अतिरिक्त - प्रश्न:
प्रश्न: आठवीं और अठारहवीं शताब्दियों के बीच राजाओं ने किस प्रकार की इमारतों का निर्माण कराया?
उत्तर: आठवीं और अठारवीं शताब्दियों के बीच राजाओं ने दो प्रकार की इमारतों का निर्माण कराया -
1. सुरक्षित संरक्षित तथा इस दुनिया और दूसरी दुनियां में आराम - विराम की भव्य जगहें - किले, महल तथा मकबरें थे|
2. मंदिर , मस्जिद, हौज, कुएँ, सराय तथा बाजरा जैसे जनता के उपयोग की इमारते थी|
प्रश्न: कुत्ब्मीनार की विशेषता बताइए?
उत्तर:
1. 1199 में कुतुबुद्दीन ऐबक ने पहली मंजिल का निर्माण करवाय|
2. 1229 के आस - पास इल्तुतमिश ने शेष चार मंजिलों का निएमान करवाय|
3. अलाउद्दीन खिलजी, मुम्मद तुगलक़, फिरोज शाह तुगलक तथा इब्राहिम लोदी ने इसकी मरम्मत करवाई|
4. मीनार के छज्जे पर अरबी भाषा में अभिलेख हैं|
प्रश्न: अनुप्रस्त टोडा निर्माण शैली क्या हैं व्याख्या कीजिए|
उत्तर: सातवीं और दसवीं के मध्य वास्तुकार भवनों में और आधुनिक अम्र, दरवाजे और खिड़कियों बनाने लगे| छत, दरवाजे और खिड़कियाँ अभी भी दो ऊधर्वाधर खम्भों के आर - पार थे| वास्तुकला की यही अनुप्रसत टोडा निर्माण कहलाई जाती हैं| आठवीं से तेरहवीं शताब्दी के बीच मंदिरों मस्जिदों, मकबरों तथा सीढ़ीदार कुओं (बावली) से जुड़े भवनों के निर्माण में इस शैली का प्रयोग हुआ|
प्रश्न: अभियांत्रिकी कौशल एवं निर्माण कार्य क्या हैं?
उत्तर: बारहवीं शताब्दी में दो प्रोद्दोगिकी एवं शैली सम्बन्धी परिवर्तन दिखाई पड़ते हैं| दरवाजों और खिड़कियों के ऊपर की अशिराचना का भार कभी - कभी मेहराबों पर दाल दिया जाता था| वास्तुकला का यह 'चापाकार' रूप था| जिसे 'डाट' अधिरचना के नाम से भी जाना जाता हैं| निर्माण कार्य में चूनापत्थर तथा सीमेंट का प्रयोग का प्रयोग बढ़ गया|
प्रश्न: मंदिरों, मसजिदों और हैजों के निर्माण की व्याख्या कीजिए?
उत्तर:
1. मंदिर और मसजिद अपने सरंक्षक की शक्ति, धन - वैभव तथा भक्ति भाव का भी प्रदर्शन करते थे|
2. राजराजेश्वरम मंदिर का निर्माण राजाराजदेव ने अपने देवता राजराजेश्वरम की उपासना हेतु किया था|
3. राजा ने अपना नाम देवता से मिलाता - जुलता रखा क्योंकि यह नाम मंगलकारी थी और राजा स्वयं को इश्वर के रूप में दिखाना चाहता था|
4. मुसलमान सुलतान तथा बादशाह स्वंय को भगावान के अवतार होने का दवा तो नहीं करते थे. और राजा स्वंय को इश्वर के रूप में दिखाना चाहता था|
5. दिल्ली की एक मस्जिद के अभिलेख से पता चलता हैं की अल्लाल ने अलाउद्दीन को शासन इसलिए चुना था, क्योंकि उसमें अतीत के महान विशिकर्ताओं मूसा और सुलेमान की विशेषताएँ मौजूद थीं|
6. यदि राजा हौजों और जलाशयों का निर्माण करात तो प्रजा इसकी बहुत प्रशंसा कराती थी|
7. सुलतान इल्तुतमिश ने देहली - ए - कोहना के निकट एक विशाल तालाब का निर्माण करे जिसे हौज - ए - सुल्तानी अथवा राजा का तालाब कहा जाता हैं|
प्रश्न: बाग़, मकबरे तथा किलों का निर्माण किस प्रकार से हुआ व्याख्या कीजिए?
