राष्ट्रीय आय का अर्थ (Meaning of National Income):
राष्ट्रीय आय देश में उत्पादन क्रियाओं के मौद्रिक मूल्य का माप है उत्पादन से आय उत्पन्न (सृजित) होता है|
उत्पादन के चारों साधन मिलकर प्रदार्थ व सेवाओं का उत्पादन करते हैं फलस्वरूप जितने मूल्य के प्रदार्थ व सेवाओं का उत्पादन होता है वही उत्पादन के साधनों में मौद्रिक आय के रूप में बँट जाता है|
उत्पादन के साधन (साधनों के मालिक) अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अर्जित आय को प्रदार्थ व सेवाओं की खरीद पर खर्च करते हैं| इस प्रकार उत्पादन आय को, आय व्यय को और व्यय उत्पादन को जन्म देता है|
राष्ट्रीय आय की परिभाषा :
(1) उत्पादन की दृष्टि से: राष्ट्रीय आय एक देश की घरेलू सीमा में एक वर्ष में उत्पादित अन्तिम प्रदार्थ व सेवाओं के शुद्ध प्रवाह का मौद्रिक मूल्य है जिसमे विदेशों से अर्जित शुद्ध साधन आय जोड़ी जाती है|
(2) आय की दृष्टि से CSO के अनुसार: राष्ट्रीय आय किसी देश के सामान्य निवासियों द्वारा एक लेखा वर्ष में मजदूरी,लगान,ब्याज तथा लाभ के रूप में अर्जित साधन आय का योग है|
(3) व्यय की दृष्टि से प्रो. कुजनेट्स के अनुसार: राष्ट्रीय आय,राष्ट्रीय उत्पाद प्रदार्थ व सेवाओं का शुद्ध उत्पादन है जो एक वर्ष में देश की उत्पादन प्रणाली से अन्तिम उपभोक्ताओं के हाथों में जाता है या देश की पूँजी के स्टॉक में शुद्ध वृद्धि से है|
समीकरण के रूप में,
राष्ट्रीय आय (NI) = घरेलू आय + शुद्ध विदेशी साधन आय
सकल राष्ट्रीय आय (GDP) = सकल घरेलू उत्पाद + शुद्ध विदेशी साधन आय
प्रचलित व शुद्ध कीमतों पर राष्ट्रीय आय
राष्ट्रीय आय का मुद्रा के रूप में मुल्यांकन दो प्रकार से किया जाता सकता है|
(1) चालू कीमत पर राष्ट्रीय आय/ मौद्रिक राष्ट्रीय आय :
जब किसी वर्ष की राष्ट्रीय आय में शामिल प्रदार्थ व सेवाओं का मूल्यांकन उसी वर्ष की कीमतों के आधार पर किया जाता है तो उसे चालू कीमतों पर राष्ट्रीय आय कहते है|
जैसे: यदि वर्ष 2009-2010 की राष्ट्रीय आय का मूल्य 2009-2010 की प्रचलित बाजार कीमतों पर आंका जाये तो यह कीमतों पर राष्ट्रीय आय कहलाएगी|
नोट : एक देश के सामान्य निवासियों के द्वारा देश के अन्दर व बाहर अर्जित साधन (कारक) आय का योग राष्ट्रीय आय कहलाता है|
(2) स्थिर कीमतों पर राष्ट्रीय आय / वास्तविक राष्ट्रीय आय :
जब किसी वर्ष की राष्ट्रीय आय में शामिल प्रदार्थ व सेवाओं का मूल्यांकन आधार वर्ष कीमतों पर किया जाता है तो उसे स्थिर कीमतों पर राष्ट्रीय आय कहते है|
जैसे: भारत में 1999-2000 को आधार वर्ष के रूप में प्रयोग किया जाता है| इसी प्रकार 2 यदि वर्ष 2009-2010 को राष्ट्रीय आय का मूल्य आधार वर्ष की कीमतों पर किया जाए तो इसे स्थिर कीमतों पर वास्तविक राष्ट्रीय आय कहलाएगा |
मध्यमवर्ती वस्तुएँ और अन्तिम वस्तुओं में अन्तर
(1) मध्यवर्ती वस्तुएँ: मध्यवर्ती वस्तुएँ वे वस्तुएं होती है जो एक लेखा वर्ष में,
(a) उत्पादन में कच्चे माल के रूप में प्रयोग के लिए
(b) पुनः बिक्री के लिए खरीदी जाती है |
मध्यवर्ती वस्तुएँ कहलाती है |
जैसे : (1) बिस्कुट बनाने में उपयुक्त आटा, घी, चीनी, नमक आदि|
(2) मिल द्वारा ख़रीदा गया गेंहूँ, कपडा, कपास, धागा आदि|
(3) एक किराना दुकानदार द्वारा ख़रीदे गए चावल, घी,दाल,चीनी आदि|
(2) अन्तिम वस्तुएँ: अन्तिम वस्तुएँ वे वस्तुएँ होती है जो
(a) उपभोक्ता के द्वारा उपयोग के लिए खरीदी जाती है|
(b) उत्पादकों के द्वारा निवेश के लिए उपलब्ध होती है | अन्तिम वस्तुएँ कहलाती है|
जैसे (1) 1 वर्ष के अन्त में दुकानदार द्वारा अनबिकी वस्तुएँ|
(2) जूते, घड़ियाँ, टी.वी., घी, दूध आदि|
(3) फर्मों के द्वारा प्रयोग की जाने वाली वस्तुएँ जैसे:मशीने,वाहन,ट्रेक्टर,औजार आदि वस्तुएँ है|