5. आधुनिक विश्व में चरवाहे
प्रश्न : दो कारण बताइए जिससे कि 18 वीं सदी में इग्लैण्ड में बाडाबंदी आवश्यक हो गई ।
उत्तर -
(1) भूमि पर लंबी अवधि के निवेश के कारण।
(2) बाडाबंदी ने धनी किसानों को अपने नियंत्रण की भूमि को विकसित करने दिया ।
प्रश्न : गुज्जर बकरवाल कौन हैं ? उनके जीवन का वर्णन करो ।
उत्तर : गुज्जर बकरवाल जम्मु कश्मीर का एक चरवाहा समूदाय है जो भेड - बकरियों को बडे बडे रेवड़ रखते थे। इस समुदाय के अधिकतर लोग अपने मवेशियों लिए चारागाहों की तलाश में यहॉ आए थे। जाडों में जब ऊँची पहाडियाँ बर्फ से ढक जाती है तो निचली पहाडियों में आकर डेरा डाल देते है । गर्मीयों में ये अपने रेवड़ को लेकर ऊँची पहाडियों पर चले जाते थे ।
प्रश्न : गद्दी समुदाय कहाँ के चरवाहा समुदाय है ?
उत्तर : हिमांचल प्रदेश ।
प्रश्न : भाबर शब्द का अर्थ लिखिए ।
उत्तर : गढवाल और कुमाऊँ के इलाके में पहाडियों के नीचले हिस्से के आस पास पाए जाने वाले शुष्क या सूखे जंगल का इलाका को भाबर कहते हैं ।
प्रश्न : बुग्याल किसे कहते है ?
उत्तर : उच्ची पर्वतीय क्षेत्रों में स्थित विस्तृत चरागाहों को बुग्याल कहते है। जैसे - पूर्वी गढवाल के बुग्याल जहॉ भेड चराये जाते है।
प्रश्न : धंगर कहाँ कर चरवाहा समुदाय हैं ?
उत्तर : महाराष्ट्र का।
प्रश्न : धंगर समुदाय चरवाही के आलावा जीविका के लिए और कौन कौन से काम करते थे ?
उत्तर - धंगर समुदाय महाराष्ट्र का जाना माना चरवाहा समुदाय हैं ।
जीविका के लिए ये समुदाय निम्न काम करते थे।
1. कम्बल और चादरें भी बनाते थे।
2. कुछ भैंस भी पालते थे।
3. अक्टूबर के आसपास ये बाजरें की कटाई करते थे।
प्रश्न : भारत के कुछ चरवाहें समुदायों का नाम लिखिए।
उत्तर :
जम्मु कश्मीर - गुज्जर बकरवाल ।
हिमांचल प्रदेश - गद्दी समुदाय
महाराष्ट्र - धंगर
राजस्थान - राइका
कर्नाटक और आध्र प्रदेश - गोल्ला , कुरूमा , और कुरूबा समुदाय।
उतर प्रदेश, मध्य प्रदेश - बंजारे।
प्रश्न : चलवासी चरवाहों के निरंतर प्रवास से पर्यावरण को क्या लाभ होता है ।
उत्तर : जहाँ इनके मवेशी चरते है वहॉ की भूमी उपजाऊ हो जाती है । इसलिए किसान अपने अपने खेतों में चरने देते है ताकि मवेशियों के गोबर से खेत भर जाये ।
प्रश्न : धार क्या होते हैं ?
उत्तर : ऊँचे पर्वतों में स्थित चरागाहों को धार कहा जाता है।
प्रश्न : भारत के कुछ चरावाह - कबीलों के नाम लिखो।
उत्तर : भारत के कुछ चरावाह - कबीलों के नाम
1. जम्मू कश्मीर के गुज्जर बकरवाल
2. हिमाचल प्रदेश के गद्दी गडरिये
3. महाराष्ट्र के धंगर
4. कर्नाटक में गोल्ला
5. आन्ध्र प्रदंश में कुरूमा और कुरबा
प्रश्न : बंजारों के रहने सहने के ढंग का वर्णन करो ।
उत्तर : देश के एक बडे भाग विशेष कर पंजाब, राजस्थान, उतर प्रदेश, मध्यप्रदेश, और महाराष्ट्र आदि के ग्रमीण क्षंत्रों में पाई जाने वाली चरावहा टुकडों को बंजारा कहा जाता है। वे नई घास भूमियों की तलाश में अपने पशुओं के साथ दूर दूर तक घूमते रहते है। भोजन और पशु चारा के बदले में हल चलाने वाले पशुओं और दूध उत्पादों का लेन देन कर लेते है। साथ ही साथ इन पशुओं की खरीद ब्रिक्री भी करते रहते है।
प्रश्न : स्पष्ट कीजिए कि घुमंतू समुदायों को बार बार एक जगह से दूसरे जगह क्यों जाना पडता है ? इस निरंतर आवागमन से पर्यावरण को क्या लाभ पहुँचता है ?
उत्तर : घुमंतू समुदायों को बार बार एक जगह से दूसरे जगह जाने के पीछे निम्नलिखित कारण है।
1. उनकी अपनी कोई चरागाह या खेत नही होता जिससे दूसरे के खेतो या दूर दूर के चारागाहों पर निर्भर रहना पडता है।
2. मौसम परिवर्तन के साथ साथ उन्हे अपने चरागाह भी बदलने पडते हैं जैसे पहाडों के उपरी भाग में बर्फ पडने पर वे पहाडी के निचले हिस्से में जाना पडता है।
3. बर्फ पिघलते ही उनन्हे वापस ऊपर की पहाडों की ओर प्रस्थान करना पडता है।
4. मैदानी भागों में इसी प्रकार बाढ़ आने पर वे ऊँचें स्थानों पर चले जाते है।
प्रश्न : उपनिवेशिक सरकार द्वारा बनाए गए वन अधिनियम कानुन से चरवाहों के जीवन पर क्या असर पडा ?
उत्तर : ब्रिटिश सरकार ने अनेक वन कानून पास कर चरवाहों का जीवन ही बदल दिया । आरक्षित तथा सूरक्षित वनों की श्रेणी के वनों में उनके घुसने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया क्योंकि पशु पौधे के नई कोपलों को खा जाते थे। इससें चरवाहों के लिए चारागाह का संकट उत्पन्न हो गया ।