अध्याय - समीक्षा:
- यौवनारम्भ होने पर व्यक्ति जनन के सक्षम हो जाता है। 11 वर्ष की आयु से 19 वर्ष तक की अवधि किशोरावस्था कहलाती है।
- यौवनारम्भ का प्रारम्भ होने पर जनन अंगों में वृद्धि होती है तथा शरीर के विभिन्न स्थानों पर बाल आने लगते हैं। लड़कियों में स्तन विकसित हो जाते हैं तथा लड़कों के चेहरे पर दाढ़ी-मूँछें आ जाती हैं। किशोरावस्था में स्वरयंत्रा की वृद्धि होने के कारण लड़कों की आवाज फटने लगती है।
- किशोरावस्था में लंबाई में वृद्धि होती है।
- यौवनारम्भ एवं जनन अंगों का परिपक्व होना हार्मोनों द्वारा नियंत्रित होता है।
- हार्मोन अंतःड्डावी ग्रंथियों द्वारा ड्डावित पदार्थ हैं जो रुधिर में सीधे पहुँचते हैं।
- पीयूष ग्रंथि हार्मोन स्रावित करते हैं जैसे कि वृद्धि हार्मोन, तथा अन्य ग्रंथियों - वृषण, अंडाशय, थायरॉइड तथा एड्रिनेल को हार्मोन स्रावित करने के लिए उद्दीपित करते हैं। अग्न्याशय इन्सुलिन का, थायरॉइड थाइरॉक्सिन का तथा एड्रिनल एड्रिनेलिन हार्मोन का उत्पादन करते हैं।
- टेस्टोस्टेरॉन नर हार्मोन है तथा एस्ट्रोजन मादा हार्मोन है।गर्भाशय की दीवार निषेचित अंडाणु (युग्मनजद्ध) को ग्रहण के लिए अपने आपको तैयार करती है। निषेचन न होने की स्थिति में गर्भाशय की दीवार की आंतरिक सतह निस्तारित होकर शरीर से बाहर रक्त के साथ प्रवाहित हो जाती है। इसे ऋतुस्राव अथवा रजोधर्म कहते हैं।
- अजन्मे शिशु का लिंग निर्धारण इस बात पर निर्भर करता है कि युग्मनज में XX गुणसूत्र हैं अथवा XY गुणसूत्र|
- किशोरावस्था में संतुलित आहार करना तथा व्यक्तिगत स्वच्छता का पालन करना महत्त्वपूर्ण है।