कांग्रेस का गठबंधनी स्वाभाव :
(i) कांग्रेस की गठ्बंधनी स्वाभाव ने उसे एक असाधारण ताकत दी है |
(ii) किसी भी पार्टी का स्वाभाव गठ्बंधनी हो तो अंदरूनी मतभेदों को लेकर उसमें सहनशीलता भी ज्यादा होती है | ये ऐसा गुण कांग्रेस में था |
(iii) कांग्रेस ने आज़ादी की लड़ाई के दौरान इन दोनों ही बातों पर अमल किया था | और आज़ादी मिलने के बाद भी इसे जरी रखा |
(iv) इसी कारण अगर कोई समूह पार्टी के अपने रुख से अथवा सत्ता में प्राप्त अपने हिस्से से नाखुश हो तो तब भी वह पार्टी में ही बना रहता था |
(v) अपने गठ्बंधनी स्वाभाव के कारण कांग्रेस विभिन्न गुटों के प्रति सहनशील थी और इस स्वाभाव से विभिन्न गुटों को बढ़ावा मिला |
भारतीय जनसंघ :
(i) भारतीय जनसंघ का गठन 1951 में हुआ था | श्यामा प्रसाद मुखर्जी इसके संस्थापक-अध्यक्ष थे | इसकी जड़े आज़ादी से पहले राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ (RSS) और हिन्दू महासभा में खोजा जा सकता है |
(ii) जनसंघ अपनी विचारधारा और कार्यक्रमों के लिहाज से बाकी दलों से भिन्न थी |
(iii) जनसंघ ने एक देश एक संस्कृति और एक राष्ट्र के विचार पर जोर दिया | इसका मानना था कि देश भारतीय संस्कृति और परंपरा के आधार पर आधुनिक, प्रगतिशील और ताकतवर बन सकता है |
(iv) जनसंघ ने भारत और पाकिस्तान को एक करके अखंड भारत की बात कही | अंग्रेजी को हटाकर हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के आन्दोलन में यह पार्टी सबसे आगे थी |
(v) चीन ने 1964 में अपना परमाणु परिक्षण किया तो जनसंघ ने भी भारत को अपने परमाणु हथियार तैयार करने की पैरोकारी की |
(vi) यही जनसंघ कालांतर में चल कर भारतीय जनता पार्टी के रूप में उभरा है जिसके नेता पं० दीनदयाल उपाध्याय जी थे |
विपक्षी दलों का उद्भव और लोकतंत्र में उनकी भूमिका :
(i) भारत में बहुदलीय लोकतंत्र व्यवस्था है लेकिन यहाँ कई वर्षों तक एक ही दल का प्रभुत्व रहा | आज़ादी के समय भी बहुत से जिवंत विपक्षी पार्टियाँ थी जो स्वतंत्र रूप से चुनाव में भाग ले रही थी |
(ii) इनमें से कई पार्टियाँ का अस्तित्व 1952 के आम चुनाव के पहले से भी था | इनकी भूमिका 60 और 70 के दशक में महत्वपूर्ण रही है |
(iii) इन पार्टियों की मौजूदगी ने स्वास्थ्य लोकतंत्र में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दिया है जो लोकतंत्र के लिए जनता को जागरूक किया है |
(iv) इन दलों की मौजूदगी ने हमरी शासन-व्यवस्था के लोकतान्त्रिक चरित्र को बनाए रखने में निर्णायक भूमिका निभाई है |
(v) विपक्षी दलों ने शासक-दल पर अंकुश रखा और बहुधा इन दलों के कारण कांग्रेस पार्टी के अन्दर शक्ति-संतुलन बदला और एक दल के प्रभुत्व को जोरदार चुनौती दी है |