अभ्यास - प्रश्न:
प्रश्न: निम्नलिखित में मेल बताएं:
(क) बृद्ध नामघर
(ख) शंकरदेव विष्णु की पूजा
(ग) निज़ामुद्दीन औलिया सामाजिक संतरों पर सवाल उठाए
(घ) नयनार सूफ़ी संत
(च) अलवार शिव की पूजा
उत्तर:
(क) बृद्ध सामाजिक संतरों पर सवाल उठाए
(ख) शंकरदेव नामघर
(ग) निज़ामुद्दीन औलिया सूफ़ी संत
(घ) नयनार शिव की पूजा
(च) अलवार विष्णु की पूजा
प्रश्न: रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए:
(क) शंकर ..................... के समर्थक थे|
(ख) रामानुज .................... के द्वारा प्रभावित हुए थे|
(ग) ......................, .......................... और ......................... वीरशैव मत के समर्थक थे|
(घ) .................. महाराष्ट्र में भक्ति परंपरा का एक महत्त्वपूर्ण केंद्र था|
उत्तर:
(क) अद्वैत
(ख) अलवार
(ग) वसव्न्ना, अल्लामा - प्रभु, अक्कमहादेवी
(घ) पंढरपुर
प्रश्न: नाथपंथियों, सिद्धों और योगियों के विश्वासों और आचार व्यवहारों का वर्णन करे|
उत्तर: नामपंथी, सिद्ध और योगी इस काल में अनेक ऐसे धार्मिक समूह अभारे, जिन्होंने साधारण तर्क - वितर्क का सहारा लेकर रूढ़िवादी धर्म के कर्मकांडोंऔर अन्य बनावटी पहलुओं तथा समाज - व्यवस्था की आलोचना की है| उन्होंने संसार का त्याग करने का समर्थन किया| उनके विचार से अनुभूति ही मोक्ष का मार्ग हैं| इसके लिए उन्होंने योगासन, प्राणायाम और चिन्तन - मनन जैसी क्रियाओं के माध्यम से मन एवं शरीर को कठोर प्रशिक्षण देने की आवश्यकता पर बल दिया| उनके द्वारा की गई रूढ़िवादी धर्म की आलोचना ने भक्तिमार्गीय धर्म के लिए आधार तैयार किया, जो आगे चलाकर उत्तरी भारत में लोकप्रिय शक्ति बना|
प्रश्न: कबीर द्वारा अभिव्यक्त प्रमुख विचार क्या - क्या थे? उन्होंने इन विचारों को कैसे अभिव्यक्त किया|
उत्तर: कबीर द्वारा अभिव्यक्त प्रमुख विचार -
1. कबीर निराकार परमेश्वर में विशवास करते थे|
2. भक्ति के माध्यम से ही मोक्ष यानी मुक्ति प्राप्त हो सकती हैं|
3. हिंदू और इस्लाम धर्म में व्याप्त कुरीतियों की आलोचना की|
4. प्रत्येक व्यक्ति को ईश्वर के प्रति प्रेम - भाव रखना चाहिए|
5. हिंदू और मुसलमान एक ही इश्वर की सन्तान हैं|
6. धर्मं का अन्तर अथवा भेदभाव मानव द्वारा बनाया गया हैं|
प्रश्न: सूफियों के प्रमुख आचार - व्यवहार क्या थे?
उत्तर: सूफ़ी पंथ के आचार - विचार :
1. सूफ़ी पंथ धर्म के बाहरी आडम्बरों को स्वीकार करते हुए ईश्वर के प्रति प्रेम और भक्ति तथा सभी मनुष्यों के प्रति दयाभाव राकहने पर बल देते थे|
2. सूफ़ी संत इश्वर के साथ ठीक उसी प्रकार जुड़े रहना चाहते थे, जिस प्रकार एक प्रेमी दुनिया की| परवाह किए बना अपनी प्रियतम के साथ जुड़े रहना चाहत हैं|
3. इश्वर एक हैं, प्रेम - साधना उअर भक्ति द्वारा प्राप्त किया जा सकता हैं|
प्रश्न: आपके विचार से बहुत से गुरूओं ने उस समय प्रचालित धार्मिक विश्वासों तथा प्रथाओं को स्वीकार क्यों किया?
उत्तर: बहुत से गुरूओं ने उससमय प्रचालित धार्मिक विश्वासों तथा प्रथाओं की निम्न कारणों से अस्वीकार कर दिया -
1. प्राचीनकाल से चले आ रहे ऐसे धार्मिक कर्मकांड विश्वासों तथा प्रथाओं को निम्न प्रथाओं काफी जतिलाएं आ गई थीं|
2. प्राचीन काल से चली आ रही धार्मिक रीति - रिवाज एवं प्रथाओं में काफी जतिलताएँ आ गई थीं|
3. उस समय प्रचालित धार्मिक विशवास तथा प्रथाएं समानता पर आधारित नहीं थी| की वर्गेँ के साथ काफी भेदभाव किया जाता था|
प्रश्न: बाबा गुरूनानक की प्रमुख शिक्षाएं क्या थीं|
उत्तर: बाबा गुरूनानक की प्रमुख शिक्षाएं निम्न हैं :
1. एक ईश्वर की उपासना करणी चाहिए|
2. जाति - पाति और लिंग - भेद की भावना से दूर रहना चाहिए|
3. ईश्वर की उपासना करणी चाहिए, दूसरों का भला करना चाहिए|
4. उनके उपदेशों को नाम - जपना, कीर्तन कारन और वंड - छकाना के रूप में याद किया जाता हैं|
प्रश्न: जाति के प्रति वीर्शैवों अथवा महाराष्ट्र के संतों का द्दष्टिकोण कैसा था? चर्चा करें|
उत्तर: जाति के प्रति वीरशैवों के विचार - वीरशैवों ने सभी प्राणियों की समानता के पक्ष में और जाती तथा नारी के प्रति व्यवहार के बारे में ब्राह्मणवादी विचारधारा के विरूद्ध अपने प्रबल तर्क प्रस्तुत किए| इसके अलावा वे सभी प्रकार के कर्मकांडों और मूर्तिपूजा के विरोधी थे|
जाति के प्रति महराष्ट्र के संतों के विचार - महाराष्ट्र के संतों में जनेश्वर नामदेव, एकनाथ और तुकाराम आदि महत्त्वपूर्ण थे| संतों ने सभी प्रकार के कर्मकांडों, पवित्रता के ढंगों और जन्म पर आधारित सामाजिक अंतरों का विरोध किया|
प्रश्न: आपके विचार से जनसाधारण ने मीरा की याद को क्यों सुरक्षित रखा?
उत्तर: हमारे विचार से जनसाधारण ने मीराबाई की याद को निम्न कारणों से सुरक्षित रखा -
1. मीराबाई एक राजपूत राजकुमारी थीं उसका विवाह मेवाड़ के राजपरिवार में हुआ था, फिर भी उन्होंने रविदास जो अस्पृश्य जाती से संबधित थे, जो अपना गुरू बनाया|
2. उन्होंने भगवान कृष्ण की उपासना में अपने - आप को समर्पित कर दिया था| उन्होंने अपने गहरे भक्ति - भाव को कई भजनों में अभिव्यक्त किया हैं|
3. उनके गीतों ने उच्च जातियों के रीतियों - नियमों को खुली चुनौती दि तथा ये गीत राज्ज्स्थान व गुजरात के जनसाधारण में बहुत लोकप्रिय हुए|