नियोजन का अर्थ : नियोजन से अभिप्राय किसी कार्य को व्यवस्थित ढंग से करने के लिए तैयारी है | कुछ विशेष उदेश्यों की प्राप्ति के लिए विधि निर्धारण करना ही नियोजन कहलाता है |
हडसन के अनुसार नियोजन की परिभाषा : "भावी कार्यक्रम के मार्ग को निश्चित करने के लिए आधार की खोज नियोजन है |"
मिलेट के अनुसार नियोजन की परिभाषा : प्रशासकीय कार्य के उदेश्यों को प्राप्त करना और निर्धारण करने के साधनों पर विचार करना नियोजन कहलाता है |
हैरिस के अनुसार नियोजन की परिभाषा : आय तथा कीमत के सन्दर्भ की गति में साधनों के बंटवारे को प्राय: नियोजन कहते हैं |
भारत के विकास का अर्थ :
(i) आर्थिक संवृद्धि के साथ विकास
(ii) आर्थिक-सामाजिक न्याय के साथ विकास
भारत के विकास का मॉडल :
(i) उदारवादी-पूंजीवादी मॉडल - यह मॉडल यूरोप के अधिकतर देशों और अमेरिका में यह मॉडल अपनाया गया था |
(ii) समाजवादी मॉडल - यह मॉडल सोवियत रूस में अपनाया था |
भारत ने मिश्रित अर्थव्यवस्था का मॉडल अपनाया जिसमें सार्वजानिक व निजी क्षेत्र दोनों के गुणों का समावेश था |
राजनितिक टकराव :
(i) जनता से जुडी समस्याओं पर अंतिम फैसले जन-प्रतिनिधियों को ही लेना चाहिए क्योंकि जन-प्रतिनिधि जनता की भावनाओं को समझते हैं |
(ii) जो फैसले लिए गए उसके राजनितिक परिणाम भी सामने आए |
(iii) राजनितिक फैसलों के लिए राजनितिक दलों से सलाह-मशविरा करना साथ ही जनता की स्वीकृति भी हासिल करना|
(iv) टकराव के पीछे विकास की धारणा का अलग-अलग होना होता है |
विकास के लिए राजनितिक सहमति : इस बात पर सहमति थी कि आर्थिक विकास और सामाजिक-आर्थिक न्याय को केवल व्यवसायी, उद्योगपति व किसानों के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता | सरकार को भूमिका निभानी पड़ेगी |
विकास की धारणाएँ :
(i) हर कोई विकास चाहता है परन्तु जनता के विभिन्न तबकों के लिए विकास के अर्थ अलग-अलग है |
(ii) पश्चिमी देशों के विकास को इस देश में विकास का पैमाना माना गया |
(iii) विकास का अर्थ था ज्यादा-से-ज्यादा आधुनिक होना और आधुनिक होने का अर्थ था पश्चिमी औद्योगिक देशों की तरह होना |
(iv) इस तरह के आधुनिकीकरण को संवृद्धि, भौतिक प्रगति और वैज्ञानिक तर्कबुद्धि का पर्यायवाची माना जाता था |
(v) इससे विकसित, विकासशील और अविकसित की अवधारणा पैदा हुई |
भारत में विकास के सोवियत मॉडल के पैरोकार :
उस वक्त हिंदुस्तान में बहुत से लोग विकास के सोवियत मॉडल से गहरे तौर पर प्रभावित थे | ऐसे लोगों में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, सोशलिस्ट पार्टी और खुद कांग्रेस के नेहरू तक शामिल थे | अमेरिकी तर्ज पर विकास के पूंजीवादी मॉडल के पैरोकार बहुत कम थे |
विकास के लिए राष्ट्रिय आम सहमति :
(i) आजाद भारत की सरकार के आर्थिक सरोकार अंग्रेजी हुकूमत के आर्थिक सरोकारों से एकदम अलग होगी |
(ii) आजाद भारत की सरकार अंग्रेजी हुकूमत की तरह संकुचित व्यापारिक हितों की पूर्ति के लिए काम नहीं करेगी |
(iii) गरीबी मिटाने और सामाजिक-आर्थिक पुनर्वितरण के काम का मुख्य जिम्मा सरकार का होगा |
(iv) कुछ लोग औद्योगीकरण को उचित मानते थे तो कुछ कृषि का विकास करना और ग्रामीण क्षेत्र की गरीबी को दूर करना सर्वाधिक जरुरी मानते थे |
खुली अर्थव्यवस्था के पैरोकार : कुछ निवेशक मसलन उद्योगपति और बड़े व्यापारिक उद्यमी नियोजन के पक्ष में नहीं थे | वे एक खुली अर्थव्यवस्था चाहते थे जहाँ पूंजी के बहाव में सरकार का कोई अंकुश न हो | लेकिन भारत में ऐसा नहीं हुआ |
बोम्बे प्लान : 1944 में उद्योगपतियों का एक तबका एकजुट होकर देश में नियोजन अर्थव्यवस्था चलाने का एक संयुक्त प्रस्ताव तैयार किया | इसे बोम्बे प्लान कहा जाता है |
बोम्बे प्लान का उदेश्य :
(i) सरकार औद्योगिक तथा अन्य आर्थिक निवेश के क्षेत्र में बड़े कदम उठाए |
(ii) इस तरह चाहे दक्षिणपंथी हो अथवा वामपंथी, उस वक्त सभी चाहते थे कि देश नियोजित अर्थव्यवस्था की राह पर चले |
(iii) इस समूह ने देश में नियोजित अर्थव्यवस्था चलाने का एक संयुक्त प्रस्ताव तैयार किया |
योजना आयोग : भारत के आजाद होते ही योजना आयोग अस्तित्व में आया | प्रधानमंत्री इसके अध्यक्ष बने | भारत अपने विकास के लिए कौन-सा रास्ता और रणनीति अपनाएगा-यह फैसला करने में इस संस्था ने केन्द्रीय और सबसे प्रभावशाली भूमिका निभाई |
योजना आयोग की कार्यविधि : '
(i) सोवियत संघ की तरह भारत के योजना आयोग ने भी पंचवर्षीय योजनाओं का विकल्प चुना |
(ii) भारत-सरकार अपनी तरफ से एक दस्तवेज तैयार करेगी जिसमें अगले पांच सालों के ;लिए उसकी आमदनी और खर्च की योजना होगी |
(iii) इस योजना के अनुसार केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारों के बजट को दो हिस्सों में बाँटा गया |
(iv) एक हिस्सा गैरयोजना-व्यय का था | इसके अंतर्गत सालाना आधार पर दिनदैनिक मदों पर खर्च करना था | दूसरा हिस्सा योजना व्यय था |
प्रथम पंचवर्षीय योजना की विशेषताएँ : (1951-1956)
(i) यह योजना 1951 से 1956 तक की थी |
(ii) इसमें ज्यादा जोर कृषि क्षेत्र पर था |
(iii) इसी योजना के अंतर्गत बाँध और सिंचाई के क्षेत्र में निवेश किया गया |
(iv) भाखड़ा-नांगल जैसी विशाल परियोजनाओं के लिए बड़ी धनराशी आबंटित की गई |
(v) भूमि सुधार पर जोर दिया गया और इसे देश के विकास के लिए बुनियादी चीज माना गया |