की बाड़ाबंदी आरंभ कर दी|
2. अनाज़ की मांग में वृद्धि - 18 वीं सदी के अंतिम दशकों में बाड़ाबंदी आन्दोलन तेजी से सारे इंग्लैण्ड में फैल गया| इसका मूल कारण दुनिया के सभी भागों में तीव्र जनसंख्या वृद्धि के कारण अनाज की बढती हुई मांग थी| किसानों ने अपनी भूमियों की बाड़ाबंदी आरंभ कर दी जिससे उनमें अधिक से अधिक अनाज़ उगाना संभव हो सके|
3. ऊन के मूल्य में वृद्धि- 16वीं सदी के आरंभ से ही ऊन के मूल्यों में होने वाली वृद्धि ने इंग्लैण्ड के किसानो को अधिक से अधिक भेड़ो का पालने के लिए प्रोत्साहित किया|
4. साझा भूमि पर अधिकार संपन्न - किसान अपनी भूमि का विस्तार करना चाहते थे जिससे वे अधिक निजी चरागाह बना सके| इसके लिए उन्होंने साझा भूमियों को काटकर उस पर बाड़ाबंदी आरंभ कर दी|
प्रश्न3. इंग्लैंड के गरीब किसान थ्रेशिंग मशीनों का विरोध क्यों कर रहे थे?
उत्तर: इंग्लैंड के गरीब किसान थ्रेशिंग मशीनों का विरोध इसीलिए कर रहे थे क्योंकि:
1. इसने फसल की कटाई के समय कामगारों के लिए रोजगार के अवसर कम कर दी| इससे पहले मजदूर खेतों में विभिन्न कम करते हुए ज़मींदार के साथ बने रहते थे| बाद में उन्हें केवल फसल की कटाई के समय ही काम पर रखा जाने लगा|
2. अधिकतर मजदूर आजीविका कमाने के साधन गवां कर बेरोजगार हो गये| इसलिए वे औद्योगिक मशीनों का विरोध कर रहे थे|
3. फ़्रांस के विरुद्ध युद्ध समाप्त होने पर गाँवो में वापस लौटे सैनिको के लिए रोजगार की आवश्यकता थी परन्तु मशीनीकरण ने रोजगार के अवसर सिमित कर दिए थे|
प्रश्न4. कैप्टन स्विंग कौन था? यह नाम किस बात का प्रतीक था और वह किन वर्गों का प्रतिनिधित्व करता था?
उत्तर: कैप्टन स्विंग एक मिथकीय नाम था जिसका प्रयोग धमकी भरे खतों में थ्रेशिंग मशीनों और ज़मींदारों द्वारा मजदूरों को काम देने में आनाकानी के ग्रामीण अंग्रेज विरोध के दौरान किया जाता था| कैप्टन स्विंग के नाम ने ज़मींदारों को चौकन्ना कर दिया| उन्हें यह खतरा सताने लगा कि कहीं हथियारबंद गिरोह रात में उन पर भी हमला न बोल दे और इस कारण बहुत सारे ज़मींदारों ने अपनी मशीनें खुद जी तोड़ डाली | कैप्टन स्विंग संपन्न किसानों के विरुद्ध मजदूरों तथा बेरोजगारों के उग्र विचार का प्रतीक था| वह भूमिहीन मजदूरों तथा बेरोजगारों के एक बड़े समूह का प्रतिनिधित्व करता था|
प्रश्न5. अमेरिका पर नए आप्रवासियों के पश्चिमी प्रसार का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर: अमेरिका पर नए आप्रवासियों के पश्चिमी प्रसार का निम्नलिखित प्रभाव पड़ा :-
1. वनों के कटाव तथा घास भूमियों के विनाश ने अमेरिका के पर्यावरण का संतुलन को नष्ट कर दिया जिसके कारण देश के दक्षिण-पश्चिमी भागों में धुल भरी आंधियां चलने लगी तथा वर्षा की मात्र में कमी आने लगी|
2. नए प्रवासियों के पश्चिमी प्रसार के क्रम में बड़ी संख्या में वनों और घास भूमियों को कृषि क्षेत्रों में बदल दिया गया|
3. इन क्षेत्रों में रहने वाले मूल निवासियों को पश्चिमी तथा दक्षिणी भागों की ओर विस्थापित कर दिया गया|
4. श्वेत आबादी तथा कृषि के पश्चिमी विस्तार के कारण शीघ्र ही अमेरिका विश्व का प्रमुख गेहूं उत्पादक देश बन गया|
प्रश्न6. अमेरिका में फसल काटने वाली मशीनों के फायदे-नुकसान क्या-क्या थे?
उत्तर: अमेरिका में फसल काटने वाली मशीनों के फायदे-
1. गेहूं के उत्पादन में तीव्र वृद्धि संभव-फसल काटने की नई मशीनों के प्रयोग से ही गेहूं का बड़े पैमाने पर उत्पादन संभव हो सका जिसके कारण शीघ्र ही अमेरिका विश्व का प्रमुख गेहूं उत्पादक देश बन गया|
2. समय की बचत सन 1831 में अमेरिका में साइरस मैककार्मिक नमक व्यक्ति ने फसल काटने की एक नई मशीन बनाई जिससे 15 दिनों में 500 एकड़ भूमि पर कटाई संभव थी|
अमेरिका में फसल काटने वाली मशीनों के नुकसान-
1. निर्धन किसानों के लिए अभिशाप अनेक छोटे किसानो ने भी बैंकों के ऋण की सहायता से इन मशीनों को खरीदा परन्तु अचानक गेहूं की मांग में कमी ने इन किसानो को बर्बाद कर दिया|
2. बेरोजगारी में वृद्धि फसल कटाई की नई - नई मशीनों के कारण मजदूरों की मांग में तेजी से कमी आई जिसके कारण भूमिहीन मजदूरों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट उपस्थित हो गया|
प्रश्न7. अमेरिका में गेहूँ की खेती में आए उछाल और बाद में पैदा हुए पर्यावरण संकट से हम क्या सबक ले सकते हैं?
