दो-ध्रुवीयता को चुनौती - गुटनिरपेक्षता
गुटनिरपेक्षता - गुटनिरपेक्षता का अर्थ सभी गुटों से अपने को अलग रखना है |
गुटनिरपेक्ष आन्दोलन - शीतयुद्ध के दौरान दो महाशक्तियों के तनाव के बीच एक एक नए आन्दोलन ने जन्म लिया जो दो ध्रुवीयता में बंट रहे देशों से अपने को अलग रखने के लिए था जिसका उदेश्य विश्व शांति था | इस आन्दोलन का नाम गुटनिरपेक्ष आन्दोलन पड़ा |
गुटनिरपेक्ष आन्दोलन महाशक्तियों के गुटों में शामिल न होने का आन्दोलन था | परन्तु ये अंतर्राष्ट्रीय मामलों से अपने को अलग-थलग नहीं रखा था अपितु इन्हें सभी अंतर्राष्ट्रीय मामलों से सरोकार था |
गुटनिरपेक्ष आन्दोलन की स्थापना - सन् 1956 में युगोस्लाविया के जोसेफ ब्रांज टीटो, भारत के जवाहर लाल नेहरू और मिस्र के गमाल अब्दुल नासिर ने एक सफल बैठक की | जिससे गुटनिरपेक्ष आन्दोलन का जन्म हुआ |
गुटनिरपेक्ष आन्दोलन के संस्थापक नेताओं के नाम :
(i) जोसेफ ब्रांज टीटो - युगोस्लाविया
(ii) जवाहर लाल नेहरू - भारत
(iii) गमाल अब्दुल नासिर - मिस्र
(iv) सुकर्णों - इंडोनेशिया
(v) एनक्रुमा - घाना
पहला गुटनिरपेक्ष सम्मलेन - 1961 में बेलग्रेड में हुआ | इसमें 25 सदस्य देश शामिल हुए | गुटनिरपेक्ष सम्मलेन के 14 वें सम्मलेन में 166 सदस्य-देश और 15 पर्यवेक्षक देश शामिल हुए |
गुटनिरपेक्ष देशों के समक्ष समस्याएँ :
सीमित परमाणु परीक्षण संधि (LTBT) :
वायुमंडल, बाहरी अंतरिक्ष तथा पानी के अंदर परमाणु हथियारों के परिक्षण पर प्रतिबंध् लगाने वाली इस संधि पर अमरीका, ब्रिटेन तथा सोवियत संघ ने मास्को में 5 अगस्त 1963 को हस्ताक्षर किए। यह संधि 10 अक्टूबर1963 से प्रभावी हो गई।
परमाणु अप्रसार संधि (NPT) :
यह संधि केवल परमाणु शक्ति-संपन्न देशों को एटमी हथियार रखने की अनुमति देती है और बाकी देशों को ऐसे हथियार हासिल करने से रोकती है। परमाणु अप्रसार संधि के उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए उन देशों को परमाणु-शक्ति से संपन्न देश माना गया जिन्होंने 1 जनवरी 1967 से पहले किसी परमाणु हथियार अथवा अन्य विस्पफोटक परमाणु सामग्रियों का निर्माण और विस्फोट किया हो। इस परिभाषा के अंतर्गत पाँच देशों - अमरीका, सोवियत संघ; बाद में रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन को परमाणु-शक्ति से संपन्न माना गया। इस संधि पर एक जुलाई 1968 को वॉशिंग्टन, लंदन और मास्को में हस्ताक्षर हुए और यह संधि 5 मार्च 1970 से प्रभावी हुई। इस संधि को 1995 में अनियतकाल के लिए बढ़ा दिया गया।
सामरिक अस्त्र परिसीमन वार्ता-I (स्ट्रेटजिक आर्म्स लिमिटेशन टॉक्स - साल्ट-I)
सामरिक अस्त्र परिसीमन वार्ता का पहला चरण सन् 1969 के नवम्बर में आरंभ हुआ। सोवियत संघ के नेता लियोनेड ब्रेझनेव और अमरीका के राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने मास्को में 26 मई 1972 को निम्नलिखित समझौते पर दस्तख़त किए -
(i) परमाणु मिसाइल परिसीमन संधि (एबीएम ट्रीटी)।
(ii) सामरिक रूप से घातक हथियारों के परिसीमन के बारे में अंतरिम समझौता।
ये 3 अक्तूबर 1972 से प्रभावी हुए।
सामरिक अस्त्र परिसीमन वार्ता-II (स्ट्रेटजिक आर्म्स लिमिटेशन टॉक्स-साल्ट-II)
वार्ता का दूसरा चरण सन् 1972 के नवम्बर महीने में शुरू हुआ। अमरीकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर और सोवियत संघ के नेता लियोनेड ब्रेझनेव ने वियना में 18 जून 1972 को सामरिक रूप से घातक हथियारों के परिसीमन से संबंधित संधि पर हस्ताक्षर किए |
सामरिक अस्त्र न्यूनीकरण संधि (स्ट्रेटजिक आर्म्स रिडक्शन संधि-स्टार्ट-I)
अमरीकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश (सीनियर) और सोवियत संघ के राष्ट्रपति गोर्बाचेव ने 31 जुलाई 1991 को सामरिक रूप से घातक हथियारों के परिसीमन और उनकी संख्या में कमी लाने से संबंधित संधि पर हस्ताक्षर किए।
सामरिक अस्त्र न्यूनीकरण संधि-II (स्ट्रेटजिक आर्म्स रिडक्शन संधि-स्टार्ट-II)
सामरिक रूप से घातक हथियारों को सीमित करने और उनकी संख्या में कमी करने से संबंधित इस संधि पर रूसी राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन और अमरीकी राष्ट्रपति जार्ज बुश (सीनियर) ने मास्को में 3 जनवरी 1993 को हस्ताक्षर किए।