अभ्यास - प्रश्न:
प्रश्न: वास्तुकला का 'अनुप्रस्थ तोडा निर्माण' सिद्धांत 'चापाकार' सिद्धांत से किस तरह भिन्न है|
उत्तर: अनुप्रस्थ तोडा निर्माण - सांतवीं और दसवीं शताब्दीं के मध्य वास्तुकार भवनों में और अधिक कमरे, दरवाजे और खादाकियाँ बनाने लगे| छत, दरवाजे और खिड़कियाँ अभी भी दो ऊध्र्वाकार खंभों के आर - पार एक अनुप्रस्थ शहतीर रखकर बनाए जाते थे| वास्तुकला की यह शैली अनुप्रस्थ तोडा निर्माण कहलाई जाती हैं| छापकर सिद्धानत - दरवाजों और खिड़कियों के ऊपर की अधिरचना का भार कभी - कभी मेहराबों पर दाल दिया जाता था| वास्तुकला का यह 'चापाकार' रूप था|
प्रश्न: 'शिखर' से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर: मंदिर का शीर्ष जिसके नीचे गर्भगुह स्थित होता हैं, मंदिर का 'शिखर' कहलाता हैं|
प्रश्न: 'पितरा-दूरा' क्या है?
उत्तर: उत्कीर्णित संगमरमर अथवा बलुआ पत्थर पर संगीन, ठोस पत्थरों को दबाकर बनाए गए सुन्दर तथा अलंकृत नमूने 'पिटारा - दूरा' कहलाता हैं|
प्रश्न: एक मुग़ल चारबाग की क्या खास विशेषताएँ हैं?
उत्तर: मुग़ल चारबाग की विशेषताएँ -
1. चारबाग चार सामान हिस्सों में बनते होते थे|
2. यह बाग़ दीवार से घिरे होते थे|
3. बाग कृत्रिम नहरों द्वारा चार भागों में विभजित आयताकार अहाते में स्थित थे|
प्रश्न: किसी मंदिर से एक राजा की महता की सुचना कैसे मिलती थी?
उत्तर: सभी विशालतम मंदिरों का निर्माण राजाओं ने करवाय था| दक्षिण भरता के प्रसिद्ध मंदिर राजराजेश्वर मंदिर का निर्माण राजा - राजदेव ने अपने देवता राजराजेश्वरम की उपासना हेतु किया था| इनके देवताओं के नाम से मिलते - जुलते थे| राजा स्वयं को इश्वर के रूप में दिखाना चाहता था| धार्मिक अनुष्ठान के जारी मंदिर में एक देवता दूसरे देवता का सम्मान करता था|
मंदिर के अन्य लघु देवता शासक के सहयोगियों तथा अधीनस्थों के देवी - देवता थे| यह मंदिर शासक और सहयोगियों द्वारा शासित विश्व का एक लघु रूप ही था| जिस तरह से वे राजकीय मंदिरों में इलाट्ठे होकर अपने देवताओं की उपासना करते थे|
प्रश्न: दिल्ली में शाहजहाँ के दीवान-ए-खास में एक अभिलेख में कहा गया है - 'अगर पृथ्वी पर कहीं स्वर्ग है तो वह यहीं है, यहीं है, यहीं है?' यह धारणा कैसे बनी?
उत्तर: शाहजहाँ की पत्नी मुमताज की 1631 ई. में मृत्यु हो गई थी उसके बाद शाहजहाँ का मन आगरा से हट गया था| सिअलिए उसने 1639 ई. में युमना नदी के समीप लाल - किला का निर्माण करवाया| लाल किला के अन्दर बनाया गया दीवान - ए - ख़ास संगमरमर का बना हुआ अद्धुत इमारत हैं, जिसमें की तरह की नक्काशियां बनाई गई हैं| इसकी सुन्दरता को देखते हुए ही दीवान - ए - ख़ास में एक अभिलेख में कहा गया हैं - 'अगर पृथ्वी पर कहीं स्वर्ग हैं तो वः यहीं हैं, यहीं हैं, यहीं हैं|
प्रश्न: मुग़ल दरबार से इस बात का कैसे संकेत मिलता था कि बादशाह से धनी, निर्धन, शक्तिशाली कमज़ोर सभी को समान न्याय मिलेगा?
उत्तर: मुग़ल दरबार में निम्न बातों से संकेत मिलाता हैं कि धनि, निर्धन, शक्तिशाली, कमजोर सभी को बादशाह से सामान न्याय मिलेगा-
1. बादशाह के सिहांसन के पीछे पिटारा- दूर के जड़ाऊ काम की एक श्रुंखला बनाई गई थी, जिसमें पैराणिक यूनानी देवता आर्फियस को बिना बजाते हुए चित्रित किया जाता था|
2. ऐसा माना जाता था कि आर्फियस का संगीत सक्रामक जानवरों को भी शांत कर सकता हैं और वे शांतिपूर्वक एक - दूसरे के साथ रहने लगते हैं|
प्रश्न: शाहजहाँनाबाद में नए मुग़ल शहर की योजना में यमुना नदी की क्या भूमिका थी?
उत्तर: अतीत में राजाओं तथा उनके दरबारियों के निर्माण निम्न प्रकार से आज के धनि और भक्तिशाली लोगों के विशाल घरों से भिन्न थे-
1. अतीत के राजाओं के अधिकाँश घर पत्थर के किले के रूप में निर्मित थे|
2. किले को सुरक्षित करने के लिए किले के चारों और गड्ढे खोदे जाते थे|
3. उनके आवास ऊंचे स्थल पर बनाए जाते थे|
4. सुरक्षा को विशेष महत्त्व दिया जाता था|