उत्तर: अमेरिका में गेहूं की खेती में आए तेज उछाल के चलते कृषि के अंतर्गत और अधिक क्षेत्रों को शामिल करने के उद्देश्य से बड़े पैमाने पर वन एवं घास भूमियों को साफ़ किया गया| एक व्यापक प्रयास के चलते अमेरिका शीघ्र ही विश्व का अग्रणी गेहूं उत्पादक देश बन गया| लेकिन इसके फलस्वरूप पश्चिम एवं दक्षिण अमेरिका में एक नया पर्यावरण संकट उत्पन्न हो गया जिससे सारा क्षेत्र धुल भरी आँधियों से ढंक गया और यह प्राकृतिक आपदा बड़ी संख्या में मनुष्य एवं पशुओं की मृत्य का कारण बनी|
इस घटना से हमें यह सीख लेनी चाहिए कि हमें अपने आर्थिक हितों के लिए पर्यावरण का अनियंत्रित और अवैज्ञानिक इस्तेमाल नहीं करना चाहिए | हमें मानव विकास के इसे रास्ते तलाश ने चाहिए जिससे पर्यावरण को क्षति पहुचाएं बिना मानव विकास को उच्च स्तर पर स्थापित किया जा सके|
प्रश्न8. अंग्रेज अफीम की खेती करने के लिए भारतीय किसानों पर क्यों दबाव डाल रहे थे?
उत्तर: अंग्रेज निम्नलिखित कारणों से अफीम की खेती करने के लिए भारतीय किसानों पर दबाव डाल रहे थे -
1. भारत में अनेक क्षेत्रों की जलवायु अफीम की खेती के लिए उपयुक्त थी|
2. इंग्लैण्ड में चाय अत्यधिक लोकप्रिय हो गई| किन्यु इंग्लैण्ड के पास धन देने के अतिरिक्त ऐसी कोई वस्तु नहीं थी जो वे चाय के बदले चीन में बेच सके| किंतु ऐसा करने से इंग्लैण्ड अपने खजाने को हानि पहुचा रहा था| यह देश के खजाने को हानि पहुचा कर इसकी संपत्ति को कम कर रहा था| इसलिए व्यापरियों ने इस घाटे को रोकने के तरीके सोचे| उन्होंने एक ऐसी वस्तु खोज निकाली जिसे वे चीन में बेच सकते थे और चीनियों को उसे खरीदने के लिए मना सकते थे|
3. अफीम ऐसी वस्तु थी| इसलिए अंग्रेज अफीम की खेती करने के लिए भारतीय किसानों पर दबाव डाल रहे थे|
4. अंग्रेजो को चीन से चाय खरीदने के लिए उसकों मूल्य चांदी के सिक्को में चुकाना पड़ता था| परन्तु अंग्रेज इस चांदी को बचाने के लिए भारतीय अफीम को चीन में बेचते थे और उसे यूरोप में बेचकर दोहरा लाभ कमाते थे|
प्रश्न9. भारतीय किसान अफीम की खेती के प्रति क्यों उदासीन थे?
उत्तर: भारतीय किसान निम्नलिखित कारणों से अफीम की खेती के प्रति उदासीन थे -
1. जिन किसानों के पास अपनी भूमि नहीं थी| वे ज़मींदारों से भूमि पट्टे पर लेकर खेती करते थे| इसके लिए उन्हें किराया देना पड़ता था| गाँव के निकट स्थित अच्छी भूमि के लिए ज़मींदार बहुत अधिक किराया वसूल करते थे|
2. अफीम की खेती गाँवो से निकट स्थित सबसे उपजाऊ उगानी पड़ती थे| भूमि में अत्यधिक खाद भी डालनी पडती थी| किसान एसी भूमि पर प्राय: दाले उगाया करते थे| यदि वे इस भूमि पर अफीम उगाते, तो दालो को घाटियाँ भूमि पर उगाना पड़ता| परिणामस्वरूप दालो का उत्पादन बहुत ही कम होता|
3. अफीम की खेती करना करना एक कठिन प्रक्रिया थी| इसका पौधा नाजुक होता था इसीलिए फसल को अच्छी तरह पोषण करने के लिए बहुत अधिक समय लगता था| परिणामस्वरूप उनके पास अन्य फसलों की देखभाल करने के लिए समय नहीं बच पाता था|
4. सरकार किसानो को उनके द्वारा उगाई गई अफीम पर बहुत ही कम मूल्य देती थी| इतनी कम कीमत पर अफीम की खेती करने में किसानों को लाभ की बजाय हानि उठानी पडती थी| अफ़ीम को बेचने से होने वाला लाभ अंग्रेजों की जेब में जाता था|