संयोजी उत्तक (connective tissue) :
ऐसी कोशिकाएँ जिनकी कोशिकाए आपस में कम जुडी होती है और अंतरकोशिकिय आधात्री में धंसी होती है। संयोजी उतक कहलाती हैं | रक्त , अस्थि और उपास्थि, स्नायु और कंडरा संयोजी उतक के उदाहरण है ।
रक्त (Blood) : रक्त एक संयोजी उतक है जो पदार्थों के संवहन के लिए एक माध्यम का कार्य करता है | यह गैसों जैसे ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड आदि, शरीर के पचे हुए भोजन, हाॅर्मोन और उत्सर्जी पदार्थों को शरीर के एक भाग से दूसरे भाग में संवहन करता है।
प्लाज्मा (Plasma) : रक्त के तरल आधत्राी भाग को प्लाज्मा कहते हैं |
प्लाज्मा में लाल रक्त कोशिकाएँ (RBC), श्वेत रक्त कोशिकाएँ (WBC) तथा प्लेटलेट्स निलंबित होते हैं। प्लाज्मा में प्रोटीन, नमक तथा हॅार्मोन भी होते हैं।
प्लाज्मा में तीन प्रकार की कोशिकाएँ पाई जाती हैं :
(i) लाल रक्त कोशिकाएँ (RBC)
(ii) श्वेत रक्त कोशिकाएँ (WBC)
(iii) प्लेटलेट्स (Platelets)
अस्थि (Bone) : यह भी एक संयोजी उतक है |
अस्थि का कार्य (The functions of Bone) :
(i) यह पंजर का निर्माण कर शरीर को आकार प्रदान करती है।
(ii) यह मांसपेशियों को सहारा देती है और शरीर के मुख्य अंगों को सहारा देती है।
(iii) यह ऊतक मजबूत और कठोर होता है।
(iv) अस्थि कोशिकाएँ कठोर आधत्राी में ध्ँसी होती हैं, जो कैल्शियम तथा फॉस्फोरस से बनी होती हैं।
उपास्थि (cartilage) : एक अन्य प्रकार का संयोजी ऊतक होता है, जिसमें कोशिकाओं के बीच पर्याप्त स्थान होता है। इसकी ठोस आधत्राी प्रोटीन और शर्करा की बनी होती है। उपास्थि नाक, कान, कंठ और श्वास नली में भी उपस्थित होती है।
(i) यह अस्थियों के जोड़ों को चिकना बनाती है।
(ii) यह शरीर के कुछ विशेष अंगों को जैसे नाक, कान और वक्ष उपास्थि (sternum) को आकार प्रदान करता है |
स्नायु (Ligament) : दो अस्थियों को आपस में जोड़ने वाले एक अन्य संयोजी उतक जिसे स्नायु कहते है | इसे अस्थि बंधान तंतु भी कहते हैं |
गुण (Features) :
(i) यह ऊतक बहुत लचीला एवं मजबूत होता है।
(ii) स्नायु में बहुत कम आधत्राी होती है।
कंडरा (tendon) : कंडरा भी एक अन्य प्रकार का संयोजी ऊतक है, जो अस्थियों से मांसपेशियों को जोड़ता है।
गुण (Features) :
(i) कंडरा मजबूत तथा सीमित लचीलेपन वाले रेशेदार ऊतक होते हैं।
(ii) यह अस्थियों से मांसपेशियों को जोड़ता है।
एरिओलर संयोजी ऊतक (Areolar connective tissue) : एरिओलर संयोजी ऊतक त्वचा और मांसपेशियों के बीच, रक्त नलिका के चारों ओर तथा नसों और अस्थि मज्जा में पाया जाता है।
कार्य (functions) :
(i) यह अंगों के भीतर की खाली जगह को भरता है,
(ii) आंतरिक अंगों को सहारा प्रदान करता है |
(iii) ऊतकों की मरम्मत में सहायता करता है।
वसामय ऊतक (Adipose Tissue) : वसा का संग्रह करने वाला वसामय ऊतक त्वचा के नीचे आंतरिक अंगों के बीच पाया जाता है। इस ऊतक की कोशिकाएँ वसा की गोलिकाओं से भरी होती हैं। वसा संग्रहित होने के कारण यह ऊष्मीय कूचालक का कार्य भी करता है।
पेशीय उत्तक (Muscular Tissue) :
पेशीय उत्तक लंबी कोशिकाओं का बना होता जिसे पेशीय रेशा भी कहा जाता है जो हमारे शरीर में गति कराता है | इन्हें पेशीय उत्तक कहते है |
पेशीय उत्तक का कार्य (Functions of Muscular Tissues) :
(i) पेशीय उत्तकें हमारे शरीर में गति कराती हैं |
(ii) यह अस्थियों को बाँध कर रखता है |
पेशियों में संकुचन एवं प्रसार का कारण :
पेशियों में एक विशेष प्रकार का प्रोटीन होता है जिसे सिकुड़ने वाला प्रोटीन कहते है | इसी प्रोटीन के संकुचन एवं प्रसार के कारण गति होती है |
एच्छिक पेशी (Voluntary Muscles) :
ऐसी पेशियाँ जिन्हें हम अपनी इच्छानुसार गति करा सकते है या उनकी गति को रोक सकते हैं | ऐच्छिक पेशियाँ कहलाती है |
कंकाल पेशी (Skeletal Muscles) : ऐच्छिक पेशियाँ जो अस्थियों से जुडी रहती है और इनमें गति कराती है | इन्ही पेशियों को कंकाली पेशियाँ कहते है |
चिकनी पेशियाँ (Smooth Muscles) : कुछ पेशियाँ जिनकी गति पर हमारा नियंत्रण नहीं होता है, ये स्वत: गति करती है | ऐसी पेशी अनैच्छिक पेशी होती है जो शरीर के कुछ अंगों में स्वत: प्रसार एवं संकुचन का काम करते हैं | चिकनी पेशियाँ कहलाती हैं | उदाहरण -
ऐसी पेशियाँ आँख की पलक, मुत्रवाहिनी, आँत और फेफड़ों की श्वासनली आदि में पाया जाताहै |
ह्रदय पेशियाँ (Cardiac Muscles) :
ह्रदय पेशियाँ जीवन भर संकुचन एवं प्रसार का कार्य करती है, ये अनैच्छिक होती है | इन्हें कार्डियक या ह्रदय पेशी कहा जाता है |
तंत्रिका उत्तक (Nervous Tissues) :
मस्तिष्क, मेरुरज्जु तथा तंत्रिकाएँ एक विशेष प्रकार के उतकों से बना होता है जिन्हें तंत्रिका उतक कहते है |
तंत्रिका उत्तक का कार्य (Functions of Nervous Tissues) :
(i) यह सूचनाओं को पुरे शरीर में एक स्थान से दुसरे स्थान तक पहुँचाती है |
(ii) यह पेशियों में गति कराने में सहायता करती है |
(iii) शरीर में उत्पन्न वैद्युत संकेतों को मस्तिष्क तक पहुँचाती हैं |