अतिरिक्त - प्रश्न:
प्रश्न: हैदराबाद की वर्णन कीजिए?
उत्तर: हैदराबाद की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं :
1. संस्थापक निजाम-उल-मुल्क आसफ जाह (1724 - 1748)
2. आसफ जाह मुग़ल बादशाह फर्रुखसियर के दरबार का शक्तिशाली सदस्य था।
3. आसफ जाह को अवध की सूबेदारी सौंपी गई थी। और बाद में दक्कन का कार्यभार दिया गया।
4. आसफ जाह ने दक्कन के विद्रोहों और दरबार की प्रतिस्पर्धा का फायदा उठाकर हैदराबाद का स्वतत्र शासक बन गया।
5. आसफ जाह ने मनसबदार नियुक्त किए और इन्हे जागीरे प्रदान करी।
6. हैदराबाद राज्य पश्चिम की ओर मराठों और पठारी क्षेत्र के तेलगू सेनानायको से युद्ध में सदा संलग्न रहता था।
7. आसफ जाह ने कोरोमंडल तट के वस्त्रोत्पादक धन संपन्न क्षेत्र को नियंत्रण में लेने का प्रयास किया परन्तु ब्रिटिश शक्ति ने उसे रोक दिया।
प्रश्न: अवध का वर्णन कीजिए?
उत्तर: अवध की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं :
1. सआदत खान को 1722 में अवध का सूबेदार नियुक्त किया गया था।
2. अवध एक समृद्ध शाली प्रदेश था, जो गंगा नदी के उपजाऊ मैदान में फैला हुआ था और उत्तरी भारत तथा बंगाल के बीच व्यापार का मुख्य मार्ग उसी में से होकर गुजरता था।
3. सआदत खान ने अवध में मुगलो का प्रभाव कम करने के लिए मुगलो द्वारा नियुक्त अधिकारीयों की संख्या में कटौती कर दी।
4. उसने अनेक राजपूत जमींदारियों और रुहेलखंड के अफगानो की उपजाऊ कृषि भूमियों जो अपने राज्य में मिला लिया।
5. सआदत खान ऋण प्राप्त करने के लिए स्थानीय सेठ , साहूकारों और महाजनों पर निर्भर रहता था।
6. वह राजस्व का ठेका सबसे ऊँची बोली लगाने वाले इजारेदार को देता था।
प्रश्न: बंगाल का वर्णन कीजिए?
उत्तर:
1. मुर्शीद कुली खान बंगाल का नायब था (प्रान्त के सूबेदार के प्रतिनियुक्त)|
2. मुर्शीद कुली खान औपचारिक रूप से सूबेदार कभी नहीं बना।
3. बंगाल के राजस्व का बड़े पैमाने पर पुनर्निधारण किया।
4. उसके द्वारा जमींदारों से कठोरता से राजस्व नगद वसूल किया जाता था।
5. बहुत से जमींदारों को राजस्व चुकाने के लिए महाजनों तथा साहूकारों से उधर लेना पड़ता था। जो लोग राजस्व का भुगतान नहीं कर पाते थे उन्हें अपनी जमीने बड़े जमीदारों को बेचनी पड़ती थी।
प्रश्न: राजपूतों की वतन जागीरें कौन कौन सी थी?
उत्तर:
1. अम्बर और जोधपुर के राजघराने मुग़ल व्यवस्था में सेवारत रहे थे।
2. जोधपुर के राजा अजीत सिंह को गुजरात की सूबेदारों और अम्बर के राजा जयसिंह को मालवा की सूबेदारी मिल गई।
3. बादशाह जहांदार शाह ने 1713 में इन राजाओं के इन पदों का नवीनीकरण कर दिया
4. जोधपुर राजघराने ने नागौर को जीत लिया , वही अम्बर ने भी बूंदी के बड़े-बड़े हिस्सों पर अपना कब्ज़ा कर लिया।
5. सवाई राजा जय सिंह ने जयपुर में अपनी नई राजधानी स्थापित की और 1722 में उसे आगरा की सूबेदारी मिल गई।
6. 1740 के दशक से राजस्थान में मराठों के अभियानों से इन रजवाड़ों का विस्तार रुक गया।
प्रश्न: सिक्ख समुदायों का वर्णन कीजिए?
