अतिरिक्त - प्रश्न:
प्रश्न: नई और पुरानी शब्दावली में होने वाले परिवर्तन को उदाहरण की सहायता से समझाए?
उत्तर: समय के साथ शब्दों के अर्थ भी बदल जाते हैं, उदाहरण के लिए 'हिन्दुस्तान' शब्द ही लीजिए| आज जैसे इसे आधुनिक राष्ट्र राज्य 'भारत' के अर्थ में लेते हैं| तेंराहविन सदी में जब फ़ारसी के इतिहासकार मिन्हाज - ए - सिराज ने हिन्दुस्तान शब्द का प्रयोग किया था तो उसका आशय पंजाब, हारियाँ और गंगा - युमना के बीच में स्थित इलाकों से था| उसने इस शब्द का राजनितिक अर्थ में उन इलाकों के लिए इस्तेमाल किया जो दिल्ली के सुलतान के अधिकार क्षेत्र में आते थे| सल्तनत किया जो दिल्ली के सुलतान के अधिकार क्षेत्र में आते थे| सल्तनत किया जो दिल्ली के सुलतान के अधिकार क्षेत्र में आते थे| सल्तनत के प्रसार के साथ - साथ इस शब्द के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र भी बढ़ते गए, लेकिन हिन्दुस्तान शब्द में दक्षिण भारत का समावेश कभी नहीं हुआ| इसके विपरीत, सोलहवीं सदी के आरंभ में बाबर ने हिन्दुस्तान शब्द का प्रयोग इस उपमहाद्वीप के भूगोल, पढू - पक्षियों और यहाँ के निवासियों की संस्कृति का वर्णन करने के लिए किया|
प्रश्न: 'विदेशी' शब्द से क्या अभिप्राय हैं?
उत्तर: 'विदेशी' शब्द का अर्थ आज के समय में ऐसे व्यक्ति जो भारतीय न हो| मध्ययुग में, मानों किसी गाँव में आने वाला कोई भी अनजाना व्यक्ति, जो उस समाज या संस्कृति का अंग न हो, 'विदेशी' कहलाता हैं| (ऐसे व्यक्ति को हिंदी में परदेसी और फ़ारसी में अजनबी कहा जा सकता हैं|) इसलिए किसी नगरवासी के लिए वनवासी 'विदेशी' होता था किन्तु एक ही गाँ में रहने वाले दो किसान अलग - अलग धार्मिक या जाती पंपराओं से जुड़े पर भी एक - दूसरें के लिए विदेशों नहीं लेते थे|
प्रश्न: इतिहासकार विभिन्न कालों का अध्ययन करने के लिए किस प्रकार के स्त्रोतों पर निर्भर रहते हैं?
उत्तर: इतिहासकार इस काल के बारे में सूचना इअक्त्थि करने के लिए अभी भी सिक्कों, शिलालेखों, स्थापत्य (भवन निर्माण कला) तथा लिखित सामग्री पर निर्भर करते हैं|
प्रश्न: अभिलेखागार किसे कहा जाता हैं?
उत्तर: ऐसा स्थान जहाँ दस्तावेजों और पांडुलिपियों को संग्रहित किया जाता हैं| आज सभी राष्ट्रीय और राज्य सरकारों के अभिलेखागार होते हैं जहाँ वे अपने तमाम पुराने सरकारी अभिलेख और लेन - देन के ब्यौरों का रिकॉर्ड रखते हैं|
प्रश्न: इतिहासकार ज़ियाउद्दीन बरनी ने अपना वृत्तांत कब लिखा था?
उत्तर: चौदहवीं शताब्दी के इतिहासकार ज़ियाउद्दीन बरनी ने अपना वृत्तांत पहली बार 1326 में और दूसरी बार उसके दो वर्ष बाद लिखा था|
प्रश्न: सन 700 और 1750 के बीच किस समुदायों का महत्त्व सबसे ज्यादा बढ़ा उस समुदायों का वर्णन कीजिए?
उत्तर: इस काल में जिन समुदायों का महत्त्व बाधा उनमें से एक समुदाय, जिसका नाम 'राजपुत्र' (अर्थात् राजा का पुत्र) से निकला हैं| आठवीं से चौदहवीं सदी के बीच यह नाम आमतौर पर योद्धाओं के उस समूह के लिए प्रयुक्त होता था जो क्षत्रिय वर्ण के होने का दावा करत थे| 'राजपूत' शब्द के अंतर्गत केवल राजा और सामंत वर्ग ही नहीं, बल्कि वे सेनापति और सेनापति और सैनिक भी आते थे जो पूरे उपमहाद्वीप में अलग - अलग शासकों की सेनाओं में सेवारत थे| कवी और चारण राजपूतों की आचार संहिता - प्रबल पराक्रम और स्वामिभक्ति - का गुणगान करते थे|
प्रश्न: उन्नीसवीं सदी के मध्य में अंग्रेज इतिहासकारों ने भारत के इतिहास को किन युग में बाँटा था?
उत्तर: अंग्रेज इतिहासकारों ने भारत के इतिहास को तीन युगों में बाँटा था: 'हिन्दू', 'मुसलिम' और 'ब्रिटिश'|