अभ्यास :
Q1. अठारहवीं शताब्दी में पोशाक शैलियों और सामग्री में आए बदलावों के क्या कारण थे?
उत्तर: अठारहवीं शताब्दी में पोशाक शैलियों और सामग्री में आए बदलावों के निम्नलिखित कारण थे -
(i) लोगो की आर्थिक स्थिति ने उनके वस्त्रों में अंतर ला दिया|
(ii) स्त्रियों में सौन्दर्य की भावना ने उनके वस्त्रों में परिवर्तन ला दिया|
(iii) समानता को महत्व देने के लिए लोग साधारण वस्त्र पहनने लगे|
(iv) राजतंत्र व शासक वर्ग के विशेष नाधिकार समाप्त कर दिए गए|
(v) लोगों की वस्त्रों के प्रति रूचियां अलग-अलग थी|
(vi) फ्रांसीसी क्रांति में सम्चुअरी कानूनों को समाप्त कर दिया गया|
(vii) यूरोप में सस्ते व अपेक्षाकृत सुन्दर भारतीय वस्त्रो की मांग बढ़ रहीं थी|
Q2. फ्रांस के सम्प्चुअरी कानून क्या थे?
उत्तर: 1294 से 1789 इ० की फ्रांसीसी क्रांति तक फ़्रांस के लोगो को सम्प्चुअरी कानूनों का पालन करना पड़ता था| इन कानूनों द्वारा समाज के निम्न वर्ग के व्यवहार को नियंत्रित करने का प्रयास किया| फ्रांसीसी समाज के विभिन्न वर्गो के लोग किस प्रकार के वस्त्र पहनेंगे इसका निर्धारण विभिन्न कानूनों द्वारा किया जाता था| इन कानूनों को सम्प्चुअरी कानून कहाँ जाता था| फ़्रांस में सम्प्चुअरी कानून इस प्रकार थे:-
(i) किसी व्यक्ति के सामाजिक स्तर द्वारा यह निर्धारित होता था कि कोई व्यक्ति एक वर्ष में कितने कपड़े खरीद सकता था|
(ii) साधारण व्यक्तियों द्वारा कुलीनों जैसे कपड़े पहनने पर पूर्ण पाबन्दी थी|
(iii) शाही खानदान तथा उनके संबंधी ही बेशकीमती कपड़े पहनते थे|
(iv) निम्न वर्गो के लोगो को खास-खास कपड़े पहनने, विशेष व्यंजन खाने, खास तरह के पेय (मुख्यतः शराब) पीने और शिकार खेलने की अनुमति नहीं थी|
Q3. यूरोपीय पोशाक संहिता और भारतीय पोशाक संहिता के बीच कोई दो फर्क बताइए।
उत्तर:
यूरोपीय पोशाक संहिता | भारतीय पोशाक संहिता |
(i) इनमें तंग वस्त्रो को अधिक महत्त्व दिया जाता था| | (i) इनमें आरामदेह तथा ढीले-ढाले वस्त्रो को अधिक महत्व दिया जाता था| |
(ii) यह पोशाक कानूनी समर्थन पर आधारित थी| | (ii) इन पोशाको को सामाजिक समर्थन प्राप्त था| |
Q4. 1805 में अंग्रेज अफसर बेंजमिन हाइन ने बंगलोर में बनने वाली चीजों की एक सूची बनाई थी, जिसमें निम्नलिखित उत्पाद भी शामिल थेः
- अलग-अलग किस्म और नाम वाले शनाना कपड़े।
- मोटी छींट
- मखमल
- रेशमी कपड़े
बताइए कि बीसवीं सदी के प्रारंभिक दशकों में इनमें से कौन-कौन से किस्म के कपड़े प्रयोग से बाहर चले गए होंगे, और क्यों?
उत्तर: 20 वीं सदी के प्रारंभिक दशकों में इनमें से रेशमी और मखमल के कपड़ो का प्रयोग सीमित हो गया होगा क्योंकि:-
(i) यह कपडा यूरोपीय कपड़ों की तुलना में बहुत महंगे थे|
(ii) स्वदेशी आंदोलन ने लोगो में रेशमी वस्त्रो का त्याग करने को प्रेरित किया|
(iii) इस समय तक इंग्लैंड के कारखानों में बना सूती कपड़ा भारत बाज़ार में बिकने लग रहा था| यह कपड़ा देखने में सुन्दर, हल्का व सस्ता था|
Q5. उन्नीसवीं सदी के भारत में औरतें परंपरागत कपड़े क्यों पहनती रहीं जबकि पुरुष पश्चिमी कपड़े पहनने लगे थे? इससे समाज में औरतों की स्थिति के बारे में क्या पता चलता है?