उत्तर:
1. सत्रहवीं शताब्दी के दौरान सिक्ख एक राजनैतिक समुदाय के रूप में गठित हो गए।
2. गुरु गोविन्द ने 1699 में खालसा पंथ की स्थापना से पूर्व और उसके पश्चात् राजपूत व मुग़ल शासकों के खिलाफ कई लड़ाइयाँ लड़ी।
3. 1708 में गुरु गोविन्द सिंह की मृत्यु के बाद बंदा बहादुर के नेतृत्व में 'खालसा' ने मुग़ल सत्ता के खिलाफ विद्रोह किए।
4. उसने गुरुनानक और गुरु गोविन्द सिंह के नामो वाले सिक्के गढ़कर अपने शासन को सार्वभौम बताया।
5. 1715 में बंदा बहादुर को बंदी बना लिया गया और उसे 1716 में मार दिया गया।
6. अठारहवीं शताब्दी में सिक्खों ने अपने आप को पहले जत्थों में और बाद में ' मिस्लों ' में संगठित किया।
7. इन जत्थो और मिस्लों की संयुक्त सेनाएं दल खालसा कहलाती थी।
8. इन बैठकों में सामूहिक निर्णय लिए जाते थे जिन्हे गुरमत्ता (गुरु के प्रस्ताव) कहा जाता था।
9. सिक्खों ने राखी व्यवस्था स्थापित की जिसके अंतर्गत किसानों से उनकी उपज का 20 प्रतिशत कर के रूप में लेकर बदले में उन्हें संरक्षण प्रदान किया जाता था।
10. खालसा ने मुग़ल सूबेदारों व अहमदशाह अब्दाली का विरोध किया।
11. सिक्के पर उत्कीर्ण शब्द वही थे जो बंदा बहादुर के समय में खालसा के आदेशों में पाए जाते है।
12. महाराजा रणजीत सिंह ने विभिन्न सिक्ख समूहों में फिर से एकता कायम करके लाहौर को अपनी राजधानी बनाया।
प्रश्न: मराठा का वर्णन कीजिए?
उत्तर:
1. शिवाजी (1627-1680) ने शक्तिशाली योद्धा परिवारों (देश मुखों) की सहायता से एक स्थाई राज्य की स्थापना की।
2. कृषक -पशुचारक (कुनबी) मराठो की सेना के मुख्य आधार बन गए।
3. शिवाजी की मृत्यु (1680) के पश्चात् , मराठा राज्य में प्रभावी शक्ति , चितपावन ब्राम्हणों के एक परिवार के हाथ में रही।
4. ये (चितपावन ब्राम्हण) शिवाजी के उत्तराधिकारियों के शासनकाल में 'पेशवा' (प्रधानमंत्री) के रूप में अपनी सेवाएं देते रहे।
5. पुणे मराठा राज्य की राजधानी बना।
6. पेशवा मुगलों की किले पर हमले न करके चुपचाप शहरों और कस्बे पर हमला बोलते थे।
7. 1720 के दशक तक इन्होने मुगलो से मालवा और गुजरात छीन लिया।
8. 1730 दशक तक मराठा नरेश को समस्त दक्कन प्रायद्वीप में अधिपत्य हो गया साथ ही इस क्षेत्र पर चौथ और सरदेशमुखी कर वसूलने का अधिकार भी मिल गया।
9. जमीदारों द्वारा वसूले जाने वाले भूराजस्व का 25 प्रतिशत। दक्कन में इसको मराठा वसूलते थे।
10. दक्कन के मुख्य राजस्व संग्रहकर्ता को दिए जाने वाले भू-राजस्व का 9-10 प्रतिशत हिस्सा।
11. 1739 में दिल्ली पर धावा वोलने के बाद मराठा प्रभुत्व की सीमाएं तेजी से बढ़ी।
12. ये उत्तर में राजस्थान और पंजाब, पूर्व में बंगाल और उड़ीसा तथा दक्षिण में कर्नाटक और तमिल एवं तेलगू प्रदेशों तक फ़ैल गई। (औपचारिक रूप से मराठा साम्राज्य में सम्मिलित नहीं किया था लेकिन यहाँ से भेट की रकम ली जाने लगी)
13. 1761 में पानीपत की तीसरी लड़ाई में अन्य शासकों से कोई सहायता नहीं मिली।
14. मराठों ने प्रभावी शासन व्यवस्था के अंतर्गत कृषि को प्रोत्शाहित और व्यापार को पुनर्जीवित किया।
15. इससे सिंधिया, गायकवाड़ और भोसले जैसे मराठा सरदारों को शक्तिशाली सेनाएं खड़ी करने के लिए संसाधन मिले।
16. उज्जैन सिंधिया के संरक्षण में और इंदौर होल्कर के में आश्रय में फलता-फूलता रहा।
17. मराठों द्वारा नियंत्रित इलाकों में व्यापार के नए मार्ग खुले।
18. जैसे-चंदेरी के रेशमी वस्त्रों को मराठों की राजधानी पूणे में नया बाजार मिला।
19. बुरहानपुर पहले आगरा और सूरत के बीच लेकिन अब दक्षिण में पूणे और नागपुर को तथा पूर्व में लखनऊ एवं इल्लाहाबाद को शामिल कर लिया था।
प्रश्न: जाट समुदाय की व्याखया कीजिए?
उत्तर:
1. चूड़ामल में नेतृत्व में दिल्ली के पश्चिमी क्षेत्रो पर नियंत्रण।
2. 1680 के दशक तक दिल्ली और आगरा पर प्रभुत्व।
3. जाट , समृद्ध कृषक थे उनके प्रभुत्व क्षेत्र में पानीपत तथा बल्लभगढ़ जैसे शहर महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र बन गए।
4. सूरजमल के राज्य में भरतपुर शक्तिशाली राज्य के रूप में उभरा।
5. 1739 में नादिरशाह के दिल्ली पर आक्रमण के समय कई प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने भरतपुर में शरण ली।
6. डीग में जाटों ने अम्बर और आगरा की शैलियों का समन्वय करते हुए एक विशाल बाग - महल बनवाया।