संसाधनों कि भू-राजनीति के सवाल :
‘‘किसे, क्या, कब, कहाँ और कैसे हासिल होता है’’ - ‘संसाधनों की भू-राजनीति’ इन्हीं सवालों से जूझती है।
यूरोपीय ताकतों के विश्वव्यापी प्रसार का मुख्य साधन : यूरोपीय ताकतों के विश्वव्यापी प्रसार का एक मुख्य साधन और मकसद संसाधन रहे हैं।
(i) संसाधनों को लेकर राज्यों के बीच तनातनी हुई है।
(ii) संसाधनों से जुड़ी भू-राजनीति को पश्चिमी दुनिया ने ज्यादातर व्यापारिक संबंध्, युद्ध तथा ताकत
के संदर्भ में सोचा। इस सोच के मूल में था विदेश में संसाधनों की मौजूदगी तथा समुद्री नौवहन में दक्षता।
(iii) समुद्री नौवहन स्वयं इमारती लकडि़यों पर आधरित था इसलिए जहाज की शहतीरों के लिए इमारती लकडि़यों की आपूर्ति 17वीं सदी से बाद के समय में प्रमुख यूरोपीय शक्तियों की प्राथमिकताओं में रही।
(iv) पहले और दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान सामरिक संसाधनों, खासकर तेल की निर्बाध् आपूर्ति का
महत्त्व बहुत अच्छी तरह उजागर हो गया।
विकसित देशों द्वारा संसाधनों कि सतत आपूर्ति के लिए उठाए गए कदम :
(i) इसके अंतर्गत संसाधन-दोहन के इलाकों तथा समुद्री परिवहन-मार्गों के इर्द-गिर्द सेना की
तैनाती, महत्त्वपूर्ण संसाधनों का भंडारण, संसाधनों के उत्पादक देशों में मनपसंद सरकारों की बहाली |
(ii) बहुराष्ट्रीय निगमों और अपने हितसाधक अंतर्राष्ट्रीय समझौतों को स समर्थन देना शामिल है |
(iii) संसाधनों तक पहुँच अबाध रूप से बनी रहे और खाड़ी के देशों में मौजूद तेल तथा दक्षिणी और पश्चिमी एशिया के देशों में मौजूद खनिज पर विकसित देशों का नियंत्राण बरकरार रहे।
(iv) वैश्विक रणनीति में तेल लगातार सबसे महत्त्वपूर्ण संसाधन बना हुआ है। इसके लिए कई संघर्ष हुए हैं |
विश्व राजनीति के लिए महत्वपूर्ण संसाधन :
(i) भू-संसाधन एवं इमारती लकड़ियाँ
(ii) तेल संसाधन
(iii) जल संसाधन
विश्व राजनीति में तेल संसाधन का महत्व :
(i) वैश्विक रणनीति में तेल लगातार सबसे महत्त्वपूर्ण संसाधन बना हुआ है।
(ii) बीसवीं सदी के अधिकांश समय में विश्व की अर्थव्यवस्था तेल पर निर्भर रही।
(iii) तेल के साथ विपुल संपदा जुड़ी है और इसी कारण इस पर कब्ज़ा जमाने के लिए राजनीतिक संघर्ष छिड़ता है।
(iv) ख़ासकर खाड़ी-क्षेत्र विश्व के कुल तेल-उत्पादन का 30 प्रतिशत मुहैया कराता है। इस क्षेत्र में विश्व के ज्ञात तेल-भंडार का 64 प्रतिशत हिस्सा मौजूद है और इस कारण यही एकलौता क्षेत्र है जो तेल की माँग में ख़ास बढ़ोत्तरी होने पर उसकी पूर्ति कर सकता है।
(v) सऊदी अरब के पास विश्व के कुल तेल-भंडार का एक चौथाई हिस्सा मौजूद है। सऊदी अरब विश्व में सबसे बड़ा उत्पादक देश है |
विश्व-राजनीति में जल संसाधन का महत्व :
विश्व-राजनीति के लिए पानी एक और महत्त्वपूर्ण संसाधन है। विश्व के कुछ भागों में साफ पानी की कमी हो रही है। साथ ही, विश्व के हर हिस्से में स्वच्छ जल समान मात्रा में मौजूद नहीं है।
(i) इस जीवनदायनी संसाधन को लेकर 21 वीं सदी में हिंसक संघर्ष होने कि संभावना है |
(ii) इसी को इंगित करने के लिए विश्व-राजनीति के कुछ विद्वानों ने ‘जलयुद्ध’ शब्द गढ़ा है।
(iii) जलधरा के उद्गम से दूर बसा हुआ देश उद्गम के नजदीक बसे हुए देश द्वारा इस पर बाँध् बनाने, इसके माध्यम से अत्यधिक सिंचाई करने या इसे प्रदूषित करने पर आपत्ति जताता है |
(iv) देशों के बीच स्वच्छ जल-संसाधनों को हथियाने या उनकी सुरक्षा करने के लिए हिंसक झड़पें हुई हैं। इसका एक उदाहरण है - 1950 और 1960 के दशक में इशरायल, सीरिया तथा जार्डन के बीच हुआ संघर्ष।