अध्याय-समीक्षा:
- एक यूकैरियोटिक कोशिका में केन्द्रक समेत कुछ झिल्ली से घिरे कोशिकांग होते है जिसके कारण कोशिकीय क्रिया अलग-अलग कोशिकाओं में दक्षतापूर्वक होती रहती है |
- जिन कोशिकाओं में झिल्लीयुक्त कोशिकांग और केन्द्रक नहीं होते हैं, उनकी जैव रासायनिक प्रक्रियाएँ भिन्न होती है |
- केन्द्रकयुक्त कोशिकाओं में बहुकोशिक जीव की निर्माण की क्षमता होती है, क्योंकि वे किसी खास कार्यों के लिए विशिष्टीकृत हो सकते है |
- कोशिकीय संरचना और कार्य वर्गीकरण का आधारभूत लक्षण है |
- जो कोशिकाएँ एक साथ समूह बनाकर किसी जीव का निर्माण करती हैं, उनमें श्रम-विभाजन पाया जाता है |
- जो जीव प्रकाश-संश्लेषण करते हैं, उन्हें पौधें कहते हैं |
- पौधों का शरीर भोजन बनाने की क्षमता के अनुसार विकसित होता है, जबकि जंतुओं का शरीर बाहर से भोजन ग्रहण करने के लिए विकसित होता है |
- कुछ जीव समूहों की शारीरिक संरचना में प्राचीन काल से लेकर आज तक कोई खास परिवर्तन नहीं हुआ है ऐसे जीव आदिम अथवा निम्न जीव कहते है |
- कुछ जीव समूहों की शारीरिक संरचना में पर्याप्त परिवर्तन दिखाई पड़ते है | उन्हें उच्च जीव कहते है |
- विकास के दौरान जीवों में जटिलता की संभावना बनी रहती है, इसलिए पुराने जीवों को साधारण और नए जीवों को अपेक्षाकृत जटिल भी कहा जा सकता है |
- व्हिटेकर द्वारा प्रस्तावित वर्गीकरण में पांच जगत हैं - मोनेरा, प्रॉटिस्टा, फंजाई, प्लांटी और एनिमेलिया |
- वर्गीकरण की आधारभूत ईकाई जाति (स्पीशीज) है |
- शरीर की बनावट के दौरान जो लक्षण पहले दिखाई पड़ते है, उन्हें मूल लक्षण कहते है |