अध्याय-समीक्षा:
- जब एक ही किस्म के पौधे किसी स्थान पर बड़े पैमाने पर उगाये जाते है, तो इसे फसल कहते हैं |
- मिट्टी तैयार करना, बुआई, खाद एवं उर्वरक देना, सिंचाई, खरपतवार से सुरक्षा, कटाई तथा भण्डारण ये सभी किसानों के द्वारा उपयोग में लाये जाने वाली कृषि पध्दतियाँ है |
- मिट्टी को उलटने – पलटने एवं पोला करने की प्रक्रिया को जुताई कहते है |
- वे पदार्थ जिन्हें मिट्टी में पोषक स्तर बनाये रखने के लिए मिलाया जाता है ,उन्हें खाद एवं उर्वरक कहते है |
- जैविक खाद बनाने के लिए अपशिष्टों का अपघटन सूक्ष्म जीवों के द्वारा द्वारा होता है ?
- खेतो में लगातार फसल उगाने से खेतो में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है |
- यूरिया, अमोनियम सल्फेट, पोटाश आदि उर्वरक हैं |
- उर्वरक फक्ट्रियों में बनाया जाता है खाद जैविक प्रक्रिया द्वारा बनता है |
- केंचुए एवं सूक्ष्म जीव मिट्टी को पलटकर पोला करते है तथा ह्यूमस बनाते है तथा रसायनिक प्रक्रिया द्वारा मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ा देते है |
- कल्टीवेटर के उपयोग से श्रम और समय की बचत होती है |
- फसलों को अदल-बदल कर बोना फसल चक्रण कहलाता है |
- राइजोबियम जीवाणु वायुमंडलीय नाइट्रोजन का स्थितिकरण करते है
- मोट, चेन पम्प, ढेकली और रहट ये सभी सिंचाई के पारंपरिक तरीके है |
- खाद में ह्यूमस की मात्रा होने के कारण इससे मिट्टी में जल धारण की क्षमता में वृद्धि होती है |
- कुएँ, जलकूप, तालाब/झील, नदियाँ, बांध और नहर आदि सिंचाई के मुख्य स्रोत है |
- छिडकाव तंत्र – इस विधि का उपयोग असमतल भूमि के लिए किया जाता है जहाँ पर जल काम मात्र में उपलब्ध है |
- जब हम एक ही जमीन पर बार-बार पौधे उगाते है तो ये पौधे मिट्टी में से पोषक तत्वों को सोंख लेते है और मिट्टी में इन पोषक तत्वों की कमी हो जाती है |
- फसलों में पौधों के साथ कुछ अनचाहे पौधें भी उग आते है | इन पौधों को हम खरपतवार कहते है |
- फसल या फसल उत्पादों को हानि पहुँचाने वाले जीवों को मारने वाली रासायनिक दवाओं को पीडकनाशी कहते है
- वह मशीन जो हार्वेस्टर तथा थ्रेशर दोनों का कार्य करता है कॉम्बाइन मशीन कहलाता है |
- पीडकनाशियों के उपयोग से पौधे को हानि पहुँचाने वाले जीव नष्ट हो जाते है , परन्तु पौधों को कोई हानि नहीं पहुँचती है |
- पीडक नाशी जल स्रोतों में मिलकर जल प्रदुषण का कारण बनते है |