ध्वनि के परावर्तन का व्यावहारिक उपयोग:
(i) ध्वनि के परावर्तन का उपयोग से मेगाफोन या लाऊडस्पीकर, हॉर्न, तुर्य तथा शहनाई जैसे वाध्य यन्त्र बनाए जाते हैं |
(ii) स्टेथोस्कोप एक चिकित्सीय यन्त्र है जो शरीर के अंदर मुख्यतः हृदय तथा फेफड़ों ने उत्पन्न होने वाली भिन्न-भिन्न ध्वनियों को सुनने और उसकी पहचान करने के लिए किया जाता है |
स्टेथोस्कोप की कार्यविधि :
स्टेथोस्कोप में रोगी के हृदय की धड़कन की ध्वनि, बार-बार परावर्तन के कारण डॉक्टर के कानों तक पहुँचती है |
(iii) कंसर्ट हॉल, सम्मलेन कक्ष और सिनेमा हॉल में भी ध्वनि का परावर्तन होता है | इन सभी की छतें वक्राकार बनाई जाती है जिससे कि परावर्तन के पश्चात् ध्वनि हॉल के सभी भागों में पहुँच जाये | ध्वनि स्रोत से ध्वनि वक्राकार छत से परावर्तित होकर सामान रूप से पुरे हॉल में फ़ैल जाता है जो सामान रूप से स्रोताओं तक पहुँचता है | यही कारण है कि कंसर्ट हॉल की छतें वक्राकार बनाई जाती है |
अनुरणन (Reverberation) :
ध्वनि का दीवारों से बारंबार परावर्तन जिसके कारण ध्वनि-निर्बंध होता है, अनुरणन कहलाता है |
अनुरणन के कारण ध्वनि साफ नहीं सुनाई देती है सुनने में बाधा उत्पन्न होता है | अनुरणन अवांछनीय है इसे कम करने की आवश्यकता होती है |
अनुरणन कम करने के तरीके :
(i) इसे कम करने के लिए भवनों में पर्दे लटकाये जाते हैं, ताकि ध्वनि का अवशोषण हो सके |
(ii) कमरे या सभागारों में श्रोताओं की उपस्थिति बढ़ाने से, इससे भी ध्वनि का अवशोषण होता है |
(iii) इसे कम करने के लिए संपीडित फाइबर बोर्ड, खुरदरे प्लास्टर आदि लगाया जाता है |
(iv) सीटों के पदार्थ सही चुनाव भी ध्वनि अवशोषक के रूप में कार्य करते हैं |