उत्तर:
1. बाबर, हुमायूँ, अकबर, जहाँगीर और विशेष रूप से शाहजहाँ, साहित्य कला और वास्तुकला में व्यक्तिगत रुचि लेते थे|
2. अपनी आत्मकथा में बाबर ने औपचारिक बागों की योजनाओं और उनके बनाने में अपनी रुचि का वर्णन किया था|
3. ये बाग़ दीवार से घिरे होते थे तथा कृत्रिम नहरों द्वारा चारा भागों में विभाजित आयताकार होते में स्थित होते थे|
4. चार सामान हिस्से में बाँट होने के कारण इसे चारबाग कहा जाता हैं|
5. चारबाग बनाने की परंपरा अकबर के समय से शुरू हुई| कुछ चारबाग जैसे - हुमायूँ कला मकबरे का चारबाग दिल्ली 1562 - 1571, कश्मीर में शालीमार बाग़ का सीढ़ीदार चारबाग (1620 - 1634 के माध्य)|
प्रश्न: हुम्यूँ के मकबरे की वर्णन कीजिए?
उत्तर:
1. इसकी प्रेणन अकबर के वास्तुशिल्पियों ने उसके मध्य एशियाई पूर्वज तैमूर के मकबरे से ली|
2. इसके केंद्रीय गुग्ब्द (जो बहुत ऊँचा था), मेहराबदार प्रवेश द्वारा (पिश्तक) व यह मकबरा एक विशाल चारबाग के मध्य स्थित था|
3. इसका निर्माण आठ स्वर्गे अथवा हशट ब्रिहिश्त की परंपरा में हुआ था, जिसमें एक केन्द्रीय कक्ष, आठ कमरों से घिरा होता था|
4. इस इमारत का न्र्मान लाल बलुआ पत्थर से हुआ था तथा इसके किनारे सफ़ेद संगमरमर से बने थे|
प्रश्न: शाहजहाँ के शासनकाल में निर्माण के विभिन्न कार्य कौन - कौन से हैं?
उत्तर:
1. शाहजहाँ के आरम्भिक वर्षों में राजधानी आगरा थी।
2. उसके शासन में सार्वजनिक सभा कक्ष (दिवान - ए - आम) व व्यक्तिगत सभा कक्ष ( दिवान - ए - खास) एक विशाल आंगन में स्थित थे दरबार चिहिल सुतुन अथवा चालीस खम्भों के सभा भवन भी कहलाते थे।
3. शाहजहाँ ने दिल्ली के लाल किले में सिंहासन के पीछे पितरा-दुरा के जड़ाऊ काम की एक श्रंखला बनवाई जिसमे पौराणिक यूनानी देवता ऑर्फियस को वीणा बजाते हुए चित्रित किया गया था।
4. उत्कीर्णित संगमरमर अथवा बलुआ पत्थर पर रंगीन, ठोस पत्थरों को दबाकर बनाए गए सुन्दर तथा अलंकृत नमूने।
5. ताजमहल शाहजहाँ की शासन की भव्यतम वास्तुकलात्मक उपलब्धि है। इसका निर्माण (1623-1643) लगभग 20 साल में पूरा हुआ।
6. यहाँ सफ़ेद संगमरमर का मकबरा नदी तट के एक चबूतरे तथा बाग इसके दक्षिण में बनाया गया था।
प्रश्न: वास्तुकलात्मक शैली का आदान - प्रदान किस प्रकार हुआ?
उत्तर:
1. मथुरा के निकट वृन्दावन में बने मंदिरो की वास्तुकलात्मक शैली फतेहपुर सीकरी के मुग़ल महलों से बहुत मिलती-जुलती थी। जैसे-
2. वृन्दावन में गोविन्द देव मंदिर (1590) का अंदुरनी भाग जिसका निर्माण लाल बलुआ पत्थर से।
3. इसमें दो प्रतिच्छेदी मेहराबों पर इसकी ऊँची भीतरी छत का निर्माण किया था।
4. वास्तुकला की यह शैली उत्तर-पूर्वी ईरान (खुरासान से आई और फतेहपुर सीकरी) में इसका प्रयोग किया गया।
5. बंगाल की झोपड़ी (बांग्ला गुम्बद) को मुगलों ने अपनी वास्तुकला में प्रयोग किया|
6. अकबर की राजधानी फतेहपुर सीकरी पर गुजरात की व मालवा की वास्तुकलात्मक शैलियों का प्रभाव दिखता है।
7. फतेहपुर सीकरी के जोधाबाई महल में छत के अलंकृत स्तम्भ, गुजरात क्षेत्र की वास्तुकलात्मक परम्पराओं से प्रभावित है।