ध्वनि की चाल को प्रभावित करने वाले कारक :
(i) तापमान : ताप के साथ ध्वनि के वेग में परिवर्तन हो जाता है |
(ii) माध्यम : अलग-अलग माध्यमों में ध्वनि की चाल अलग-अलग होती है |
ध्वनि कि चाल और प्रकाश कि चाल : ध्वनि कि चाल प्रकाश की चाल से कम होता है | उदाहरण के लिए तडित बिजली की चमक तथा गर्जन साथ साथ उत्पन्न होते है। लेकिन चमक दिखाई देने के कुछ सेकेंण्ड पश्चात् गर्जन सुनाई देती है क्योंकि प्रकाश की चाल, ध्वनि की चाल से तीव्र होती है। चूकिं प्रकाश (चमक) हम तक जल्दी पहुँच जाता है और गर्जन (ध्वनि) हम तक निम्न चाल के कारण देर से सुनाई देती हैं।
ध्वनि का परावर्तन (Reflection of Sound): ध्वनि का परावर्तन प्रकाश के परावर्तन जैसा ही होता है और ये परावर्तन के उन सभी नियमों का पालन करती है |
(i) परावर्तक सतह पर खींचे गए अभिलंब तथा ध्वनि के आपतन होने की दिशा तथा परावर्तन होने की दिशा के बीच बने कोण आपस में बराबर होते हैं |
(ii) ध्वनि के आपतन होने की दिशा, अभिलंब और परावर्तन होने की दिशा तीनों एक ही तल में होते हैं |
प्रतिध्वनि (Ecosound) : जब कोई ध्वनि किसी माध्यम से टकराकर परावर्तित होती है तो वह ध्वनि हमें पुनः सुनाई देती हैं जिसे प्रतिध्वनि कहते है।
- ध्वनि तरंगों के परावर्तन के लिए बड़े आकार के अवरोधक की आवश्यकता होती है जो चाहे पालिश किए हुए हों या खुरदरे।
- हमारे मस्तिष्क में ध्वनि की संवेदना लगभग 0.1 s तक बनी रहती है |
- स्पष्ट प्रतिध्वनि सुनने के लिए मूल ध्वनि तथा परावर्तित ध्वनि के बीच कम से कम 0.1 s का समय अंतराल अवश्य होना चाहिए।
- स्पष्ट प्रतिध्वनि सुनने के लिए अवरोध्क की ध्वनि स्रोत से न्यूनतम दूरी ध्वनि द्वारा तय की गई कुल दूरी की आधी अर्थात् 17.2 m अवश्य होनी चाहिए।