उत्तर: 19 वीं सदी में भारत में केवल उन्ही उच्च वर्गीय भारतीयों ने पश्चिमी कपड़े पहनने आरंभ किया जो अंग्रेजों के संपर्क में आए थे| साधारण भारतीय समुदाय इस कल में परंपरागत भारतीय वस्त्रो को ही पहनता था| हमारा समाज मुख्यतः पुरूष प्रधान हैं और महिलाओ से अपेक्षा की जाती हैं कि वें पारंपरिक सम्मान को बनाए रखें| उनसे सुशील व अच्छी गृहणी बनने की अपेक्षा की जाती थी| वे पुरुषो जैसे वस्त्र नहीं पहन सकती थी , और इसलिए उन्होंने पारंपरिक परिधान पहनना जरी रखा| यह सीधे तौर पर महिलाओ को समाज में निम्कीन दर्जा हासिल होने का सूचक हैं| इस काल में साधारण महिलाओ की सामाजिक स्थिति घरेलू जिम्मेदारियों के निर्वहन तक ही सीमित थी परन्तु उच्च वर्गीय महिलाएँ शिक्षित होने के साथ- साथ राजनीतिक तथा समाजसेवा जैसे महत्वपूर्ण कार्यों से जुड़ी थी|
Q6. विंस्टन चर्चिल ने कहा था कि महात्मा गाँधी राजद्रोही मिडिल टेम्पल वकील’ से ज्यादा कुछ नहीं हैं और 'अर्धनंगे फकीर का दिखावा’ कर रहे हैं। चर्चिल ने यह वक्तव्य क्यों दिया और इससे महात्मा गाँधी की पोशाक की प्रतीकात्मक शक्ति के बारे में क्या पता चलता है?
उत्तर: इस समय महात्मा गाँधी की छवि भारतीय जनता में एक 'महात्मा' एवं मुक्तिदाता के रूप में उभर रहीं थी| गाँधी जी की वेशभूषा सादगी, पवित्रता और निर्धनता का प्रतीक थी जो भारतीय जनता का विचारों और स्थिति को प्रतिबिम्ब करती थी| इस कारण महात्मा गाँधी जि की पोषक की प्रतीकात्मक शक्ति चर्चिल के साम्राज्यवाद का विरोध करती हुई प्रतीत हुई और उन्होंने महात्मा गाँधी के विषय में प्रश्नगत टिप्पणी की|
Q7. समूचे राष्ट्र को खादी पहनाने का गांधीजी सपना भारतीय जनता के केवल कुछ हिस्सों तक ही सीमित क्यों रहा?
उत्तर: प्रत्येक भारत को खादी के वस्त्र पहनाने का गाँधी जि का स्वप्न कुछ हिस्सों तक सीमित रहने के निम्नलिखित कारण थे-
(i) भारत का उच्च अभिजातीय वर्ग मोटी खादी के स्थान पर हल्के व बारीक कपड़े पहनना पसंद करते थे|
(ii) अनेक भारतीय पश्चिमी शैली के वस्त्रो को पहनना आत्मसम्मान का प्रतीक मानते थे|
(iii) सफ़ेद रंग की खादी के कपड़े महंगे थे, तथा उनका रख-रखाव भी कठिन था, जिसके कारण निम्न वर्ग के मेहनतकश लोग इसे पहनने से बचते थे| इसीलिए महत्मा गाँधी के विपरीत बाबा साहब अम्बेडकर जैसे अन्य राष्ट्रियवादियों ने पाश्चात्य शैली का सूट पहनना कभी नहीं छोड़ा | सरोजनी नायडू और कमला नेहरु जैसी महिलाएँ भी हाथ से बुने सफ़ेद, मोटे कपड़ो की जगह रंगीन व डिज़ाइनदार साड़ियाँ पहनती थी|