सोशलिस्ट पार्टी :
कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी का गठन खुद कांग्रेस के भीतर 1934 में युवा नेताओं की एक टोली ने किया था | ये नेता कांग्रेस को ज्यादा-से-ज्यादा परिवर्तनकामी और समतावादी बनाना चाहते थे | कांग्रेस पार्टी ने 1948 में अपने पार्टी संविधान में संसोधन किया ताकि कोई कांग्रेस सदस्य दोहरी सदस्यता न ले सके | इससे कांग्रेस के अन्दर के सोशलिस्ट नेताओं को मजबूरन 1948 में सोशलिस्ट पार्टी बनानी पड़ी |
सोशलिस्ट विचारधारा के नेताओं द्वारा कांग्रेस की आलोचना :
(i) वे कांग्रेस की आलोचना करते थे कि कांग्रेस पूंजीपतियों और जमींदारों का पक्ष ले रही है |
(ii) समाजवादियों को दुबिधा का सामना करना पड़ा क्योंकि कांग्रेस ने 1955 में घोषणा दर दिया कि उनका लक्ष्य समाजवादी बनावट वाले समाज की रचना करना है |
(iii) राममनोहर लोहिया ने कांग्रेस से अपनी दुरी बढाई और कांग्रेस की आलोचना की |
सोशलिस्ट पार्टी का विभाजन : सोशलिस्ट पार्टी के कई टुकड़े हुए और कुछ मामलों में बहुधा मेल भी हुआ | इस प्रक्रिया में कई समाजवादी दल बने | इन दलों में किसान मजदुर प्रजा पार्टी, जनता पार्टी, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी का नाम है | जयप्रकाश नारायण, अच्युत पटवर्धन, अशोक मेहता, आचार्य नरेन्द्र देव, राममनोहर लोहिया और एस. एम. जोशी समजवादी दलों के नेताओं में प्रमुख थे | मौजूदा दलों में समजवादी पार्टी, जनता दल, राष्ट्रिय जनता दल, जनता दल (यूनाइटेड) जनतादल (सेक्युलर) पर सोशलिस्ट पार्टी की छाप है |
एक दल का प्रभुत्व और लोकतंत्र :
भारत में कांग्रेस का शासन भी एक दल के प्रभुत्व जैसा ही है परन्तु कांग्रेस हमेशा से लोकतंत्र को लेकर चली है | जबकि अन्य देशों में भी एक दल का प्रभुत्व रहा है लेकिन ऐसा लोकतंत्र की कीमत पर हुआ है | यह फर्क है भारत में एक दल के प्रभुत्व और दुनिया के अन्य देशों में एक दल के प्रभुत्व में | ह देशों मसलन चीन, क्यूबा, सीरिया के संविधान में सिर्फ एक ही पार्टी को देश में शासन चलाने की अनुमति है | कुछ अन्य देशों जैसे-म्यांमार, बेलारूस और इरीट्रिया में एक पार्टी का प्रभुत्व क़ानूनी और सैन्य कारणों से कायम हुआ है | आज से कुछ साल पहले मक्सिको, दक्षिण कोरिया और ताइवान भी एक पार्टी के प्रभ्त्व वाले देश थे |
बाबा साहब भीमराव रामजी अम्बेडकर : (1891-1956): बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर जाति विरोधी आन्दोलन के नेता और दलितों को न्याय दिलाने के संघर्ष के अगुआ थे | वे एक विद्वान और बुद्धिजीवी थे | वे इंडिपेंडेंस लेबर पार्टी के संस्थापक थे | बाद में शिड्यूल्ड कास्ट्स फेडरेशन की स्थापना की | रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के गठन के योजनाकार थे | इन्हें संविधान निर्माताओं में से एक माना जाता है | संविधान सभा प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे | आज़ादी के बाद नेहरू के पहले मंत्रिमंडल के मंत्री थे | हिन्दू कोड बिल के मुद्दे पर अपनी असहमति दर्ज कराते हुए इस्तीफा दे दिया |
कांग्रेस की स्थापना : कांग्रेस का जन्म 1885 में हुआ था | इसकी स्थापना एक रिटायर्ड अंग्रेज अधिकारी ए० ओ० ह्युम ने की थी | उस वक्त यह नवशिक्षित, कामकाजी और व्यापारिक वर्गों का एक हित-समूह भर थी | लेकिन 20 वीं सदी में यह एक जानआन्दोलन का रूप ले लिया | धीरे-धीरे यह पार्टी एक जानव्यापी राजनितिक पार्टी का रूप ले लिया और जल्द ही राजनितिक व्यवस्था में कांग्रेस ने अपना दबदबा कायम कर लिया | इसमें सभी विचारधारा के लोग जैसे क्रन्तिकारी, शांतिवादी, कंजरवेटिव और रेडिकल, गरमपंथी, नरमपंथी, दक्षिणपंथी वामपंथी और अनेक राजनितिक विचारधारा के लोग शामिल थे और राष्ट्रिय आन्दोलन में भाग लेते थे |
कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया :
रूस के बोल्वेशिक क्रांति से प्रेरित होकर 1920 के दशक में भारत के विभिन्न हिस्सों में साम्यवादी-समूह उभरे | 1935 से साम्यवादियों ने कांग्रेस के दायरे में रहकर कार्य किया | कांग्रेस से ये साम्यवादी 1941 के दिसंबर में अलग हुए | इस समय साम्यवादियों ने नाज़ी जर्मन के खिलाफ लड़ रहे ब्रिटेन को समर्थन देने का फैसला किया | अन्य गैर-कांग्रेस पार्टियों की तुलना में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के पास सुचारू मिशिनरी, कैडर और समर्पित कार्यकर्त्ता मौजूद थे | इस पार्टी का मानना था कि देश जो 1947 में आजाद हुआ है वह सच्ची आजादी नहीं है | इस विचार के साथ पार्टी तेलंगाना में हिंसक विद्रोह को बढ़ावा दिया | साम्यवादी अपनी बात के पक्ष में जनता का समर्थन हासिल नहीं कर सके और इन्हें सशस्त्र सेंनाओं द्वारा दबा दिया गया | 1951 में साम्यवादियों ने हिंसक क्रांति का रास्ता छोड़ दिया और और आने वाले ऍम चुनाओं में भाग लिया | पहले आम चुनाओं में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने 16 सीटें जीती | वह सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के रूप में उभरी | इस दल को ज्यादा समर्थन आन्ध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार और केरल में मिला | इस पार्टी के प्रमुख नेताओं में ए. के. गोपालन, एस. ए. डांगे नम्बूदरीपाद, पी. सी. जोशी, अजय घोष और पी. सुन्दरैया के नाम लिए जाते है |